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Ritu Verma Poetry in Hindi
हिंदी कविता पराजय बेला : जीवन संघर्ष पर आधारित कविता पराजय बेला, नई दिल्ली से रितु वर्मा की कविता हिन्दी में आपके लिए कविता कोश में प्रस्तुत है पराजय बेला।
Ritu Verma Ki Kavita
पराजय बेला
अभी पराजय बेला चल रहीं
ग्रह नक्षत्र मेरे ठीक नहीं
विफलताओं से घिरी हुई मैं
हर तरफ हारी हुई....
माना की बुरा दौर चल रहा
संघर्ष निरंतर करते रहना ही
एक मात्र उपाय है,
कर्मों का गणित कभी खाली नहीं जाता
उसी प्रतीक्षा मैं द्वार खड़ी...
आज अंधकारमय जीवन है तो क्या हुआ?
कल भोर का उजाला द्वार खड़ी
सब और मिली निराशा तो क्या हुआ?
फिर से एक नई उम्मीद जगायेगे
आज के इस पराजय बेला में ..
एक नई हल्की किरण फुट पड़ी ,
जीवन के हर क्षण उतार-चढाव में
हर पल एक नया अनुभव पाएंगे,
कि जो ग़लतियां उस क्षण में
पुनः नहीं दोहराएंगे,
जितनी जीवन में घड़ियाँ बीती
उससे सीख पाते जाएंगे...
नहीं रखना कभी बैर किसी से
मन में संकल्प बनाएंगे.....
अपने नित कर्मों के बल से
अपनी सफलता की राह बनाएंगे।
- रितु वर्मा
नई दिल्ली
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