रेत के विषय पर बद्री प्रसाद वर्मा अनजान की बेहतरीन कविता

Dr. Mulla Adam Ali
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Hindi रेत पर Poems

Ret Par Kavita

रेत पर कविता : आज कविता कोश में प्रस्तुत है बद्री प्रसाद वर्मा अनजान की कविता रेत पर विशेष लिखी गई सुंदर कविता। पढ़े और शेयर करें।

Ret Par Kavita

रेत


नदियों और सागर से 

मिलती हमें है रेत। 

बहुत काम की देखो 

होती है यह रेत। 


मकान सड़क पुल अस्पताल 

सब बनाने में काम आता। 

इस बालू से देखो 

सब कुछ है बन जाता। 


इसमें  सीमेंट मिला दो तो 

यह पत्थर बन जाता। 

बड़े बड़े भवन माल 

इससे बनाया जाता। 


कोई सफेद कोई लाल 

कोई भूरा नजर आता। 

इस रेत से देखो 

सारा सड़क बन जाता। 


नदियों और सागर की 

करती रेत साफ सफाई। 

पहले मुफ्त में मिल जाता था 

अब कीमत देना पड़ता है भाई। 


इस रेत से कलाकार 

तरह तरह की मूर्ति बनाते हैं। 

इस रेत के उपर 

बच्चे बड़े दौड़ लगाते हैं। 


- बद्री प्रसाद वर्मा अनजान 

गल्ला मंडी गोलाबाजार 273408

गोरखपुर उ. प्र.

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