Raksha Bandhan Special Hindi Children's Srory by Badri Prasad Verma Anjaan, Rakhi Special Rakhi to eradicate casteism Hindi Bal Kahani Raksha Bandhan Par Visesh.
Raksha Bandhan Special Children's Story in Hindi
रक्षा बंधन विशेष हिंदी बाल कहानी
बाल कहानी : जाति पात मिटाती राखी
चंदन जिस कालोनी में रहता था उस कालोनी में ज्यादातर पंडित ब्राह्मण ठाकुर बिरादरी के लोग रहते थे। कुछ घर सोनार गुप्ता जायसवाल कानू कसौधन धोबी नाउ यादव पासी के थे। और एक घर चमार का था।
अधिकतर घरों के लोग सरकारी नौकरी करते थे।
ब्राह्मण और ठाकुर लोग छोटी जाति के लोगों से बहुत नफरत करते थे। चंदन भी छोटी जाति का था।
उसी कालोनी में अमित का घर था। उसके पापा मदन चमार जाति के थे। और एक सरकारी बैंक में मैनेजर की नौकरी करते थे। अमित की मां एक सरकारी मीडिल स्कूल में टीचर की नौकरी करती थी।
अमित के पड़ोस मे एक ब्राह्मण परिवार रहता था। मगर उनसे अमित के मां और पापा से कोई बात चीत नहीं थी।
राखी का त्योहार आने वाला था। कालोनी के सभी लोग राखी मनाने की तैयारी में जुटे हुए थे।
अमित के घर के बगल में एक
ब्राह्मण परिवार रहता था उसकी की एक लड़की थी
उसका नाम अंजू तिवारी थी। उसके पापा का नाम गोरख प्रसाद तिवारी था और मम्मी का नाम पिंकी था।
अंजू के मम्मी पापा एक सरकारी स्कूल में पढ़ाते थे।
अंजू और अमित इंटर कालेज में एक साथ पढ़ते थे। स्कूल में अंजू और अमित में भाई बहन जैसा रिश्ता बना हुआ था। दोनों एक साथ स्कूल जाते और आते थे। स्कूल में दोनों एक दूसरे से बोलते थे मगर घर आने पर बोल चाल बंद हो जाती थी।
कल राखी थी कालोनी के सभी लोग राखी मनाने की पुरी तैयारी कर चुके थे। मगर अंजू और अमित अपने अपने घर में उदास बैठे थे।
अंजू को उदास देखकर उसकी मम्मी पूछ पड़ी बेटी अंजू आज तू इतनी उदास क्यों है क्या मैं इस उदासी का कारण जान सकती हूं,?"
मम्मी की बात सुनकर अंजू बोली मम्मी कल राखी है तुमको तो पता ही है। तुम तो मामा को बुलाकर राखी बांध देती हो मगर मेरे बारे में कभी नहीं सोचा मैं किसको राखी बांधुगी मेरा तो कोई भाई भी नहीं है । बस मम्मी इसी बात को लेकर मैं आज बहुत उदास हूं।
तुम और पापा जाति पात की बात को लेकर हमेशा कठोर बने रहते हो। पता नहीं यह जाति पात किसने बनाया है जिसका खामियाजा हमें भोगना पड़ता है। स्कूल कालेज में तो सारे जाति धर्म के बच्चे पढ़ते है। वहां क्यों नहीं जाति पात का भेदभाव किया जाता है। हमें यह जाति पात का भेद मिटाना ही होगा तभी नफरत मिटेगी वर्ना कभी नहीं मिटेगी।
' हां बेटी तुमने तो आज मेरी आंखें खोल दी। हम अपने पड़ोसी अमित के मां और पापा से कितना नफरत करते हैं कभी उनसे बोलते नहीं हैं।
वो लोग हरिजन हैं इसलिए न आज तो हमें अपने मन से जाति पात का
भेद मिटाना ही होगा तभी नफरत मिटेगी ।
अंजूं और उसकी मां की बाते उसके पापा कमरे से बाहर खड़े कबसे सुन रहे थे। उनको लगा बेटी अंजू ठीक कह रही है। हमें जाति पात का भेद अपने मन से मिटाना ही होगा तभी देश में फैली नफरत को जड़ से मिटाया जा सकता है।
तभी कमरे में अंजू के पापा आकर पूछ पड़े मां बेटी में क्या बात हो रही है?"
पापा जाति पात को किसने बनाया है यह आप बता सकते हैं?"
अंजू की बात सुनकर उसके पापा बोल पड़े बेटी जाति पात को हमने ही बनाया है। अब हमें ही इसे मिटाना पड़ेगा क्यों कि जाति पात की भावना से देश भर में नफरत ही फैल रही है हिन्दू मुसलमान को सदियों से नफरत का पाठ पढ़ाया जा रहा है। अब इसे मिटाने का वक्त आ गया है। मैंने मन में ठान लिया है इसे मिटाकर रहूंगा।
मुझे पता है कल रक्षाबंधन का त्यौहार है और मेरी बेटी को इसबात की चिन्ता है वह राखी किसे बांधेगी ! इसका कोई भाई नहीं है।
मेरे पड़ोसी मदन का बेटा अमित भी अपने मां बाप का इकलौता संतान है। मैं चाहता हूं मेरी बेटी अमित को भाई बनाकर उसे कल राखी बांधेगी। इससे समाज में फैली जाति पात की
भवना मिटेगी और आपस में एकता बढ़ेगी।
पापा की बात सुनकर अंजू हंसने लगी उसके चेहरे पर छाई उदासी पलभर में छू मंतर हो गई। अंजू को अमित को राखी बांधकर भाई बनाने की आजादी मिल गई।
अगले दिन अंजू जब अपने मम्मी पापा के साथ अमित को राखी बांधने उसके घर पहुंची तो अमित के मां और पापा सोच मैं पड़ गए यह तो आज चमत्कार होने जा रहा है।
अंजू के पापा ने कहा आज इस राखी के दिन सै कसम खाते हैं कि अब हम जाति पात को मिटाने का काम करेंगे। ताकी नफरत को मिटाया जा सके।
अंजू ने जब अमित के कलाई पर राखी बांधा तो अमित और अंजू के पापा के चेहरे पर एक नई मुस्कान फैल गई। आज सदियों से चली आ रही जाति पात की दीवार गिर गई।
और नफरत आज प्यार में बदल गई।
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