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Bal Kavita Vande Matram
Children's Poem Vande Matram
वन्दे मातरम्
भारतवासी कहें शान से,
वन्दे मातरम्, वन्दे मातरम् ।
उत्तर में गिरिराज हिमालय,
इसका रूप सँवारे ।
दक्षिण में लहराता सागर,
इसके पैर पखारे ।
सबसे सुन्दर देश हमारा,
नहीं किसी से कम ।। वन्दे मातरम्...
गंगा यमुना जैसी नदियाँ,
इस धरती पर बहतीं।
स्वर्ग यहीं है, स्वर्ग यहीं है,
सारे जग में कहतीं।
गर्व करें भारत माता पर,
निर्भय हो कर हम ।। वन्दे मातरम्...
वीर शिवा राणाप्रताप का,
रक्त हमारे तन में।
रण चण्डी भी बसी हुई है,
जनम जनम से मन में।
आकर हमको आँख दिखाए,
किसमें इतना दम ।। वन्दे मातरम्...
वंशज हैं, हम राम कृष्ण के,
सारी दुनिया जाने ।
सत्य, अहिंसा धर्म हमारा,
जग इसको भी माने ।
विश्व शान्ति उद्देश्य हमारा,
जब तक दम में दम ।। वन्दे मातरम्...
भारतवासी कहें शान से,
वन्दे मातरम्, वन्दे मातरम् ।।
- डॉ. परशुराम शुक्ल
बाल साहित्यकार,
भोपाल (मध्यप्रदेश)
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