बाल कविता: सैनिक समझ न पाता

Dr. Mulla Adam Ali
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Sainik Samajh Na Pata Hindi Bal Kavita

सैनिक समझ न पाता हिंदी कविता

सैनिक समझ न पाता हिंदी कविता : प्रतिनिधि बाल कविता संग्रह से संग्रहित डॉ. परशुराम शुक्ल की बाल कविता सैनिक समझ न पाता आपके लिए प्रस्तुत है हिंदी बाल कविता कोश में तो पढ़िए और प्रतिक्रिया दीजिए। विश्व कुटुंब की भावना से ओतप्रोत यह कविता विश्वभर में भाईचारे को व्यक्त करती हैं। बच्चों के लिए शिक्षाप्रद हिंदी बाल कविता।

Hindi Children's Poem

सैनिक समझ न पाता

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बर्फीली सरहद पर बैठा,

सैनिक समझ न पाता।

दूर देश से पक्षी आते ।

आकर अपने नीड़ बनाते ।

नहीं मानते ये सरहद को,

इनका सैनिक. सबसे नाता ?

सैनिक......................

कलकल करती नदियाँ आतीं।

इनको सरहद रोक न पातीं।

नदियों का कलकल करता जल ।

क्या सन्देश सुनाता ?

सैनिक......................

मधुर पवन के झोंके आते ।

पार सरहदों को कर जाते ।

अखिल विश्व में सबसे ऊँचा,

इनका ध्वज फहराता?

सैनिक........…...........

बर्फीली सरहद पर बैठा।

सैनिक समझ न पाता।


- डॉ. परशुराम शुक्ल

बाल साहित्यकार,

भोपाल (मध्यप्रदेश)

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