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Poem on Bird Blue Jay
Neelkanth Pakshi Par Kavita
नीलकंठ
रंग बिरंगा सुन्दर पक्षी,
नीलकं ठ कहलाता ।
उत्तर, दक्षिण, पूरब, पश्चिम,
सभी जगह मिल जाता ।।
सड़क किनारे के वृक्षों पर,
यह आवास बनाता ।
निकट खेत के तारों पर भी,
यह बैठा मिल जाता ।।
अद्भुत कुशल शिकारी पक्षी,
बिच्छू तक खा जाता।
और कभी खाकर सांपों को,
नीलकंठ बन जाता ।।
कीट पतंगे खा खेतों के,
फसलें सभी बचाता ।
मित्र किसानों का यह पक्षी,
पावन समझा जाता ।।
- डॉ. परशुराम शुक्ल
बाल साहित्यकार,
भोपाल (मध्यप्रदेश)
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