Hindi Bal Kavita: चिड़ियाँ आती थीं

Dr. Mulla Adam Ali
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Poem on World Sparrow Day Chidiya Aati Thi

चिड़ियाँ आती थीं


राजा भैया रोज सवेरे,

चिड़ियाँ आती थीं।

बात पुरानी तुम्हें बताती,

दादी कहती थीं।

साथ हमारे तरह-तरह की,

चिड़ियाँ रहती थीं।

घर-आँगन में फुदक-फुदक कर,

दाने खाती थीं। चिड़ियाँ...

भोर हुई जैसे ही लाली,

सूरज फैलाता ।

उतर पेड़ से चिड़ियों का दल,

घर में आ जाता ।

चींचींचींचीं करके मीठे,

सुर में गाती थीं। चिड़ियाँ...

दादा-दादी नहीं किसी से,

चिड़ियाँ डरती थीं।

चोंच मिलाकर कभी-कभी कुछ,

बातें करती थीं।

जहाँ कहीं मन होता उनका,

नीड़ बनाती थीं। चिड़ियाँ...

आओ मिलकर आज अभी फिर,

पेड़ लगाएँ हम ।

आओ चिड़ियाँ, आओ चिड़ियाँ,

गाना गाएँ हम ।

सुन कर गाना हरियाली का,

चिड़ियाँ आएँगी। चिड़ियाँ...

राजा भैया रोज सवेरे,

चिड़ियाँ आएँगी ।।


- डॉ. परशुराम शुक्ल

बाल साहित्यकार,

भोपाल (मध्यप्रदेश)

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