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Man Karta Hai Bal Kavita
Childrens Poem Man Karta Hai
मन करता है
मम्मी ! मन करता है मेरा,
रोज बाग में जाऊँ ।
बाग बगीचों में खेलूँ मैं,
जी भर मौज मनाऊँ ।।
मम्मी ! मन करता है मेरा,
तितली सा उड़ जाऊँ ।
पंछी सा उपवन में डोलूँ,
मीठे गीत सुनाऊँ ।।
मम्मी ! मन करता है मेरा,
सागर सा लहराऊँ,
बर्फीले पर्वत पर घूमँ,
जंगल में खो जाऊँ ।।
मम्मी ! मन करता है मेरा,
नानी के घर जाऊँ ।
पीपल की छाया के नीचे,
मीठे जामुन खाऊँ ।।
मम्मी ! मन करता है मेरा,
तुमसे भी बतियाऊँ ।
लेकिन ये सब करूँ कि अपना,
होमवर्क निपटाऊँ ।।
- डॉ. परशुराम शुक्ल
बाल साहित्यकार,
भोपाल (मध्यप्रदेश)
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