Hindi Poem on Country in crisis, Desh Par Kavita, Adhunik Hindi Kavita, Hindi Poetry Collection for Recent Issues, Poem on India. Hindi Translated Poems, Anuvad Kavita.
Sankat Mein Desh Hindi Kavita
Dr. Ramgopal Sharma 'Dinesh' Poetry in Hindi Sankat Mein Desh Hindi Kavita, Hindi Poetry Community, Poetry lover's, Kavita Kosh Hindi, Kavita Sangrah.
Hindi Poem Sankat Mein Desh
हिंदी अनुवाद कविता संकट में देश (मूल लेखक) डॉ. रामगोपाल शर्मा 'दिनेश' की कविता, अनुवाद हिन्दी कविताएं, हिन्दी कविता कोश, हिन्दी कविता संग्रह, देश की वर्तमान स्थिति पर कविता, संस्कृति और सभ्यता पर आधारित कविता।
संकट में देश (हिन्दी पाठ)
ऋतुएँ बदल रही हैं, भारत बदल रहा है।
हर जन गुलाम होने, हर पल मचल रहा है।
नंगी हुई है नारी, फैशन बढ़ा है इतना
मन का शिकार हर जन, ईमान छल रहा है।
चूहों के डर से घर में, सब काँपने लगे हैं
चोरों का काम दिन में, अब फूल-फल रहा है।
निरपेक्ष धर्म से सब, खुद को बता रहे हैं
पर कुर्सियों की खातिर, प्रभु-पाठ चल रहा है।
दीमक कई दशक से, नेतृत्व को लगी है
हर नीति का जनाज़ा, हर दिन निकल रहा है।
किस-किस को दोष दोगे, है भाँग कूप में ही
दुश्मन छिपाए खंजर, छाती से मिल रहा है।
बारूद है दिलों में, आँखों में हैं इशारे
उसके छिपे कदम में भूचाल चल रहा है।
जो राग है पुराना, उसके लिए वही सच
हर दिन चतुर खिलाड़ी, पाशा बदल रहा है।
हो जाति-धर्म कोई, रहना हमें यहीं है
सच भूल क्यों परस्पर, फिर वैर पल रहा है?
(मूल लेखक) डॉ. रामगोपाल शर्मा 'दिनेश'
ये भी पढ़ें; प्रतिनिधि बाल कविता: राष्ट्रधर्म अपनाओ