Children Poems in Hindi Akal Ka Dushman, Bal Kavita Kosh, Hindi Poetry, Pratinidhi Bal Kavitayein, Dr. Parshuram Shukla Poetry in Hindi for Kids Poems.
Akal Ka Dushman Bal Kavita
Hindi Children's Poem Akal Ka Dushman
अक्ल का दुश्मन
बच्चो सुनो अकल का दुश्मन,
तिल का ताड़ बनाता।
अड़ियल टट्टू सा होता यह,
अपना राग सुनाता ।।
टाँग पसार रात दिन सोकर,
अपने हाथ कटाता।
ठगा हुआ सा रह जाता जब,
आफत में फँस जाता ।।
ओखल में सर देकर अपना,
विपदाएँ घर लाता ।
सिट्टी पिट्टी गुम हो जाती,
साँप सूँघ सा जाता।।
रोज बनाता किले हवा में,
अपना समय गँवाता।
दर-दर की ठोकर खाकर
यह जीवन नर्क बनाता ।।
- डॉ. परशुराम शुक्ल
बाल साहित्यकार,
भोपाल (मध्यप्रदेश)
ये भी पढ़ें; प्रतिनिधि बाल कविता: चारों खाने चित्त