गोलू के लिए गोलगप्पे : छोटे बच्चों के लिए हिंदी में एक हास्य कहानी

Dr. Mulla Adam Ali
0

Hindi Children's Stories, Majedar Bal Kahaniyan, Galti Bat Gai Balkatha Sanghrah Ki Kahaniyan, Govind Sharma Ki Kahaniyan.

Golu Ke Liye Golgappe

hindi bal kahani golu ke liye golgappe

बालकथा गोलू के लिए गोलगप्पे : गलती बँट गई बालकथा संग्रह से संग्रहित गोविंद शर्मा की बाल कहानी गोलू के लिए गोलगप्पे, बाल मन की सुलभ चंचलता और मनोरंजन की कहानी छोटे बच्चों के लिए जबरदस्त हास्य बाल कहानी गोलू के लिए गोलगप्पे पढ़िए बाल कहानी कोश में और शेयर कीजिए।

Hindi Bal Kahani Golu Ke Liye Golgappe

गोलू के लिए गोलगप्पे

घर आते ही गोलू ने अपना बैग मेज पर रखा और बोला- इस बार छुट्टियों में हम सब....

"नहीं, गोलू नहीं, पहले कपड़े बदलो, मुँह-हाथ धो लो, कुछ खाओ और फिर.... वैसे तुम्हें पता ही है छुट्टियों का प्रोग्राम बन चुका है। हम सब सिंगापुर जा रहे हैं।"

"ओह मम्मी, आप मुझे भी बोलने दो। मैं चाहता हूँ हम सब सिंगापुर नहीं सिंहपुर जाएँ।"

"सिंहपुर? यह कौन सा देश है ?"

"आप भूल गई, यह देश नहीं है गाँव है, जहाँ मेरी दादी रहती हैं।"

"यह तुम क्या कह रहे हो? वहाँ तो कभी भी जा सकते हैं। मुश्किल तो सिंगापुर जाना है। पापा और मैंने पूरे साल कंजूसी करके इतने पैसे बचाएँ हैं कि कोई विदेश यात्रा कर सकें।

यह हमारी पहली विदेश यात्रा होगी।"

"हम वहाँ कभी भी जा सकते हैं तो कभी सिंहपुर गए क्यों नहीं? एक बार का तो मुझे याद है। पर तब भी आपने बताया नहीं वहाँ डी.सी.बी. और एन.सी.बी. होते हैं। वहाँ गोलगप्पे, पापड़ी, दही भल्ले... सब कुछ फ्री में मिलता है। यह तुम क्या कर रहे हो? यह सब किसने बताया तुम्हें ?"

क्लास में जब टीचर नहीं होते हैं, तब ऐसी ही ज्ञान गंगा बहती है। ज्ञान गंगा क्या होती है- यह अभी सर ने नहीं बताया है। पर किस्सू का यही कहना है कि वह छुट्टियों में एक बार जरूर जाता है, जहाँ उसकी दादी रह रही है। वहाँ दादी अपने हाथ से सब मसाले तैयार करती है। आटा भी एकदम साफ गेहूँ और दालों का होता है। जब उनका मूड होता है तो भगौना भर कर दही भल्ले बनाती है। अपने हाथों से बनाकर गोलगप्पे की भरी हुई थाली सामने रख देती है, पापड़ी भी... मजा यह है कि खाते समय गिनती नहीं की जाती। बाद में पैसे भी नहीं देने पड़ते। कितने ही खाओ, कोई बीमार नहीं होता, क्योंकि सब कुछ शुद्ध होता है, मिलावट से दूर होता है।

लेकिन सिंगापुर में पता नहीं क्या होता है। किशु कहता है, उसके चाचा कई बार विदेश गए हैं। वहाँ कुछ भी फ्री में नहीं मिलता है। गोलगप्पे तो वहाँ का महँगा आइटम होता है। पानी भी शुद्ध तभी मिलता है जब खूब पैसे खर्च करो। गाँव में अभी तक लोग प्रदूषण की स्पेलिंग भी नहीं सीखे हैं।

"ठीक है, सिंगापुर से पहले एक ट्रिप सिंहपुर की होगी। पापा को आने दो, तुम्हारी दादी के पास खबर भिजवा देते हैं कि आपका गोलगप्पा आ रहा है। उसके लिए गोलगप्पे बनाने की तैयारी कर लें। हाँ, यह तो बता यह डीसीबी और एनसीबी क्या होता है?"

"किस्सू ने ही बताया है डीसीबी यानी दादी चाट भंडार और कुछ के लिए गाँव में होता है एनसीबी यानी नानी चाट भंडार- जहाँ सब कुछ फ्री में मिलता है।"

मम्मी को हँसी आ गई। बोली- अच्छा पहले वाश बेसिन पर जाकर कुल्ला कर ले, तेरा मुँह गोलगप्पे के नाम से ही मीठे-नमकीन पानी से भर गया है। सिंगापुर की बजाय सिंहपुर के सपनों में खो गया गोलू।

ये भी पढ़ें; तीन बंदर बना : बच्चों के लिए जबरदस्त मनोरंजक और दिलचस्प कहानियां

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें (0)

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !
To Top