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Jyoti Parv Aaya Hindi Bal Kavita
Jyoti Parv Aaya Children's Poem
ज्योति पर्व आया
जगमग-जगमग दीप जल उठे,
ज्योति पर्व आया।
तोड़ तिमिर के बन्धन सारे,
आओ खुशी मनाएँ।
घर-घर में खुशहाली छाए,
ऐसे दीप जलाएँ।
दीप ज्योति का पर्वधरा पर,
स्वर्णिम अवसर लाया। ज्योति...
प्राण किये बलिदान देश पर,
एक दीप उस द्वारे ।
एक-एक दीपक उस घर में,
जहाँ सदा अँधियारे ।
साथ निभाना है निर्धन का,
बन कर उसका साया। ज्योति...
एक दीप उस घर भी रखना,
जिसने अपना खोया।
पूरे वर्ष बनाया मातम,
फूट-फूटकर रोया।
आज उसे कुछ लगे कि जैसे,
उसने भी कुछ पाया। ज्योति...
धरती के सब प्राणी खुल कर,
नाचे झूमे गाएँ।
भूल परस्पर भेद भाव सब,
अभिनव पर्व मनाएँ।
जीवन में जीवन को समझें,
हो कुछ ऐसी माया। ज्योति...
जगमग-जगमग दीप जल उठे,
ज्योति पर्व आया।
- डॉ. परशुराम शुक्ल
बाल साहित्यकार,
भोपाल (मध्यप्रदेश)
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