Hindi Bal Kavita: रंग-बिरंगी धरती

Dr. Mulla Adam Ali
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Hindi Bal Kavita Rang Birangi Dharti

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Kavita Rang Birangi Dharti

रंग-बिरंगी धरती


रंग-बिरंगी धरती बच्चों,

रंग-बिरंगी धरती ।

देखो बच्चों इस धरती पर,

वृक्ष हरे लहराते ।

इस पर बैठे पक्षी मीठे,

मीठे राग सुनाते ।

इनके नीचे रोज सवेरे,

छोटी हिरनी चरती। रंग...

ऊँचे-ऊँचे पर्वत नदियाँ,

सबकी बात निराली ।

इनकी शान बढ़ा देती है,

जंगल की हरियाली।

बूढ़ी नानी इस जंगल की,

हरदम रक्षा करती। रंग...

जंगल का धरती से बच्चों,

बड़ा पुराना नाता ।

बाघ, सिंह, गैण्डे, हाथी को,

सारा जंगल भाता ।

पानी और हवा जंगल की,

सबकी पीड़ा हरती। रंग...

हरे-भरे लहराने वाले

जंगल को मत काटो ।

मार जंगली जीवों को तुम,

मौत न सबको बाँटो ।

जीव, जंगलों के मिटते ही,

सारी दुनिया मरती। रंग...

रंग-बिरंगी धरती बच्चों,

रंग-बिरंगी धरती ।।


- डॉ. परशुराम शुक्ल

बाल साहित्यकार,

भोपाल (मध्यप्रदेश)

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