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Hindi Bal Kavita Rang Birangi Dharti
Kavita Rang Birangi Dharti
रंग-बिरंगी धरती
रंग-बिरंगी धरती बच्चों,
रंग-बिरंगी धरती ।
देखो बच्चों इस धरती पर,
वृक्ष हरे लहराते ।
इस पर बैठे पक्षी मीठे,
मीठे राग सुनाते ।
इनके नीचे रोज सवेरे,
छोटी हिरनी चरती। रंग...
ऊँचे-ऊँचे पर्वत नदियाँ,
सबकी बात निराली ।
इनकी शान बढ़ा देती है,
जंगल की हरियाली।
बूढ़ी नानी इस जंगल की,
हरदम रक्षा करती। रंग...
जंगल का धरती से बच्चों,
बड़ा पुराना नाता ।
बाघ, सिंह, गैण्डे, हाथी को,
सारा जंगल भाता ।
पानी और हवा जंगल की,
सबकी पीड़ा हरती। रंग...
हरे-भरे लहराने वाले
जंगल को मत काटो ।
मार जंगली जीवों को तुम,
मौत न सबको बाँटो ।
जीव, जंगलों के मिटते ही,
सारी दुनिया मरती। रंग...
रंग-बिरंगी धरती बच्चों,
रंग-बिरंगी धरती ।।
- डॉ. परशुराम शुक्ल
बाल साहित्यकार,
भोपाल (मध्यप्रदेश)
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