Hindi Bal Kavita: पापा जल्दी आना

Dr. Mulla Adam Ali
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Papa Jaldi Aana Kavita

Poem on Father in Hindi

पापा जल्दी आना कविता : एक पिता की प्रतीक्षा में बाल मन की कविता, व्यस्त जीवन में अपने माता पिता बच्चों के साथ समय नहीं बिता पाते है, वैसे में बच्चों से मां और बाप की दूरियां बढ़ती जा रही, बच्चे अपने माता पिता से समय बिताना चाहते हैं, इसी आधार पर लिखी गई मार्मिक बाल कविता पापा जल्दी आना। डॉ. परशुराम शुक्ल की बाल कविता संग्रह प्रतिनिधि बाल कविताएं से संग्रहित हिन्दी बाल कविता पापा जल्दी आना।

Poem on Father in Hindi

पापा जल्दी आना

बोर अकेले में होता हूँ,

पापा जल्दी आना।

मेरे उठने के पहले ही,

तुम ऑफिस जाते हो।

और हमेशा सो जाने पर,

घर वापस आते हो ।

छुट्टी वाले दिन भी तुमको,

पड़ता ऑफिस जाना। पापा...

मम्मी रही नहीं अब मेरी,

जो मुझको नहलाती।

टिफिन लगाती, पानी देती,

होमवर्क करवाती ।

सब कुछ मुझको करना पड़ता,

हँसना रोना गाना। पापा...

आज जनम दिन मेरा पापा,

तुमको याद दिलाता ।

खुश होते हैं सब इस दिन पर,

मुझको रोना आता ।

आजाओ तुम किसी तरह घर,

आज नहीं बहलाना। पापा...

माना बहुत गरीबी घर पर,

पास नहीं है पैसा ।

हम दोनों मिलकर सोचेंगे,

काम बने कुछ ऐसा।

अच्छे दिन आएँगे पापा,

दूर बहुत मत जाना। पापा...

बोर अकेले में होता हूँ।

पापा जल्दी आना।


- डॉ. परशुराम शुक्ल

बाल साहित्यकार,

भोपाल (मध्यप्रदेश)

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