गलती बँट गई : पॉलिथीन के अंधाधुंध प्रयोग के बारे में जागरूक कराती बाल कहानी

Dr. Mulla Adam Ali
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Galti Bat Gai Hindi Children's Story

Galti Bat Gai Hindi Children's Story

बालकथा गलती बँट गई : गोविंद शर्मा जी का बालकथा संग्रह गलती बँट गई से आपके लिए प्रस्तुत है कहानी कोश में हिन्दी बाल कहानी पॉलिथीन के अंधाधुंध प्रयोग के बारे में जागरूकता करती शिक्षाप्रद और नैतिक बाल कहानी। कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि अनजाने में कोई गलती हो जाए तो हर समय उसके सोच में डूबा रहना नहीं चाहिए, बल्कि गलती का अहसास होने और भविष्य में इसे न दोहराने का संकल्प लेने पर गलती, गलती नहीं रहती। पढ़िए बाल निर्माण की रोचक बाल कहानी गलती बँट गई और प्रतिक्रिया दीजिए।

Bal Kahani in Hindi : Galti Bat Gai

गलती बँट गई

बब्बू उछलता कूदता घर में घुसा था। उसकी खुशी देखकर घर में सब समझ गये थे कि आज बब्बू गली में खेले जाने वाले क्रिकेट में कुछ जीत कर आया है। हो सकता है, उसने खूब रन बनाये हैं, किसी अच्छे खिलाड़ी को आउट किया है, या ऐसा ही कुछ और। बस, अभी पता चल जायेगा। वह खेल की सारी कहानी सुनायेगा, रोज की तरह।

वह कुछ बोले, इससे पहले ही उसकी मम्मी ने कहा- खेलकर आए हो, इसलिये घर में आते ही हाथ साबुन से साफ करोगे, यह तो मुझे पता है। पर पहले मेरा एक काम करो। किचन में जाओ। वहाँ सब्जी के छिलकों से भरा एक पॉलीथिन है। वे छिलके गली में घूमने वाले किसी सांड को खिला आओ। इतने मैं तुम्हारे लिये एक अच्छी सी डिश बनाती हूँ।

बब्बू ऐसे काम फौरन कर देता है। उसने छिलके-भरा पॉलीथिन उठाया और घर से निकल गया। रोज तो वह जल्दी ही वापिस आ जाता है। आज देर से आया। उदास, गुमसुम और थोड़ा डरा हुआ भी। उसकी यह हालत देखकर मम्मी घबरा गई। उन्होंने कई बार पूछा, पर बब्बू ने कुछ नहीं बताया। बब्बू को उसकी पसंद की मिठाई भी दी गई। पर वह खुश नहीं हुआ।

शाम के पाँच बज गये थे। बब्बू के पापा भी घर आ गये। बब्बू की इस हालत के बारे में बताया तो बोले- तुम उसकी माँ हो, तुम्हीं उससे उगलवा सकती हो कि क्या हुआ। हो सकता है, गली में घूमने वाले पशुओं में से किसी ने उसे चोट पहुँचाई हो। मैंने तो तुम्हें कई बार कहा है कि इनसे दूर रहना चाहिए।"

मम्मी की काफी कोशिश के बाद बब्बू बोला- आज मुझसे एक गलती हो गई। आपने छिलके फेंकने के लिये दिये थे। एक सांड के सामने उन छिलकों को डालने वाला था कि सांड ने वह पॉलीथिन मुझसे छीन लिया। छिलकों को पॉलीथिन सहित मुँह के अंदर ले गया। मैंने उसे कई देर तक देखा, पॉलीथिन बाहर नहीं आया, शायद उसके पेट में चला गया। मैंने बहुत बड़ी गलती की।

हाँ बेटे, गलती तो हो गई। पेट में गया पॉलीथिन नुकसान ही करता है। पर अब हम क्या कर सकते हैं। इस बात पर अब तुम दुखी होना बंद कर दो, क्योंकि सारी गलती तुम्हारी नहीं है, मेरी भी गलती है। मुझे वे छिलके उस पॉलीथिन में डालने ही नहीं चाहिए थे। किसी बर्तन में डालती तो, ऐसा न होता। बँट गई न गलती हम दोनों के बीच। अब खुश हो जाओ।

बब्बू कुछ बोले, उससे पहले ही पापा वहाँ आ गये। बोले, "गलती बँट रही है, उसमें मेरा भी हिस्सा है। वह पॉलीथिन घर में मैं ही तो लाया था। अगर घर से कपड़े का थैला लेकर जाता तो सब्जी भी उसमें आती और पॉलीथिन घर में नहीं आता। इसलिये यह मानो कि गलती तीन जगह बँट गई है।"

बब्बू कुछ बोलने को हुआ कि दादीजी वहाँ आ गई। बोली, "गलती तीन जगह नहीं, चार जगह बँटेगी। चौथी हिस्सेदार मैं। पहले मैं कपड़े के थैले बनाकर घर में कई जगह रखती थी। जब से यह पॉलीथिन चला है, मैंने थैले बनाने बंद कर दिये। अब मैं थैले बनाना फिर शुरू करूँगी ताकि पॉलीथिन घर में आए ही नहीं।"

"लो बब्बू, तुम्हारे हिस्से में तो थोड़ी सी गलती बची है। खुश हो जाओ, जो पसंद हो, वह खाओ और स्टडी टेबल की तरफ बढ़ जाओ। अब इस गलती का अफसोस मत करना।"

"कहाँ बची है, गलती? गलती तो खत्म हो गई। यदि हमसे अनजाने में कोई गलती हो जाए और हम मान लें कि हमसे गलती हो गई और सोच लें कि आगे से ऐसी गलती नहीं करेंगे तो गलती रहती ही नहीं।" यह कहा दादाजी ने तो बब्बू मुस्करा दिया। मुस्कराते बब्बू को देखकर सबने संतोष की साँस ली। अब बब्बू खुश था। उसने गली में हुए क्रिकेट मैच की कहानी सुनाना शुरू कर दिया।

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