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World Sparrow Day Par Kavita
Poem on World Sparrow Day Chidiya Aati Thi
चिड़ियाँ आती थीं
राजा भैया रोज सवेरे,
चिड़ियाँ आती थीं।
बात पुरानी तुम्हें बताती,
दादी कहती थीं।
साथ हमारे तरह-तरह की,
चिड़ियाँ रहती थीं।
घर-आँगन में फुदक-फुदक कर,
दाने खाती थीं। चिड़ियाँ...
भोर हुई जैसे ही लाली,
सूरज फैलाता ।
उतर पेड़ से चिड़ियों का दल,
घर में आ जाता ।
चींचींचींचीं करके मीठे,
सुर में गाती थीं। चिड़ियाँ...
दादा-दादी नहीं किसी से,
चिड़ियाँ डरती थीं।
चोंच मिलाकर कभी-कभी कुछ,
बातें करती थीं।
जहाँ कहीं मन होता उनका,
नीड़ बनाती थीं। चिड़ियाँ...
आओ मिलकर आज अभी फिर,
पेड़ लगाएँ हम ।
आओ चिड़ियाँ, आओ चिड़ियाँ,
गाना गाएँ हम ।
सुन कर गाना हरियाली का,
चिड़ियाँ आएँगी। चिड़ियाँ...
राजा भैया रोज सवेरे,
चिड़ियाँ आएँगी ।।
- डॉ. परशुराम शुक्ल
बाल साहित्यकार,
भोपाल (मध्यप्रदेश)
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