आधुनिक हिंदी में बाल साहित्य का विकास : डॉ. दिविक रमेश

Dr. Mulla Adam Ali
0

Adhunik Hindi Mein Bal Sahitya Ka Vikas, Hindi Bal Sahitya Facebook Group Live Program, Dr. Divik Ramesh Facebook Live, Children's literature or juvenile literature.

Adhunik Hindi Mein Bal Sahitya Ka Vikas

Adhunik Hindi Mein Bal Sahitya

हिन्दी बाल साहित्य फेसबुक समूह द्वारा आयोजित बाल साहित्य विषय पर लाइव कार्यक्रम, वक्त डॉ. दिविक रमेश, लाइव कार्यक्रम का विषय "आधुनिक हिंदी बाल साहित्य : दशा और दिशा". डॉ. दिविक रमेश हिन्दी के प्रमुख बाल साहित्यकार, सुप्रतिष्ठित वरिष्ठ कवि, अनुवादक तथा चिंतक है। आज आपके समक्ष प्रस्तुत Hindi Bal Sahitya Facebook Page द्वारा संचालित किया गया Live कार्यक्रम, नीचे यूट्यूब वीडियो दिया गया है।

हिन्दी आधुनिक बाल साहित्य दशा, दिशा और संभावनाएं

इस लाइव कार्यक्रम में बाल साहित्य से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी डॉ. दिविक रमेश जी द्वारा बताया गया है। इक्कीसवीं सदी को हिंदी बाल साहित्य स्वर्ण युग माना जाता है, बाल साहित्य क्यों जरूरी है, बाल साहित्य को समझने की आवश्यकता क्यों है, बच्चों के मूल्य निर्माण में बाल साहित्य का क्या योगदान है, आज के बाल साहित्य का इतिहास और स्वरूप, बाल साहित्य की परिभाषा आदि सभी विषयों पर विस्तार पूर्वक चर्चा की गई है।

Aadhunik Hindi Bal Sahitya : Dasha aur Disha

यूट्यूब पर बाल साहित्य से संबंधित वीडियो देखे और हमारे चैनल को सब्सक्राइब करें, हिन्दी बाल साहित्य पर गोविंद शर्मा जी, संजय जायसवाल जी, दीनदयाल शर्मा जी, डॉ. परशुराम शुक्ल जी, निधि सिंह, रोचिका अरुण शर्मा, फहीम अहमद जैसे अन्य बाल साहित्यकारों की वीडियो भी हमारे चैनल पर देख सकते हैं।

बाल साहित्य हिंदी साहित्य परंपरा में अपनी एक महत्वपूर्ण उपस्थिति रही है, लिखित और मौखिक भारत में साहित्य एक विरासत के रूप में समृद्ध है। विभिन्न भाषा कौशलों को बच्चों में विकसित करने के लिए कहानियाँ और कविताएँ का उपयोग कर सकते हैं। बच्चे कविताएं और कहानियां पढ़कर केवल मनोरंजन ही नहीं प्राप्त करते बल्कि उनके चरित्र निर्माण में भी बदलाव देखने को मिलेगा। बच्चों में सकारात्मक अनुभव और भाषा कौशलों का विकास होगा, प्रेरणदायक कहानियां, शिक्षाप्रद कहानियां, मजेदार कहानियां, कविताएं, आधुनिक कहानियां अपने ज्ञान का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करती है।

बाल कविता, बाल गीत, चित्र पहेली, बाल कहानी, बाल नाटक, बाल एकांकी, बाल पहेली, बाल उपन्यास, चित्र कथा, बाल जीवनी आदि बाल साहित्य की प्रमुख प्रचलित विधाएं है। बाल साहित्य का बच्चों पर क्या प्रभाव पड़ता है? इस प्रश्न का जवाब है कि बाल साहित्य के जरिए LSRW का विकास होगी, LSRW का मतलब L - सुनना (Listening), S - बोलना (Speaking), R - पढ़ना (Reading) aur W - लिखना (Writing) आदि। बच्चे बाल कहानियां और कविताएं पढ़ने में रुचि रखते हैं तो इन कहानियों और कविताओं से उनमें पढ़ने, लिखने, बोलने और सुनने की कौशालों का विकास कर सकते। 21 वीं सदी को बाल साहित्य स्वर्णयुग माना जाता है।

महत्वपूर्ण विशेषताओं वाली एक अच्छी बच्चों की किताब में भावनात्मक गहराई, सांस्कृतिक विविधता, आकर्षक कहानी, आयु-उपयुक्त भाषा, शैक्षणिक मूल्य, संवादात्मक तत्वों, जीवंत चित्रण, सम्बद्ध पात्रों, कालातीतता और नैतिक शिक्षाओं का मिश्रण होती हैं। आज बाल साहित्य पर लिखने वालों की संख्या ज्यादा होते जा रही है और बाल साहित्य एक प्रमुख विधा बन गया है, बाल साहित्य पर विश्वविद्यालयों में शोधकार्य भी किया जा रहा और पढ़ाया जा रहा है। बाल साहित्य के विकास में बाल पत्रिकाओं का महत्वपूर्ण योगदान रहा है चंपक, नंदन, चंदामामा आदि हिन्दी की प्रसिद्ध पत्रिकाएं रही है। आज बाल साहित्य या बच्चों से सम्बन्धित विषयों पर यूट्यूब भी एक अलग प्लेटफार्म बनाया है यूट्यूब किड्स (youtube kids) सिर्फ बच्चों के लिए ही बनाया गया है। यूट्यूब पर आज बाल साहित्य से संबंधित विषयों पर कई वीडियो देखने को मिलते हैं। निष्कर्ष के रूप में यह कह सकते हैं कि बाल साहित्य को बढ़ावा देना बेहद जरूरी है और भी बाल साहित्य काम होना आवश्यक है।

ये भी पढ़ें; हिन्दी बाल साहित्य की दशा और दिशा - दिविक रमेश

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें (0)

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !
To Top