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Saari Khushiyan Humse Door Kavita in Hindi
हिंदी कविता सारी खुशियाँ हमसे दूर : बाल साहित्यकार डॉ. परशुराम शुक्ल की प्रतिनिधि बाल कविता संग्रह से संग्रहित हिन्दी बाल कविता सारी खुशियाँ हमसे दूर। गरीबी के विषय पर बेहतरीन बाल कविता, गरीबी आज दिन ब दिन बढ़ती ही जा रही है, भारत में गरीबी के कई कारण है। आज आपके लिए प्रस्तुत है कविता कोश में गरीबी पर कविता सारी खुशियाँ हमसे दूर। गरीबी में लोग कैसे जीते है उनकी मनोदशा क्या होती है बया करती है ये कविता।
Poem on Poverty in Hindi
सारी खुशियाँ हमसे दूर
बाप भिखारी माँ मजदूर ।
सारी खुशियाँ हमसे दूर ।
दीन-हीन सा बापू कहता,
रुपया दे दो एक हुजूर ।
ईंटा गारा दिन भर ढोती,
थक कर माँ हो जाती चूर।
दोनों मुझे पढ़ाना चाहें,
लेकिन पैसों से मजदूर ।
कहने को आजाद हुए हम,
पर आजादी कोसों दूर ।
रोता हूँ दिन रात, सोचता
हूँ गरीब क्या यही कसूर ?
- डॉ. परशुराम शुक्ल
बाल साहित्यकार,
भोपाल (मध्यप्रदेश)
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