बाल कविता कोश: दुनिया

Dr. Mulla Adam Ali
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दुनिया


कभी हँसती, कभी रूलाती,

बच्चों ! अजब निराली दुनिया।

इन्द्रधनुष से रंगों वाली,

अलबेली मतवाली दुनिया ।।

रंग बिरंगी इस दुनिया में,

साधू, ज्ञानी, ध्यानी रहते ।

दुष्ट, दुराचारी, अज्ञानी,

क्रूर, पतित अभिमानी रहते।

जाति पंति का भेदभाव भी,

सबने इस दुनिया में पाला।

धर्म और मजहब का झगड़ा,

हमने बहुत बड़ा कर डाला।

दुनिया में रह कर अब हमको,

कुछ करके दिखलाना होगा।

हों समान सब लोग यहाँ पर,

ऐसा विश्व बनाना होगा।


- डॉ. परशुराम शुक्ल

बाल साहित्यकार,

भोपाल (मध्यप्रदेश)

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