300+ Muhavare in Hindi | 300+ मुहावरे और उनके अर्थ वाक्य प्रयोग

Dr. Mulla Adam Ali
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Hindi Idioms and their usage

Hindi idioms and their usage

हिंदी मुहावरों का अर्थ एवं वाक्य प्रयोग : मुहावरे क्या है और उनका प्रयोग कैसे करे आज इस आर्टिकल में हम जानेंगे। हिंदी व्याकरण मुहावरों का प्रयोग और उदाहरण, मुहावरे का अर्थ और परिभाषा।

हिन्दी मुहावरे और उनका प्रयोग

मुहावरे (Idioms)

साधारण रूप में 'मुहावरा' उस वाक्यांश को कहते हैं जिसके प्रयोग से वाक्य के अर्थ में विलक्षणता उत्पन्न हो जाती है। जैसे-अँगूठा दिखाना। यह एक साधारण-सा वाक्यांश है। साधारण रूप से इसका साधारण अर्थ है अँगूठे को दिखाना। पर यह एक मुहावरा है, जो अपने भीतर प्रत्यक्ष अर्थ के अतिरिक्त एक विलक्षण अर्थ रखता है-'देने से साफ मुकर जाना।'

मुहावरों का प्रयोग भाषा में सौष्ठव, माधुर्य और कथन में चमत्कार तथा प्रभाव उत्पन्न करने के लिए किया जाता है। भारतेन्दु-युग और द्विवेदी-काल में कई गद्यकारों ने मुहावरों के प्रयोग में सुख्याति प्राप्त की थी।

मुहावरों और कहावतों में अन्तर होता है। मुहावरे केवल वाक्यांश होते हैं; पर कहावतें पूर्ण वाक्य होती हैं। कहावतों का प्रयोग पूरे वाक्य के रूप में किया जाता है; किन्तु मुहावरे लिंग, वचन और क्रिया के अनुसार परिवर्तित हो जाते हैं।

मुहावरों का शब्दार्थ नहीं, उनका भावार्थ बताना चाहिए। आगे मुहावरों के अर्थ और उनके प्रयोग दिए गए हैं। मुहावरों की संख्या बहुत अधिक है। यहाँ केवल विशेष और अधिक प्रचलित मुहावरों के ही अर्थ और उनके प्रयोग दिए गए हैं।

1. अंग-अंग ढीला होना = बहुत थक जाना-आज बहुत दौड़-धूप करने से मेरा अंग-अंग ढीला हो रहा है।

2. अंग छूना = कसम खाना-मैं अंग छूकर कहता हूँ कि मैंने तुम्हारी पुस्तक नहीं चुराई।

3. अंग-अंग गुस्काना = बहुत प्रसन्न होना-परीक्षा में सफल होने के कारण मनोहर का अंग-अंग मुस्करा रहा था।

4. अँगूठा दिखाना = देने से साफ इन्कार करना-सेठजी ने मन्दिर के लिए 300 रुपये दान देने को कहा था; परन्तु जब मैं उनसे माँगने गया तो उन्होंने अँगूठा दिखा दिया।

5. अक्ल पर पत्थर पड़ना = कुछ समझ में न आना-तुमको वहाँ जाने से कितनी बार रोका गया है; पर तुम्हारी अक्ल पर पत्थर पड़े हुए हैं, तुम समझते ही नहीं।

6. अगर-मगर करना = टालमटोल करना-अध्यापक जी जब मोहन से पाठ सुनाने को कहते हैं, तभी वह अगर-मगर करने लगता है।

7. अपना-सा मुँह लेकर रह जाना = लज्जित होना-खरगोश ने सोचा कि कछुआ अभी तक गाँव नहीं पहुँचा होगा; परन्तु जब उसे ठिकाने पर पहुँचा हुआ पाया, तो अपना-सा मुँह लेकर रह।गया।

8. अपने पाँव पर आप कुल्हाड़ी मारना = अपनी हानि स्वयं करना-यदि तुम झूठ बोलोगे, तो अपना विश्वास खोने के कारण अपने पाँव पर आप कुल्हाड़ी मारोगे।

9. अपना उल्लू सीधा करना = स्वार्थ साधना-उस बनिये की बात पर विश्वास न करना, वह तो अपना उल्लू सीधा करने के लिए तुमसे मीठी-मीठी बातें करता है।

10. अपनी खिचड़ी अलग पकाना = साथ मिलकर न रहना-भारत के रजवाड़े अपनी खिचड़ी अलग पकाते रहे, जिससे विदेशी यहाँ शासन जमाने में सफल हो गए।

11. अपने मुँह मियाँ-मिट्टू बनना = अपनी बड़ाई आप करना-मैं पढ़ाई में सबसे चतुर हूँ: यह कहकर मैं अपने मुँह मियाँ-मिट्ठू बनना नहीं चाहता।

12. अंगारे बरसाना = अत्यन्त क्रोध से देखना-अभिमन्यु की बर्बरतापूर्ण हत्या को सुनकर अर्जुन की आँखें अंगारे बरसाने लगीं।

13. अंगारे उगलना = क्रोध में कठोर शब्द बोलना-जब नौकर देर से पहुँचा तो रायसाहब अंगारे उगलने लगे।

14. अक्ल के घोड़े दौड़ाना = सोच-विचार करना-बड़े-बड़े वैज्ञानिकों ने अक्ल के घोड़े दौड़ाए, तब कहीं विमान हमारे सामने प्रकट हुए।

15. अक्ल का दुश्मन = बेवकूफ क्रोध में पत्थर से भाई का सिर फोड़कर अक्ल के दुश्मन मत बनो।

16. अक्ल के पीछे लठ्ठ लिए फिरना = मूर्खतापूर्ण काम करना-मित्र ! मैं ठीक कह रहा हूँ कि इस समय कुछ पढ़-लिख लो, पर तुम तो अक्ल के पीछे लट्ठ लिए फिरते हो। तुम्हें मेरी बात अच्छी नहीं लगती।

17. आँखें दिखाना = गुस्से में देखना-जो हमें आँखें दिखाएगा, हम उसकी आँखें फोड़ देंगे।

18. आँखों में गिरना = सम्मानरहित हो जाना-रिश्वत का पैसा लेने के कारण मन्त्रिगण जनता की आँखों में गिर गए।

19. आँखों में धूल झोंकना = धोखा देना-राणा प्रताप शत्रुओं की आँखों में धूल झोंककर युद्ध के मैदान से बाहर निकल गए।

20. आँखों का काँटा = अप्रिय व्यक्ति-गन्दी आदतों के कारण पुत्र पिता की आँखों का काँटा बन गया।

21. आँखों में चर्बी उतरना = अभिमान होना-व्यापार में लाखों रुपये पा जाने से सेठजी की आँखों में चर्बी उतर आई है। वे अब हम जैसों से बातें नहीं करते।

22. आँखें चार होना = आमने-सामने होना-ज्योंही नेवले और साँप की आँखें चार हुईं, त्योंही वे लड़ने को तैयार हो गए।

23. आँखें पथरा जाना = देखते-देखते बहुत थक जाना पति की प्रतीक्षा करते-करते विरहिणी की आँखें पथरा गई।

24. आँखें खुलना = होश आना-जब धूर्त मित्रों ने सारा धन हजम कर लिया, तब कहीं अशोक की आँखें खुलीं।

25. आँख मारना = इशारा करना-गवाह मेरे भाई का मित्र निकला; मेरे भाई ने उसे आँख मारी, नहीं तो वह मेरे विरुद्ध गवाही दे देता।

मुहावरे (Muhavare) एवं इनका वाक्यों में प्रयोग

26. आँख बचाना = छिपकर निकलना-शिष्य अध्यापक से आँख बचाकर स्कूल से भाग गया।

27. आँखें बिछाना = सत्कार करना-श्रीमती इन्दिरा गांधी जिधर जाती थीं उधर ही जनता उनके लिए आँखें बिछाए खड़ी रहती थी।

28. आँखों पर पर्दा पड़ना = लोभ के कारण सचाई न दिखाई देना-जो दूसरों को ठगा करते हैं, उनकी आँखों पर पर्दा पड़ा हुआ है। इसका कुफल उन्हें अवश्य मिलेगा।

29. आँखों का तारा (आँखों की पुतली) = बहुत प्यारा-राम अपनी माँ की आँखों का तारा है।

30. आँख उठाना = साहस करना-शत्रुओं को ऐसे कुचल दिया गया कि वे अब आँख भी नहीं उठा सकते।

31. आड़े हाथों लेना = अच्छी प्रकार काबू करना-हॉकी के मैच में भारत की टीम ने पाकिस्तान की टीम को गोल के पास आड़े हाथों लिया।

32. आँच न आने देना = तनिक भी कष्ट न होने देना-माता स्वयं कष्ट उठा लेती है, पर पुत्र पर आँच नहीं आने देती।

33. आपा-धापी में पड़ना = अपनी-अपनी पड़ जाना-जब भारत पर मुसलमानों के आक्रमण हुए, उस समय देश में सब राजाओं को आपा-धापी पड़ गई।

34. आसमान पर चढ़ना = बहुत अभिमान करना-परीक्षा में प्रथम आ जाने के कारण उसका सिर आसमान पर चढ़ गया है।

35. आसमान सिर पर उठाना = बहुत शोर करना-अरे बालको! आसमान सिर पर क्यों उठा रखा है? तनिक शान्ति से बैठ जाओ।

36. आकाश के तारे तोड़ना = असम्भव कार्य करना-वीर लोग यदि डट जाएँ तो वे आकाश के तारे भी तोड़कर दिखा सकते हैं।

37. आकाश-पाताल का अन्तर = बहुत फर्क होना-महात्मा गांधी और मि० जित्रा में आकाश-पाताल का अन्तर था।

38. आकाश-पाताल एक करना = पूरा प्रयत्न करना-भारत के नेताओं ने स्वतन्त्रता पाने के लिए आकाश-पाताल एक कर दिया था।

39. आकाश से बातें करना = बहुत ऊँचा होना-हिमालय पर्वत आकाश से बातें करता है।

40. आग-बबूला होना = गुस्से से भर जाना-विभीषण की हितकर बात सुनकर भी रावण आग-बबूला हो गया।

41. आटे-दाल का भाव मालूम होना = कठिनाई में पड़ना-मित्र, जब शादी के बाद गृहस्थ का भार सँभालोगे तब आटे-दाल का भाव मालूम होगा।

42. आपे से बाहर होना = मर्यादा लाँघना-परशुराम शिव धनुष के टूटने की बात सुनकर आपे से बाहर हो गए।

43. इधर का उधर होना = चाहे कुछ भी हो-चाहे इधर का उधर हो जाए, मैं अवश्य तुम्हारा साथ दूँगा।

44. इधर-उधर की हाँकना = व्यर्थ बोलना-तुम व्यर्थ में बैठे इधर-उधर की हाँकते रहते हो, तुम्हारा गुजारा कैसे होगा?

45. ईद का चाँद = बहुत कम दीखने वाला-मित्र, तुम तो सचमुच ईद के चाँद हो गए हो। आजकल कहाँ रहते हो?

46. ईंट का जवाब पत्थर से देना = दुष्ट के साथ दुष्टता करना-अहिंसा बहुत अच्छी चीज है; परन्तु जब तक ईंट का जवाब पत्थर से न दिया जाए, तब तक शत्रु भी नहीं मानते।

47. ईंट से ईंट बजाना = नष्ट-भ्रष्ट कर देना-भारतीय सैनिकों ने शत्रु-सेना की ईंट से ईंट बजा दी।

48. उल्टी गंगा बहाना = नियम के विरुद्ध कार्य करना-भिखारियों से दान माँगकर उल्टी गंगा बहाना तुम्हारे लिए ठीक नहीं।

49. उन्नीस-बीस का अन्तर = बहुत थोड़ा फर्क-लव और कुश की आकृति में उन्नीस-बीस का अन्तर होने से साधारण व्यक्ति उनमें भेद नहीं कर सकते थे।

50. उँगली पर नचाना = वश में रखना आजकल की नारियाँ अपने पतियों को उँगलियों पर नचाती हैं।

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51. उँगली उठाना = लांछन लगाना, इशारा करना-सीता जैसी देवियों के चरित्र पर उँगली उठाने वाले को धिक्कार है।

52. उँगली पकड़कर पहुँचा पकड़ना = धीरे-धीरे पराई वस्तु को अधिकार में कर लेना-व्यापारी अंग्रेजों ने भारत की उँगली पकड़कर पहुँचा पकड़ लिया; धीरे-धीरे यहाँ पर पूर्ण अधिकार जमा लिया।

53. उल्लू बनाना = मूर्ख सिद्ध करना-सैर कराने के बहाने नीच मित्रों ने सब रुपया ठगकर मोहन को खूब उल्लू बनाया।

54. एड़ी-चोटी का जोर लगाना = शक्तिभर कार्य करना-एड़ी-चोटी का जोर लगाकर ही तुम प्रथम स्थान प्राप्त कर सकते हो।

55. एक ही लकड़ी से हाँकना = अच्छे-बुरे की पहचान न करना-मूखौं के राज्य में सज्जन और दुर्जन सभी एक ही लकड़ी से हाँके जाते हैं।

56. एक ही थैली के चट्टे-बट्टे = सभी का एक जैसा होना-यहाँ विश्वास किस पर करें; झूठ बोलने में तो वे सब एक ही थैली के चट्टे-बट्टे हैं।

57. एक और एक ग्यारह = मेल में शक्ति होना-शिवाजी ने थोड़े से साथियों की संगठित सेना द्वारा शत्रुओं को परास्त करके सिद्ध कर दिया कि एक और एक ग्यारह होते हैं।

58. कमर कसना = तैयार होना-भारतीयो। कमर कस लो; न जाने कब विदेशी शत्रुओं से लोहा लेना पड़े।

59. कलई खुलना = रहस्य प्रकट हो जाना-तुम मुझे इस विभाग से निकालकर दिखाओ तो सही; मैं तुम्हारी सारी कलई खोलकर रख दूँगा।

60. कलम तोड़ना = लिखने में सबको पीछे छोड़ जाना-श्री सुमित्रानन्दन पन्त ते सौन्दर्य-वर्णन में कलम तोड़ दी है।

61. कलम उठाना = किसी विषय पर लिखना-ईश्वर के विषय में जितने दार्शनिकों ने कलम उठाई, सभी गम्भीर विचारक थे।

62. कलेजा मुँह को आना = अत्यन्त व्याकुल होना-गर्मी के कारण कलेजा मुँह को आ रहा है।

63. करवटें बदलते रहना = नींद न आना आज पिताजी की बीमारी का समाचार सुनकर मैं सारी रात करवटें बदलता रहा।

64. काँटा दूर होना = संकट टलना-विभीषण के लंका से निकल जाने पर रावण ने समझ लिया कि काँटा दूर हो गया।

65. कसौटी पर कसना = परखना- गांधीजी कसौटी पर कसे लोगों को ही सत्याग्रह करने की अनुमति देते थे।

66. कफन सिर पर बाँधना = मृत्यु के लिए तैयार होना-वीर सिपाही कफन सिर पर बाँधकर युद्ध की आग में कूद पड़े।

67. कलेजा छलनी होना =  दिल बहुत दुखी होना- जब पिता की परवाह न करके पुत्र घर से चल दिया तो पिता का कलेजा छलनी हो गया।

68. कलेजा थामना = अपने को कठिनता से सँभालना आज के युवक सुन्दर युवतियों को देखकर कलेजा थामकर रह जाते हैं।

69. कलेजे पर हाथ रखना = दिल को साक्षी बनाना अपने कलेजे पर हाथ रखकर कहो कि क्या तुमने घड़ी नहीं तोड़ी?

70. कलेजा ठण्डा होना = सन्तोष होना-डाकुओं को कैद हुआ जानकर गाँव वालों का कलेजा ठण्डा हो गया।

71. कंचन बरसना = खूब धन-सम्पत्ति होना-आवत हिय हरषे नहीं, नैनन नहीं सनेह। तुलसी तहाँ न जाइए, कंचन बरसे मेह।

72. कान कतरना = बहुत चतुर होना-भाई, उसे बच्चा मत समझो; वह तो बड़े-बड़ों के कान कतरता है।

73. कानोंकान खबर होना = एक-दूसरे की बात का फैल जाना-मुझे कानोंकान खबर हुई कि चीनी का भाव बढ़ जाएगा।

74. कान पर जूं तक न रेंगना = कुछ असर न होना-माता-पिता ने पुत्र को बहुत समझाया, परन्तु उसके कान पर जूँ तक न रेंगी।

75. कान का कच्चा = जो झूठी शिकायत पर ध्यान दे-जो मालिक कानों के कच्चे होते हैं, वे भले कर्मचारियों को निकालकर अपना नुकसान कर लेते हैं।

76. काम तमाम करना = मार देना-झाँसी की रानी ने आक्रमण करने वाले दोनों अंग्रेजों का तत्काल ही काम तमाम कर दिया।

77. काया पलट होना = बहुत परिवर्तन होना-काश्मीर की सैर से तुम्हारी तो काया पलट हो गई।

78. काला अक्षर भैंस बराबर = बिल्कुल अनपढ़-राजू से पत्र क्या पढ़वाओगे, हिंदी के विषय में तो वह काला अक्षर भैंस बराबर है।

79. किनारा करना = साथ छोड़ देना-धन नष्ट हो जाने पर मित्रों ने उससे किनारा कर लिया।

80. कागज काले करना = व्यर्थ ही लिखना-इतने वर्षों से क्या तुम कागज ही काले कर रहे हो? तुम्हें तो लिखना ही नहीं आता।

81. किस्मत फूटना = भाग्य विपरीत होना-उनकी किस्मत फूटी हुई है जो वृद्ध माता-पिता की सेवा नहीं करते।

82. किस्मत को रोना = भाग्य को बुरा-भला कहना-जो लड़के पढ़ाई-लिखाई नहीं करते, परीक्षा में असफल होने पर अपनी किस्मत को रोते हैं।

83. किस्मत खुलना = भाग्य चमकना-भारत की स्वतन्त्रता के साथ किसानों की किस्मत खुल गई।

84. किताब का कीड़ा = हर समय पढ़ाई में लगे रहने वाला-किताब का कीड़ा बनने से स्वास्थ्य खराब हो जाता है।

85. कुत्ते की मौत मरना = बुरी तरह मरना देशद्रोह करने वाले कुत्ते की मौत मरते हैं।

86. कोल्हू का बैल = लगातार काम में लगा रहने वाला-कोल्हू का बैल बनकर भी आज लोग भरपेट भोजन नहीं पा सकते।

87. खरी-खोटी सुनाना = बुरी-भली कहना-आपस में खरी-खोटी सुनाने का क्या लाभ, शान्तिपूर्वक समझौता कर लो।

88. खटाई में पड़ना = संदिग्ध हो जाना- तुम्हारे आलस्य करने से तुम्हारी नौकरी का मामला खटाई में पड़ गया।

89. खिल्ली उड़ाना = हँसी उड़ाना- बड़े-बूढ़ों की खिल्ली उड़ाना भले लोगों का काम नहीं।

90. खाला जी का घर = बहुत सरल कार्य-सत्याग्रह करना कोई खाला जो का घर नहीं।

91. खाक में मिलाना = नष्ट-भ्रष्ट करना-रावण ने सीता को वापस न देकर स्वयं को खाक में मिला दिया।

92. खाने को दौड़ना= बुरी तरह बात करना-जब कभी हम उसे बुलाते हैं, तभी वह खाने को दौड़ता है।

93. खाक छानना = दर-दर भटकना राणा प्रताप ने वनों की खाक छाती, परन्तु अकबर की अधीनता स्वीकार न की।

94. खून खौलना = जोश आना-देश पर आक्रमण होते देखकर किसका खून नहीं खौलता !

95. खुशामदी टट्टू = दूसरों की चापलूसी करने वाला-शिवाजी जयसिंह की बातों में आ गए, जो मुगलों का खुशामदी टट्टू था।

96. खून का प्यासा = प्यासे बने हुए हैं। जानी दुश्मन-वे दोनों आजकल एक-दूसरे के खून के

97. खोपड़ी गंजी करना = बुरी तरह से पीटना-हलवाई ने बेचारे नौकर को मार-मारकर उसकी खोपड़ी गंजी कर दी।

98. खेत रहना = युद्ध में काम आना-कितने ही वीर इस युद्ध में खेत रहे।

99. खेल बिगाड़ना = काम खराब कर देना-उसने अपनी चंचलता से अपना बना-बनाया खेल बिगाड़ दिया।

100. खेल-खेल में = आसानी से उसने तो एम० ए० की परीक्षा भी खेल-खेल में ही पास कर ली।

मुहावरे क्या है परिभाषा एवं उदाहरण सहित

मुहावरे एवं लोकोक्तियाँ || Hindi Muhavare evam Lokoktiyan || IDIOMS AND PROVERBS || Hindi Grammar

101. गला घोंटना = अत्याचार करना जो सरकार गरीबों का गला घोंटती है वह देर तक नहीं टिक सकती।

102. गला फँसाना = बन्धन में पड़ना दूसरों के मामले में गला फँसाने से कुछ हाथ न आएगा।

103. गले मढ़ना = जबरदस्ती किसी को कोई काम सौंपना-इस बुद्ध लड़के को मेरे गले मढ़कर लालाजी ने तो मुझे तंग कर डाला है।

104. गले का हार = बहुत प्यारा श्रीमती इन्दिरा गांधी अपने कार्यों से भारतीयों के गले का हार बन गई थीं।

105. गत बनाना = दुर्दशा करना-तनिक मुझे गाली देकर देखो तो सही, मैं तुम्हारी कैसी गत बनाता हूँ।

106. गड़े मुर्दे उखाड़ना = पिछली बातों को याद करना-गड़े मुर्दे उखाड़ने से तो यही अच्छा है कि अब हम चुप हो जाएँ।

107. गिरगिट की तरह रंग बदलना = किसी बात पर स्थिर न रहना-कभी तुम कांग्रेसी बनते हो और कभी साम्यवादी; तुम्हें भी गिरगिट की तरह रंग बदलने में मजा आता है।

108. गुड़ गोबर करना = सब किया-कराया बरबाद कर देना-मैं तो लिख-लिखकर थक गया और इधर वर्षा के पानी ने मेरी सारी कापी गीली करके सारा गुड़ गोबर कर दिया।

109. गुरु घंटाल = वहुत धूर्त-उसकी बातों में न आना, वह तो पक्का गुरु घंटाल है।

110. गुदड़ी का लाल = छिपी हुई अमूल्य वस्तु या व्यक्ति-हरिजनों में से भी डॉक्टर अम्बेडकर जैसे गुदड़ी के लाल निकले हैं, जिनका नाम इतिहास में अमर है।

111. गुल खिलाना = कोई नीच कार्य करना-शैतान लड़के ने आज एक मनुष्य की जेब कतरकर एक और गुल खिला दिया।

112. गुलछर्रे उड़ाना = मौज उड़ाना-काश्मीर जाकर फलों के बगीचों में हमने वे गुलछरें उड़ाए कि उनकी याद आज भी ताजा है।

113. घर सिर पर उठाना = बहुत हल्ला मचाना-अरे बच्चों! घर को सिर पर क्यों उठा रखा है?

114. घर फूंककर तमाशा देखना = अपना नुकसान करके आनन्द मनाना-दीपावली पर अत्यधिक पटाखे चलाना घर फूँक तमाशा देखना है।

115. घर में गंगा बहना = सरलता से साधनों का मिल जाना-तुम्हारे पिताजी स्वयं विद्वान् हैं; तुम्हारे घर में ही गंगा बह रही है, फिर भी लाभ नहीं उठाते?

116. घड़ों पानी पड़ना = लज्जित होना-मनोहर अपनी योग्यता का बड़ा अभिमान करता था; परन्तु जब उसने सुना कि जगदीश परीक्षा में सर्वप्रथम रहा है, तो उस पर घड़ों पानी पड़ गया।

117. घाट-घाट का पानी पीना = बहुत अनुभवी होना-लाला राधाकृष्ण ने घाट-घाट का पानी पी रखा है।

118. घाव पर नमक छिड़कना = दुःखी को और दुःखी करना-देश में पहले ही महँगाई थी; उस पर टैक्स बढ़ाकर सरकार ने घाव पर नमक छिड़कने का काम किया है।

119. घास खोदना = फिजूल समय बिताना कब तक घास खोदते रहोगे, कोई अच्छा काम ढूँढ़ लो।

120. घात में रहना = अवसर देखना-बिल्ली सदा चूहों को पकड़ने की घात में रहती है। विद्यार्थी स्कूल से भागने की घात में रहते हैं।

121. घाव हरा होना = दुःख की घड़ियाँ याद आना-बहन से मिलते ही यशोदा का घाव हरा हो गया और वह अपने मरे हुए पुत्र की याद करके रोने लगी।

122. घिग्घी बँधना = गले से आवाज न निकलना सिंह को सामने देखकर तो उसकी घिग्घी बँध गई।

123. घी के दीये जलाना = बहुत खुशियाँ मनाना-अत्याचारी राजा के मरने पर प्रजा ने घी के दीये जलाये।

124. घोड़े बेचकर सोना = निश्चिन्त होना-निर्धन लोग ऐसे दिखाई देते हैं मानो घोड़े बेचकर सो रहे हों।

125. चम्पत होना = भाग जाना-माली को देखते ही फल तोड़ने वाले लड़के बगीचे से चम्पत हो गए।

126. चल बसना = मर जाना-मित्र! तुम्हारी दादी चल बसी है, यह जानकर हमें बहुत दुःख हुआ।

127. चंगुल में फँसाना = मीठी बातों से वश में करना-स्वार्थी मित्रों के चंगुल में फंसकर मैं अपना सब कुछ गंवा बैठा।

128. चाँदी का जूता = रुपया-पैसा-चाँदी के जूते से तो बड़े-बड़े अफसर भी वश में हो जाते हैं।

129. चाँद पर थूकना = किसी सौम्य व्यक्ति पर लांछन लगाना-गांधीजी को बुरा-भला कहना चाँद पर थूकने के समान है।

130. चादर से बाहर पैर पसारना = अपनी शक्ति से अधिक खर्च करना-चादर से बाहर पैर मत पसारो; नहीं तो कष्ट उठाओगे।

131. चारों खाने चित करना = बुरी तरह हराना-मास्टर चन्दगीराम ने अपने प्रतिद्वंद्वी पहलवान को चारों खाने चित करके खूब नाम कमाया।

132. चिकना घड़ा = जिस पर कुछ असर न हो-शशिकुमार तो चिकना घड़ा है; उस पर माता के कहने का कोई असर नहीं होता।

133. चूड़ियाँ पहनना = स्त्रियों के समान घर में ही बैठना-अरे सैनिको ! यदि लड़ने से जी चुराते हो तो चूड़ियाँ पहनकर घर में बैठो।

134. चुल्लूभर पानी में डूब मरना = शर्म अनुभव करना-धिक्कार है तुम जैसे कायरों को! अरे तुम कहीं चुल्लूभर पानी में क्यों नहीं डूब मरते !

135. चूल्हा न जलना = बहुत गरीब होना-भाई, हमारी क्या पूछते हो; हमारे घर तो दो-दो दिन चूल्हा भी नहीं जलता।

136. चेहरे पर हवाइयाँ उड़ना = घबरा जाना-जंगल में शेर को सामने से आते देख यात्री के चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लगीं।

137. चींटी के पर निकलना = मृत्यु-काल निकट आना-मेरे साथ लड़ाई करने क्यों आए हो? मालूम होता है कि चींटी के पर निकल आए हैं।

138. चैन की वंशी बजाना = बेफिक्र हो जाना-शेर के मर जाने पर सभी जानवर चैन की वंशी बजाने लगे।

139. चौकड़ी भरना = छलाँगें लगाना-मृग चौकड़ी भरते हुए कहीं के कहीं जा निकले।

140. चौकड़ी भूलना = सब मजा किरकिरा हो जाना-जब घर की जिम्मेदारियाँ पड़ती हैं, तो सब चौकड़ी भूल जाती है।

141. छक्के छुड़ाना = हराना-पृथ्वीराज ने युद्धभूमि में सत्रह बार मुहम्मद गोरी के छक्के छुड़ाए थे।

142. छाती ठोककर कहना = दावे से कहना मैं छाती ठोककर कहता हूँ कि यदि किसी ने भी आगे कदम बढ़ाया तो मैं उसकी अच्छी गत बनाऊँगा।

143. छठी का दूध याद आना = बहुत घबरा जाना-सन् अठारह सौ सत्तावन के संग्राम में अंग्रेजों को छठी का दूध याद आ गया था।

144. छाती पर मूँग दलना = विरोधी के साथ साहस से रहना-लो, मैं तुम्हारे घर से चली जाती हैं; पर याद रखना कि मैं इसी गाँव में रहते हुए तुम्हारी छाती पर मूँग दलूँगी।

145. छाती पर पत्थर रखना = हौसला रखना इकलौते पुत्र की मृत्यु का दुःख उसने छाती पर पत्थर रखकर सह लिया।

146. छप्पर फाड़कर देना = अचानक धन आ जाना-जब भगवान देता है तो छप्पर फाड़कर देता है।

147. छोटा मुँह बड़ी बात = बढ़ा-चढ़ाकर कहना-गीदड़ ने कहा, तुम सोचते होगे कि मैं छोटा मुँह बड़ी बात कह रहा हूँ, परन्तु तुम देखना कि मैं बुद्धि से शेर को कैसे वश में करता हूँ।

148. जहर का घूँट पीना = क्रोध रोक लेना-शिशुपाल ने अनेक बार श्रीकृष्ण की बुरा-भला कहा, पर वे जहर का घूँट पीते रहे।

149. जल-भुनकर कोयला होना = विरोधी जल-भुनकर कोयला हो गए। ईर्ष्या से भर जाना-मेरी सफलता को देखकर

150. जलती आग में घी डालना = लड़ाई या क्रोध को और भड़काना-एक तो कौरवों और पांडवों में पहले ही टक्कर रहती थी, तिस पर द्रौपदी का अपमान करके कौरवों ने जलती आग में घी डाल दिया।

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151. जान के लाले पड़ना = गम्भीर विपत्ति में फँसना-पाकिस्तानियों को तो गृहकलह के कारण अपनी जान के लाले पड़े हुए हैं; वे आजाद काश्मीर की सहायता क्या करेंगे?

152. जान को रोना = दुःखी होकर कोसना-कमला ! देखो घर में तुमने पानी बिखेरकर कीचड़ कर दिया; अब भला मैं किसकी जान को रोऊँ !

153. जिन्दगी के दिन पूरे करना = कठिनाई में समय बिताना-जिनके घर में न खाने को है, न पहनने को; सचमुच वे जिन्दगी के दिन पूरे कर रहे हैं।

154. जी का बुखार निकालना = गुस्से के कारण किसी को मारना-पीटना-प्लेटें तो अपने हाथ से टूटी हैं, परन्तु देवी जी अपने जी का बुखार मुन्नी पर निकाल रही हैं।

155. जीती मक्खी निगलना = जान-बूझकर गलती करना मैं डॉक्टर महोदय की योग्यता को जानता हूँ। बच्चे को इनके सुपुर्द करके मैं जीती मक्खी नहीं निगलना चाहता।

156. जूते से खबर लेना = बुरी तरह मरम्मत करना अगर उसने मेरे घर में फिर प्रवेश किया तो उसकी जूतों से खबर ली जाएगी।

157. जूती चाटना = खुशामद करना-नौकरी के लिए दूसरों की जूती चाटने से तो स्वतन्त्र कार्य कर लेना कहीं अच्छा है।

158. जूतियाँ चटकाते फिरना = दर-दर धक्के खाना-जिनके पास कोई कला नहीं, वे पढ़-लिखकर भी जूतियाँ चटकाते हैं।

159. टका-सा जवाब देना = कोरा उत्तर देना-आशा थी कि मिल का मैनेजर हमें कहीं लगा देगा; परन्तु उसने तो टका-सा जवाब दे दिया।

160. टाँगें पसारकर सोना = बेफिक्र सोना-परीक्षा देने के बाद तो विद्यार्थी टाँगें पसारकर सोते हैं।

161. टाँग अड़ाना = व्यर्थ में दखल देना-तुम दूसरे के मामले में टाँग क्यों अड़ाते हो, अपना काम करो।

162. टस से मस न होना = हठ न छोड़ना-माता-पिता ने बच्चे को स्कूल जाने के लिए बहुत ही समझाया-बुझाया; पर वह टस से मस न हुआ।

163. टट्टी की ओट में शिकार खेलना = बहानेबाजी से काम निकालना-शरणार्थियों की सहायता के नाम पर धन इकट्ठा करके कई लोग टट्टी की ओट में शिकार खेलते थे।

164. टोपी उछालना = अपमानित करना-उस मूर्ख को कौन समझाए, वह तो बड़ों-बड़ों की टोपी उछाल देता है।

165. ठन-ठन गोपाल = पैसा पास न होना-आप मुझसे रुपये माँग रहे हैं, परन्तु यहाँ तो पहले से ही ठन-ठन गोपाल हैं।

166. ठिकाने लगाना = उपयुक्त अवस्था में पहुँचा देना-मार से तुम्हारा दिमाग ठिकाने लगा दिया जाएगा, वैसे तो तुम नहीं मानोगे।

167. ठोकरें खाना = धक्के खाना-घर से निकलकर दर-दर की ठोकरें खाने से तो माता-पिता की आज्ञा में रहना ही अच्छा है।

168. डंडे बजाते फिरना = अवारा फिरना-दिन-भर तो डंडे बजाते फिरते रहे और रात दस बजे याद आई है स्कूल के काम की।

169. डकारना = हड़प कर लेना-मुञ्ज ने भोज के राज्य को डकारने की इच्छा से उसे मरवाने का प्रयत्न किया।

170. डींगें हाँकना = शेखी बघारना चार पैसे तो पास हैं नहीं, कोरी डींगें हाँकने का क्या लाभ?

171. डूबते को तिनके का सहारा = संकट में थोड़ी सहायता मिलना-रामजी के दूत हनुमान को देखकर सीताजी की जान में जान आई; सच है, डूबते को तिनके का सहारा काफी होता है।

172. डूबती नाव बचाना = कठिनाई से पार करना-किसान ने सेठ से कहा, 'महाराज! कन्या का विवाह आ पहुँचा है, अब डूबती नाव बचाना आपके ही हाथ में है।'

173. डूब मरना = बहुत लज्जित होना-चोरी का भेद खुलने पर लालाजी का नौकर तो डूब मरना चाहता था।

174. डंके की चोट = दावे के साथ-मैं डंके की चोट कह सकता हूँ कि भारत भविष्य में एक शक्तिशाली राष्ट्र बनेगा।

175. डंका बजाना = नाम ऊँचा करना-ऋषि दयानन्द ने संसार-भर में वेदों का डंका बजा दिया।

176. तलवे चाटना = खुशामद करना-तलवे चाटकर नौकरी करने से तो डूब मरना कहीं अच्छा है।

177. तिनका दाँतों में लेना = हार मानना-तिनका दाँतों में लेकर सामने आए हुए शत्रु को वीर मनुष्य छोड़ देते हैं।

178. तिल का ताड़ बनाना = मामूली-सी बात को बढ़ा-चढ़ाकर बतलाना-कई स्त्रियाँ तिल का ताड़ बनाकर घर में झगड़ा खड़ा कर लेती हैं।

179. त्यौरी चढ़ाना = गुस्सा करना-ज्योंही अफसर ने त्यौरी चढ़ाकर सिपाही की ओर देखा, वह चुपके से काम पर चला गया।

180. तीन-तेरह होना = बिखर जाना-अश्रुगैस के फैलते ही सारी जनता तीन-तेरह हो गई।

181. थाली का बैंगन = अस्थिर विचार वाला जो लोग थाली के बैंगन होते हैं, वे किसी के सच्चे मित्र नहीं हो सकते।

182. थूककर चाटना = दिए हुए वचन को तोड़ना-मैंने कह दिया है कि में मित्र की सहायता अवश्य करूँगा। इसलिए मैं अब थूककर नहीं चाट सकता।

183. दाँत खट्टे करना = बुरी तरह परास्त करना-झौसी की रानी लक्ष्मीबाई ने सन् सत्तावन के स्वतन्त्रता संग्राम में कई बार शत्रु सेना के दाँत खट्टे किए।

184. दाँत पीसना = क्रोध करना-भला मुझ पर क्यों दाँत पीसते हो? मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है?

185. दाँतों तले उँगली दबाना = आश्चर्य प्रकट करना-सरकस में मौत के कुएँ में मोटरसाइकिल को चलता देखकर दर्शक दौतों तले उंगली दबाने लगे।

186. दीया लेकर ढूँढ़ना = अच्छी तरह खोजना-आजकल सीता और सावित्री जैसी पतिव्रता स्त्रियाँ दीया लेकर ढूँढ़ने से भी नहीं मिलतीं।

187. दाने-दाने को तरसना = बहुत गरीब होना-तुलसीदास जी ने अपने बारे में लिखा है कि वह बचपन में दाने दाने को तरसते थे।

188. दाल में कुछ काला = कुछ भेद होना-अध्यापक जी ने बेंत गुम होने पर बच्चों से पूछा, तो सब एक-दूसरे को देखने लगे। अध्यापक जी समझ गए कि दाल में कुछ काला है।

189. दिन दूनी रात चौगुनी = बहुत अधिक उन्नति-स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात भारत दिन दूनी रात चौगुनी उन्नति कर रहा है।

190. दम भरना = अभिमान करना-अपनी बहादुरी का व्यर्थ दम न भरी, तुम्हारी बहादुरी तो उस दिन देख ली थी, जब चूहे से डरकर भागे थे।

191. दूध के दाँत न टूटना = छोटी उम्र होना-अभी श्रीकृष्ण के दूध के दाँत भी न टूटे थे कि कंस ने उन्हें बुला भेजा।

192. दो दिन का मेहमान = अस्थायी-  हम सब इस संसार में दो दिन के मेहमान हैं; पता नहीं कब काल बली का बुलावा आ जाए।

193. दौड़-धूप करना = कठोर परिश्रम करना-उने निरन्तर दौड़-धूप करके अपनी नौकरी ढूँढ़ ली।

194. दाल न गलना = सफल न होना औरंगजेब ने अनेक चालें चलीं परन्तु शिवाजी के सामने उसकी दाल न गल सकी।

195. दोनों हाथों में लड्डू = दोनों दशाओं में लाभ होना-यदि मैं कश्मीर चला गया तो खूब सैर-सपाटे करूँगा और यदि वहीं रहा तो कोई नई पुस्तक लिख डालूँगा। इस प्रकार मेरे तो दोनों हाथों में लड्डू हैं।

196. धज्जियाँ उड़ाना = किसी के कयन को निरस्त करना-मनोहर ने राकेश पर जो आरोप लगाये थे, राकेश ने अपने भाषण से उन आरोपों की धज्जियाँ उड़ा दीं।

197. धोती ढीली होना = घबरा जाना-सौंप को देखते ही लालाजी की धोती ढीली हो गई।

198. नमक-मिर्च लगाना = बढ़ा-चढ़ाकर कहना-आजकल समाचारपत्र किसी की बात को इस प्रकार नमक-मिर्च लगाकर लिखते हैं कि उस पर सामान्य जनता विश्वास करने लगती है।

199. नाक में दम करना = बहुत तंग करना-शिवाजी के गुरिल्ला युद्ध ने मुगलों की नाक में दम कर दिया।

200. नाकों चने चबवाना = बहुत तंग करना-सन् 1942 में सत्याग्रहियों ने अंग्रेजों को ऐसे नाकों चने चबवाए कि उन्होंने भारत का शासन छोड़ने का निश्चय कर लिया।

प्रसिद्ध हिंदी मुहावरे - Muhavare in Hindi, Meaning, Examples

hindi muhavare

201. नाक रखना = मान रखना-जो सन्तानें माता-पिता की नाक नहीं रखतीं उन्हें धिक्कार है।

202. नानी याद आना = बहुत संकट में पड़ना-जर्मनी के वीरों को भी स्टालिनग्राड की लड़ाई में नानी याद आ गई।

203. नानी मर जाना = घबरा जाना-बिल्ली को देखते ही चूहों की नानी मर जाती है।

204. नौ दो ग्यारह होना = भाग जाना-भारतीय सैनिकों के पहुँचते ही शत्रु की सेना नौ दो ग्यारह हो गई।

205. पगड़ी उछालना = अपमान करना-वह हर एक की पगड़ी उछालने लगता है, शायद उसे अभी तक किसी के हाथ नहीं लगे।

206. पत्थर की लकीर = पक्की बात-राम ने जो कुछ कहा, वह पत्थर की लकीर है।

207. पाला पड़ना = मुकाबले में आना-रूस से पाला पड़ते ही जर्मनी की हेकड़ी निकल गई।

208. पापड़ बेलना = दुःखी जीवन बिताना हममें से कितने ही व्यक्तियों का जीवन पापड़ बेलने में ही बीत जाता है, और हम सन्तोष की साँस नहीं ले पाते।

209. पाँच उँगलियां घी में होना = बहुत लाभ होना-मित्र, तुम एम० ए० में पास भी हो गए और एक बड़ी नौकरी भी लग गई; अब तो तुम्हारी पाँचों उँगलियाँ घी में हैं।

210. पानी-पानी होना = लज्जित होना-ज्यों ही मोहन ने पिताजी के बटुये में हाथ डाला कि ऊपर से पिताजी आ गए। बस उन्हें देखते ही वह पानी-पानी हो गया।

211. पेट में चूहे कूदना = बहुत भूख लगना-भाई, मेरे पेट में तो चूहे कूद रहे हैं, कुछ खाने को लाओ।

212. पाँव उखड़ना = हार जाना-अफजल खाँ के मरते ही उसकी सेना के पाँव उखड़ गए।

213. पीठ दिखाना = भाग जाना-वीरांगना ने परास्त पति से कहा, 'यदि युद्ध में पीठ दिखोनी थी तो मुझसे विवाह क्यों किया था?'

214. पाप कटना = छुटकारा मिलना-झगड़ालू पड़ोसी यहाँ से चला गया है, पाप कटा।

215. पोल खोलना = भेद खोलना-विभीषण ने राम से मिलकर रावण की पोल खोल दी।

216. फूंक-फूंककर पैर रखना = सोच-सोचकर कदम बढ़ाना-युवावस्था में फूंक-फूंककर कदम रखने चाहिए।

217. फूला न समाना = बहुत खुश होना-बिछड़े पुत्र से मिलकर माता फूली न समाई।

218. फूटी आँखों न भाना = बिल्कुल अच्छा न लगना-तुम जैसे झूठे बच्चे मुझे फूटी आँखों नहीं भाते।

219. फूट-फूटकर रोना = बहुत अधिक रोना-दशरथ की मृत्यु का समाचार सुनकर भरत और शत्रुघ्न फूट-फूटकर रोए थे।

220. बगुला भगत = धूर्त मनुष्य-आजकल साधु के वेश में अनेक बगुला भगत होते हैं, जो सदा दूसरों के माल की ताक में रहते हैं।

221. बगलें झाँकना = कुछ उत्तर न सूझना-जब अध्यापक जी ने पूछा कि सबसे बड़ा महाद्वीप कौन-सा है तो सुरेन्द्र बगलें झाँकने लगा।

222. बछिया का ताऊ = मूर्ख मनुष्य-अरे! तुम उससे क्या सलाह लेते हो! वह तो बछिया का ताऊ है।

223. बट्टा लगाना = कलंक लगाना-राम ने कहा, 'मैं प्रतिज्ञा तोड़कर रघुकुल पर बट्टा नहीं लगा सकता।'

224. बल्लियों उछलना = खुशी से फूला न समाना-नरेन्द्र एम० ए० में यूनिवर्सिटी में फर्स्ट आकर बल्लियों उछलने लगा।

225. बन्दर घुड़की = झूठा भय-यहाँ तुम्हारी बन्दर-घुड़कियों से डरने वाले नहीं हैं, यदि कुछ कर सकते हो तो मैदान में उतर आओ।

226. बाल की खाल उतारना = बहुत नुक्ताचीनी करना व्यर्थ में बाल की खाल उतारने का कोई लाभ नहीं; साथ चलना हो तो चलो।

227. बाल बाँका करना = थोड़ी-सी भी हानि पहुँचाना-मेरे जीते जी किसकी शक्ति है जो तुम्हारा बाल बाँका कर सके।

228. बाल-बाल बचना = बड़ी कठिनता से बचना-मोटर की टक्कर होने पर मेरा मित्र बाल-बाल बच गया।

229. बाग-बाग होना = बहुत प्रसन्न होना-चार वर्ष के बाद अपने मित्र से मिलकर उसका हृदय बाग-बाग हो गया।

230. बात की बात = देखते ही देखते जब मैं घर से निकला तो आकाश में बादल का नाम न था, पर बात की बात में ही घटाएँ उमड़ आईं और वर्षा भी हो गई।

231. बाँह पकड़ना = सहारा देना-जिसकी बाँह पकड़ी हो उसकी सब प्रकार से रक्षा करना वीरों का कर्तव्य है।

232. बायें हाथ का खेल = मामूली बात इस नदी को पार करना तो मेरे बायें हाथ का खेल है।

233. बाजार गर्म होना = बहुत अधिकता होना-आजकल सब और रिश्वत का बाजार गर्म है; कोई भी रिश्वत लेने से नहीं डरता।

234. बेगार टालना = दिल लगाकर काम न करना-यदि पढ़ना है तो अच्छी तरह पढ़ो, बेगार टालने से क्या लाभ?

235. भाड़ झोंकना = यों ही समय बिता देना-बम्बई जाकर यदि तुमने अग्निबोट में बैठकर समुद्र की सैर नहीं की तो तुम वहाँ जाकर भाड़ ही झोंकते रहे।

236. भीगी बिल्ली बनना = डर जाना-ज्यों ही अध्यापक ने कमरे में कदम रखा शैतान बालक भीगी बिल्ली बनकर बैठ गए।

237. भिड़ के छत्ते को छेड़ना = झगड़ालू से झगड़ा मोल लेना-पुरुषोत्तम से कुछ मत कहना, वह बड़ा झगड़ालू है। यदि तुमने भिड़ के छत्ते को छेड़ दिया तो संकट में पड़ जाओगे।

238. मक्खियाँ मारना = निकम्मे रहकर समय बिताना यह समय मक्खियाँ मारने का नहीं है; घर पर कुछ काम-काज ही कर दो।

239. मगज चाटना = बातें कर-करके तंग कर देना-इन लड़कों ने तो आज मगज चाट लिया है, अब तो इन्हें चुप कराइए।

240. मजा किरकिरा होना = रंग में भंग होना-शादी की खूब तैयारी थी; परन्तु जब बारात रोटी खाने बैठी तभी तूफान आ गया और सब मजा किरकिरा हो गया।

241. मन की मन में रह जाना = आशाएँ पूर्ण न होना-मनुष्य भविष्य के बारे में कितनी ही बातें सोचता है, परन्तु जब काल आ पहुँचता है तो सब मन की मन में ही रह जाती है।

242. मन के लड्डू फोड़ना = करना-धरना तो कुछ नहीं, केवल कल्पनाओं में ही समय बिताना-आजकल लोग परिश्रम नहीं करते, केवल मन के लड्डू फोड़ने में ही लगे रहते हैं।

243. माथा ठनकना = सन्देह होना-गीदड़ ने शेर के पंजों के निशान रेत पर देखे तो उसका माथा ठनका कि अवश्य ही गुफा में शेर बैठा होगा।

244. माथे पर बल पड़ना = गुस्सा चढ़ना-न्यूटन के बारे में प्रसिद्ध है कि बड़ी से बड़ी हानि होने पर भी उसके माथे पर कभी बल नहीं पड़ा था।

245. मिट्टी खराब करना = बुरा हाल करना-आजकल के कितने ही नौजवान अपने बड़ों की मिट्टी खराब करते रहते हैं।

246. मुँह की खाना = हार होना-झाँसी के युद्ध में अंग्रेजों को मुँह की खानी पड़ी।

247. मुँह में पानी भर आना = दिल ललचाना-रसगुल्लों का नाम सुनते ही किसके मुँह में पानी नहीं भर आता?

248. मुँह में खून लगना = व्यसन पड़ जाना-जिन सिपाहियों के मुँह में रिश्वत का खून लगा हुआ है, वे तो अपराधों को बढ़ाने में ही साथ देंगे; उनसे राष्ट्र को कोई लाभ नहीं।

249. मुँह रखना = मान रखना मैं तो तुम्हारा मुँह रखने के लिए ही चिरंजीत के पास गया था; नहीं तो मुझे क्या आवश्यकता थी।

250. मुँहतोड़ जवाब देना = ऐसा उत्तर देना कि दूसरा फिर न बोल सके अफसर मुझे दबा लेना चाहता था, परन्तु मेरा मुँहतोड़ जवाब सुनकर फिर न बोल सका।

हिंदी मुहावरे की विशेषताएं : Hindi Vyakaran

251. मुँह पर कालिख पोतना = कलंक लगाना-शराब पीकर उसने पिता के मुँह पर कालिख पोत दी।

252. मुट्ठी गरम करना = रिश्वत देना-किसी अधिकारी की मु‌ट्ठी गरम करके काम निकालना देश के साथ गद्दारी है।

253. मौत सिर पर खेलना = मृत्यु का पास होना-तुम मुझे तंग कर रहे हो, मालूम होता है कि मौत तुम्हारे सिर पर खेल रही है।

254. रंग में भंग = प्रसन्नता के समय अनर्थ हो जाना-कन्या के विवाह की तैयारियाँ हो चुकी थीं, परन्तु अचानक पिता की मृत्यु से रंग में भंग हो गया।

255. रंग उड़ना = घबरा जाना-काले नाग को देखते ही रमेश का रंग उड़ गया।

256. रंग बदलना = किसी भी रूप में स्थिर न रहना-आज के पूँजीपतियों की कुछ न पूछो, वे अपना काम निकालने के लिए न जाने कितने रंग बदलते हैं।

257. रंगा सियार = धोखा देने वाला-जब साधु कपड़े लेकर भाग गया तो आखिर उस रंगे सियार का भेद खुल ही गया।

258. रफूचक्कर होना = भाग जाना-सौ रुपये के माल के चार सौ बनाकर ठग एकदम रफूचक्कर हो गया।

259. राई का पहाड़ बनाना = छोटी-सी बात को बड़ा बना देना-तुम तो राई का पहाड़ बनाकर हर रोज ही नया झगड़ा खड़ा कर देती हो।

260. लकीर का फकीर = केवल घिसी-पिटी परिपाटी पर चलने वाला और अपनी बुद्धि से कुछ भी न सोचने वाला जो लेखक लकीर के फकीर होते हैं, उनसे समाज की उन्नति होने की कोई आशा नहीं।

261. लम्बी-चौड़ी हाँकना =  इधर-उधर की बातें करना-लम्बी-चौड़ी हाँकने से कोई लाभ नहीं, जो कहना है साफ कहो।

262. लट्टू होना = मस्त होना-शकुन्तला की सुन्दरता पर दुष्यन्त लट्टू हो गए।

263. लहू का घूँट पीना = क्रोध को रोक लेना-पिता अपने पुत्र के द्वारा चोरी करके रुपये लाने की बात सुनकर लहू का घूँट पीकर रह गए।

264. खून-पसीना एक करना = बहुत परिश्रम करना किसान खून-पसीना एक करके अन्न पैदा करता है।

265. लाल-पीला होना = क्रोध करना-लड़की पर लाल-पीले क्यों हो रहे हो? आखिर प्लेट ही तो टूटी है।

266. लुटिया डुबोना = काम खराब कर देना-मैंने तो मेहनत करके फुलवाड़ी तैयार की थी और तुमने उसमें भैंस छोड़कर लुटिया ही डुबो दी।

267. लेने के देने पड़ना = लाभ के बदले हानि होना-यहाँ मैं काम ढूँढ़ने आया था, परन्तु बीमार होने के कारण लेने के देने पड़ गए।

268. लोहे के चने चबाना = बहुत कठिनाइयों का सामना करना-अकबर को राणा प्रताप से टक्कर लेते समय लोहे के चने चबाने पड़े।

269. लोहा मानना = शक्ति को स्वीकार करना-आखिरकार मुगल सम्राट् औरंगजेब को शिवाजी का लोहा मानना ही पड़ा।

270. विष उगलना = बुरा-भला कहना-अरे भई! व्यर्थ क्यों विष उगल रहे हो, असल बात तो बताओ।

271. विष की गाँठ = हानि पहुँचाने वाला व्यक्ति-तुम जिसको मित्र समझते हो, वह विष की गाँठ से कम नहीं है।

272. विष घोलना = बुराई करना-सुरेश को तो मैंने अपने पक्ष में कर लिया था पर अखिल ने आकर विष घोल दिया और काम बिगड़ गया।

273. शहद लगाकर चाटना = किसी काम में न आना-परीक्षा तो दे चुके हो, अब क्या इस पुस्तक को शहद लगाकर चाटोगे?

274. शैतान के कान कतरना = बहुत चतुर होना-तुम जगदेव को सीधा-सादा मत समझो; वह तो शैतान के भी कान कतरता है।

275. श्रीगणेश करना = शुरू करना आज बृहस्पतिवार है; नये वर्ष की पढ़ाई का श्रीगणेश कर दो।

276. शिकार होना = वश में होना, मर जाना-आज की खबर है कि उत्तर प्रदेश में लगभग दो हजार आदमी हैजे के रोग से मृत्यु के शिकार हो गए। दुष्यन्त वन में शिकार करने गया था, स्वयं शकुन्तला का शिकार हो गया।

277. समझ पर पत्थर पड़ना = न सोचना, न समझना-पता नहीं तुम्हारी समझ पर क्या पत्थर पड़ गए हैं, जो तुम मामूली बात भी नहीं समझते !

278. सब्ज बाग दिखाना = ललचाने वाली बातें करना-रावण ने सीता को पटरानी बनाने के लिए बड़े-बड़े सब्ज बाग दिखाए परन्तु उस पतिव्रता ने उसको फटकार ही दिया।

279. सात घाट का पानी पीना = बहुत अनुभवी होना-लाला किशोरीलाल साधारण व्यापारी नहीं हैं, उन्होंने सात घाट का पानी पिया हुआ है।

280. सिर पर भूत सवार होना = धुन सवार होना-तुम्हारे सिर पर तो हर समय परीक्षा का भूत सवार रहता है।

281. सिर पर मौत खेलना = मृत्यु होना-सीता ने कहा, 'रावण! तुम मुझे जो धमकी देते हो, इससे मालूम होता है कि तुम्हारे सिर पर मौत खेल रही है।'

282. सिर पर खून सवार होना = मरने-मारने को तैयार होना-उसे मत छेड़ना; उसके सिर पर तो झट खून सवार हो जाता है।

283. सिर-धड़ की बाजी लगाना = प्राणों की भी परवाह न करना-वीर लोग न्याय की रक्षा के लिए सिर धड़ की बाजी लगा दिया करते हैं।

284. सिर नीचा करना = लजा जाना-रमेश को जब धूम्रपान न करने के लिए पिताजी ने समझाया तो उसने सिर नीचा कर लिया।

285. सोने की चिड़िया = बहुत कीमती वस्तु-समय सोने को चिड़िया है, देखना कहीं हाथ से न निकल जाए।

286. हथियार डाल देना = हार मानना तुम्हारी युक्तियों के सामने आखिर मुझे हथियार डालने ही पड़ गए।

287. हवाई किले बनाना = करना-धरना कुछ नहीं, केवल कल्पना करते रहना-जो।केवल हवाई किले ही बनाते हैं, संसार में वे कुछ करके नहीं दिखा सकते।

288. हवा से बातें करना = बहुत तेज दौड़ना-राणा ने ज्यों ही लगाम हिलाई, चेतक हवा से बातें करने लगा।

289. हवा लगना = असर पड़ना-भारतीयों को भी पश्चिम की हवा लग गई है, तभी तो फैशन के लिए बावले हुए फिरते हैं।

290. हाथ डालना = शुरू करना - किसी काम में हाथ डालने से पहले उसके अच्छे-बुरे परिणाम पर विचार कर लेना चाहिए।

291. हाथ-पाँव मारना = यत्न करना-हाथ-पाँव मारने वाला व्यक्ति अन्त में अवश्य सफलता प्राप्त करता है।

292. हाथ साफ करना = लूट लेना या चुरा लेना-ओह ! न जाने कौन मेरी साइकिल पर हाथ साफ कर गया।

293. हाथ मलते रह जाना = पछताना जो बिना सोचे-समझे काम शुरू करते हैं, वे अन्त में हाथ मलते रह जाते हैं।

294. हाथों-हाथ = बहुत जल्दी-यदि आम खरीदने हैं तो अभी ले जाओ, नहीं तो ये हाथों-हाथ बिक जाएँगे।

295. हाथों के तोते उड़ जाना = दुःख से हैरान हो जाना-भाई की मृत्यु का समाचार सुनते ही उसके हाथों के तोते उड़ गए।

296. हाथ पर हाथ धरके बैठना = निकम्मा होना - उद्यमी लोग हाथ पर हाथ धरकर नहीं बैठते; वे तो कुछ करके दिखलाते हैं।

297. हाथ खींचना = साथ न देना-स्वार्थी मित्र विपत्ति के समय हाथ खींच लेते हैं।

298. हाथ खाली होना = रुपया-पैसा न होना-जुआ खेलने के कारण राजा नल का हाथ खाली हो गया।

पौराणिक कथाओं से सम्बन्धित मुहावरे

त्रिशंकु - न इधर का न उधर का-अधबीच लटका हुआ।

दुर्वासा - कोप-घोर क्रोध, मानो भयंकर शाप देगा।

नारद-भ्रमण - हर समय घूमते रहना।

नारद मुनि - इधर की उधर लगाने वाला, निन्दा-चुगली करने वाला।

हम्मीर हठ - प्राण चले जायें; परन्तु हठ न छोड़ना।

महादेव की बारात - कुरूप और भद्दी वेशभूषा वाली मण्डली।

महादेव का चुम्बक - ऐसा चिमटे कि पीछा न छोड़े।

भीलनी के बेर - तुच्छ परन्तु श्रद्धा से दी गई वस्तु ।

दशरथ वचन - भले प्राण ही चले जायें पर वचन न टले।

समुद्रसंतरण - कठिन से कठिन काम करना।

लंकादहन - भीषण आग लगना।

द्रौपदी का चीर - ऐसी वस्तु जो समाप्त ही न हो।

अंगद का पैर - मनुष्य या उसका प्रण अथवा कदम जो न टले।

भीष्म प्रतिज्ञा - अटल प्रण, कोई दृढ़ निश्चय ।

कर्णदान - ऐसा दान जिसकी तुलना न हो।

बलि-बन्धन - अपनी युक्ति से बलवान को भी बन्धन में बाँध लेना।

प्रताप-प्रतिज्ञा - भीषण प्रतिज्ञा, जिसमें कष्ट ही कष्ट हों।

भगीरथ-प्रयत्न - महान् कार्य के लिए घोर प्रयत्न।

रामराज्य - ऐसा शासन जिसमें प्रजा को चैन हो।

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