ऐसे मिली सीख : जीवन मूल्यों से साक्षात्कार कराती बाल कहानियां

Dr. Mulla Adam Ali
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Hindi Children's Story Collection Book Aise Mili Seekh by Govind Sharma, Hindi Balkatha Sanghrah Ki Samiksha in Hindi by Lata Agrawal 'Tulja', Hindi Book Review.

Aise Mili Seekh Balkatha Sanghrah

Aise Mili Seekh Balkatha Sanghrah

बालकथा संग्रह "ऐसे मिली सीख" : गोविंद शर्मा जी द्वारा लिखा गया बालकथा संग्रह ऐसे मिली सीख की समीक्षा हिन्दी में, समीक्षक डॉ. लता अग्रवाल ‘तुलजा' जी भोपाल, मध्यप्रदेश के रहनेवाले वरिष्ठ साहित्यकार एवं शिक्साविद है। नानी की चौपाल (Nani Ki Chaupal), कलियुग का पार्थ (बाल उपन्यास) (Kalyug Ka Parth Children's Novel), शिक्षा एवं साहित्य पर 70 से अधिक एकल पुस्तकें, 20 लघुरुपक एवं अनेक साझा संग्रह प्रकाशित है।

जीवन मूल्यों से साक्षात्कार कराती बाल कहानियां 

  • पुस्तक का नाम : ऐसे मिली सीख 
  • विधा : कहानी
  • लेखक : श्री गोविंद शर्मा जी
  • प्रकाशक : पंचशील प्रकाशन जयपुर
  • मूल्य : ₹150
  • समीक्षक : डॉ. लता अग्रवाल ‘तुलजा'

बाल साहित्य जगत में जाना माना नाम है ‘श्री गोविंद शर्मा’ सर का। आप बाल साहित्य की अनेक विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं, इसका प्रमाण है बाल साहित्य पर आपकी 50 पुस्तकों का प्रकाशन। इसके साथ ही केंद्रीय हिंदी साहित्य अकादमी के बाल साहित्य पुरस्कार से भी आप पुरस्कृत हैं।

आपका सद्य प्रकाशित कहानी संग्रह ‘ऐसे मिली सीख’ मेरे हाथ में हैं। कैलेंडर के 12 महीने जिस तरह विभिन्न ऋतुओं का आनन्द देते हैं, ठीक उसी तरह बाल रुचियों की 12 कहानियों का सुंदर गुलदस्ता है पुस्तक ऐसे मिली सीख। पुस्तक के प्रकाशन की बात करूं तो मजबूत जिल्द, स्तरीय पृष्ठ के साथ सुंदर आवरण पहली ही दृष्टि में बच्चों को पुस्तक के पृष्ठ खोलने के लिए विवश कर देता है। भीतर प्रवेश करने पर प्रत्येक कहानी के साथ बड़े चित्र, बच्चो को कहानी समझने में सहायक बनते हैं।

प्रथम कहानी शीर्ष कहानी है, ‘ऐसे मिली सीख’ जो बच्चों को प्रेरणा देती है कि सीख जहाँ से मिले लेनी चाहिए, महापुरुषों ने कहा है कि हमें बच्चो से भी सीख मिले तो ले लेनी चाहिए। यहाँ लेखक उसके आगे की बात कहते हैं कि हमें पशु पक्षियों से भी सीख लेनी चाहिए। बच्चो में आज जिस तरह संवेगात्मक और संवेदनात्मक संकट दिखाई दे रहा है इस कहानी से बच्चे प्रेरणा लेंगे। कहानी में दादाजी ने किस प्राणी सी यह शिक्षा पाई है! पढ़ने के लिए देखिए पुस्तक ऐसे मिली सीख।

अपनी जन्म स्थली से बादल तक की यात्रा है ‘बूँद का सफर’, जिसके माध्यम से दो बातें मुझे दिखाई दी. प्रथम, बूँद का जन्म भूमि के प्रति स्नेह। दूसरा समुद्र की मछलियों से बूँद का स्नेह। अर्थात हम जिस भी नए परिवेश में जाएं वहाँ से एकाकार हो जाएँ किंतु जन्मभूमि को कभी ना भूले। सकारात्मक भाव की कहानी है ‘संभावनाओं का चक्रव्यूह’। हमने बच्चों के मन में प्रतिस्पर्धा की भावना इतनी कूट-कूट कर भर दी है कि बच्चे भी असमय बड़े हो गए हैं। बच्चे आज भी मन के सच्चे हैं साबित करती है कहानी जिसमें अभिमन्यु से प्रेरणा पाकर उसके साथियों में आया बदलाव. यह चक्रव्यूह किसने, कैसे रचा यह जानने के लिए पढ़िए कहानी संग्रह।

कहानियों में मानवेत्तर पात्र बाल सुलभ मन में उन पात्रों के प्रति संवेदना जागृत करते हैं। इस संग्रह में पेंसिल और इरेजर के परस्पर संवाद को बहुत ही जीवंतता के साथ प्रस्तुत किया गया है कहानीकार ने। रोचक अंत कि दोनों की नोंकझोंक के बाद दोनों का ठहराव इस बात पर होता है कि ‘क्या बड़ा क्या छोटा... अपन दोनों का कर्तव्य तो राजू को पढ़ने में मदद करना है.” हमें व्यर्थ के विवादों में समय नष्ट न करते हुए लक्ष्य पर ध्यान केन्द्रित रखना चाहिए।

किताबों के बाहर भी एक दुनिया है और बच्चों को इस दुनिया का ज्ञान बहुत आवश्यक है. बाबा की कुत्तों से दोस्ती सबके हंसी का कारण रही। किन्तु उन रोटियों के बदले जो वफादारी कुत्तों ने बाबा के साथ निभाई उसने सबकी बोलती बंद कर दी। ये सच है कि जानवर भी वफादार होते हैं, कुत्तों और घोड़े की वफादारी तो इतिहास में दर्द है। कहानी ‘बाबा की ममता’ आसपास के जीवों के प्रति संवेदनशीलता का पाठ पढ़ाती है. हमेशा अच्छे दोस्त बनाना चाहिए जिससे जीवन को सही दिशा मिलती है. इसका प्रतीक है राजू और बिरजू की जोड़ी अपने मित्र को सही राह पर लाने के लिए बिरजू ने जो प्रयोग अपनाए, मैं यह नहीं कहती कि बच्चो ने भी अपनाने चाहिए किन्तु दोस्ती का क्या मोल है, दोस्ती कैसे निभाई जाती है यह जानने बच्चो को यह कहानी को अवश्य पढ़ाना चाहिए।

अच्छाई और सच्चाई का इनाम मिलता है, कहानी ‘हमारा गौरव’ में अजय ने अपने साथियों की सहायता की किन्तु उसका चंद्रयान (सायकिल) फेल हो गया। लेकिन सच्चाई के दम उसे शिक्षक की सहायता मिली. ‘जल की रानी’ एक बहादुर बच्ची की कहानी है. वहीं स्मार्ट सिटी की अपनी जीवन शैली है कहानी ‘रोबू मेरा दोस्त’ के माध्यम से लेखक ने आधुनिक तकनीकी युग से परिचित कराने का प्रयास किया है. मशीनी युग का जीवन कैसा होगा ? इसकी झलक है यह कहानी. क्या इस युग में मानव पूरी तरह मशीन बनकर रह जाएगा...? क्या उसकी संवेदना भी मशीन के शोर में खो जायेगी? यह जानने के लिए संग्रह की इस कहानी को पढ़िए।

अपनी शक्ति का इस्तेमाल हमेशा अच्छी जगह पर करना चाहिए करने से शक्ति का मान बना रहता है. बुद्धि का बड़े डील डोल से कोई लेना -देना नहीं, इसका प्रमाण है कहानी ‘दोस्ती शेर चिड़िया की’ चोर के सिर मौर पेड़ कहावत सबने सुनी होगी लेकिन कैसे पड़े चोर के सर मोर? जानेंगे कहानी ‘सोने के अंडे’ में राजा ने चोर को पकड़ने वैसी ही चतुराई भरी चाल चली।

कहने का आशय है कि सभी कहानियाँ बाल मन को लुभाने वाली है तथा कोई ना कोई सीख देकर जाती है. यही बाल कहानी की सबसे बड़ी उपयोगिता होती है। लेखक बाल मन के सरोकार हैं अत: भाषा शैली को लेकर वे सदैव सचेत रहते हैं. कहानी के पात्र भी बाल जीवन के आसपास से ही चुने गए हैं. अंततः हम कह सकते हैं आदरणीय गोविन्द शर्मा सर के एनी बाल कहानी संग्रह की तरह यह संग्रह भी बाल जगत में अपनी उपस्थिति दर्ज कराएगा।

- डॉ. लता अग्रवाल ‘तुलजा’ 

भोपाल, मध्यप्रदेश

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