Childrens Poem in Hindi: आई गर्मी आई

Dr. Mulla Adam Ali
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Bal Kavita Aayi Garmi Aayi 

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Hindi Children's Poem on Summer Season

आई गर्मी आई


आग लगाती, बदन जलाती,

आई गर्मी आई ।

भाग गये सब ऊनी कपड़े,

कम्बल और रजाई ।

लपट चली झुलसाने वाली,

टप-टप बहे पसीना।

सूरज ने गिर कर धरती पर,

कठिन कर दिया जीना ।

भूले हवा चलाना ठण्डी,

पंखा कूलर सारे ।

लगता है निकले जाते अब,

लू से प्राण हमारे ।

पीने का मन होता सबका,

मटका भर-भर पानी।

और नहाते है घण्टों तक,

मोहन, अब्दुल, जानी।

रात-रात भर काटे मच्छर,

बिजली गुल हो जाती ।

बदलें करवट इधर उधर सब।

लेकिन नींद न आती।


- डॉ. परशुराम शुक्ल

बाल साहित्यकार,

भोपाल (मध्यप्रदेश)

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