संकट में देश : डॉ. रामगोपाल शर्मा 'दिनेश'

Dr. Mulla Adam Ali
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संकट में देश (हिन्दी पाठ)

ऋतुएँ बदल रही हैं, भारत बदल रहा है।

हर जन गुलाम होने, हर पल मचल रहा है।


नंगी हुई है नारी, फैशन बढ़ा है इतना

मन का शिकार हर जन, ईमान छल रहा है।


चूहों के डर से घर में, सब काँपने लगे हैं

चोरों का काम दिन में, अब फूल-फल रहा है।


निरपेक्ष धर्म से सब, खुद को बता रहे हैं

पर कुर्सियों की खातिर, प्रभु-पाठ चल रहा है।


दीमक कई दशक से, नेतृत्व को लगी है

हर नीति का जनाज़ा, हर दिन निकल रहा है।


किस-किस को दोष दोगे, है भाँग कूप में ही

दुश्मन छिपाए खंजर, छाती से मिल रहा है।


बारूद है दिलों में, आँखों में हैं इशारे

उसके छिपे कदम में भूचाल चल रहा है।


जो राग है पुराना, उसके लिए वही सच

हर दिन चतुर खिलाड़ी, पाशा बदल रहा है।


हो जाति-धर्म कोई, रहना हमें यहीं है

सच भूल क्यों परस्पर, फिर वैर पल रहा है?


(मूल लेखक) डॉ. रामगोपाल शर्मा 'दिनेश'

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