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Childhood Poem in Hindi
Bachpan Par Bal Kavita
बचपन
कभी हँसाता, कभी रूलाता,
ढेरों मित्र बनाता बचपन ।
सबका प्यार दुलार दिलाता,
याद सभी को आता बचपन ।
ऊँच नीच का भेद न करता,
प्यार सभी का पाता बचपन ।
अपनी नटखट लीलाओं से,
सबका मन हर्षाता बचपन।
चिड़ियाघर की सैर कराता,
सरकस भी ले जाता बचपन।
खेल खिलौने, गुड़िया गुड्डा,
बच्चों को दिलवाता बचपन ।
बच्चे जब बूढ़े हो जाते,
छोड़ उन्हें खो जाता बचपन।
दुखी दिनों में सुखी दिनों की,
याद दिलाने आता बचपन ।।
- डॉ. परशुराम शुक्ल
बाल साहित्यकार,
भोपाल (मध्यप्रदेश)
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