हिंदी बाल कविता: दूर करो इस अन्तर को

Dr. Mulla Adam Ali
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दूर करो इस अन्तर को कविता : समानता के विषय पर भगवान से प्रार्थना करते हुए अंतर दूर करने की बात इस कविता में किया गया है, कमियाबी और नाकामियाबी के बारे में भगवान से प्रश्न करता हुए एक मन की बात को इसमें बताया गया है। हम सब एक ही धरती पर रहते है लेकिन कुछ लोग अमीर है तो कुछ गरीब, कुछ कामियाब है तो कुछ नाकामियाब। इस अंतर को मिटाने की बात इस कविता में प्रस्तुत है। डॉ. परशुराम शुक्ल की बाल कविता संग्रह प्रतिनिधि बाल कविताएं से संग्रहित यह कविता दूर करो इस अन्तर को पढ़े और शेयर करें।

Hindi Bal Kavitayen

दूर करो इस अन्तर को

हे प्रभु! तुम हो अन्तरयामी ।

धरती अम्बर सबके स्वामी ।

पास तुम्हारे आया हूँ मैं,

कुछ कहने हे जग के स्वामी !

एक बढ़ रहा उन्नति पथ पर,

और एक पाता नाकामी ।

नामी बनता एक जहाँ में,

और दूसरे को बदनामी । 

 एक बना मालिक बैठा है;

दूजा देता उसे सलामी ।

दूर करो इस अन्तर को तुम,

सबके भाग्य विधाता स्वामी ।।


- डॉ. परशुराम शुक्ल

बाल साहित्यकार,

भोपाल (मध्यप्रदेश)

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