रोचक, तेज और सजग दृष्टि की बाल कहानी : कौन है शक्ल बदलू?

Dr. Mulla Adam Ali
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Kaun Shakl Badlu Hindi Kids Story

Kaun Shakl Badlu Hindi Kids Story

बालकथा कौन है शक्ल बदलू? : बाल कहानी कोश में आज गोविंद शर्मा जी का बालकथा संग्रह गलती बँट गई से बाल कहानी कौन है शक्ल बदलू? आपके लिए प्रस्तुत है। बच्चों के लिए रोचक, तेज और सजग बाल कहानी पढ़िए और साझा कीजिए। हिन्दी बालमन की कहानियां।

Kaun Hai Shakl Badlu Hindi Bal Kahani

कौन है शक्ल बदलू?

हमारे स्कूल में हम बच्चों को नई-नई बातें बताने के लिये बाहर से भी लोग बुलाए जाते हैं। कभी गीतकार तो कभी संगीतकार। कभी-कभी मदारी या जादूगर भी बुला लिये जाते हैं। अभी कल ही पहली बार कलमधर जी आए थे। कलमधर जी लेखक हैं। उन्होंने हम बच्चों के लिये भी कई किताबें लिखी हैं। हम में से कुछ बच्चों ने उनकी किताबें पढ़ रखी थी। उन्होंने अपनी कुछ नई रचनाएँ हमें सुनाई। बड़ा मजा आया। फिर बोले, "अब मैं तुम्हारी परीक्षा लूँगा।"

एक बार तो हम डर गये। परीक्षा के नाम से ही डर जाते हैं। बाद में लगा, ऐसी परीक्षा हो तो मजा ही आयेगा।

कलमधर जी बोले- एक प्रश्न तुम से पूछेंगा। तुम्हें उसका एक ही उत्तर देना है। उन्हीं उत्तरों के आधार पर मैं तुम्हें प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान दूँगा। इनाम क्या मिलेगा, यह तुम्हारे सर बताएँगे।

सर ने कहा- जैसा उत्तर, वैसा इनाम ।

लो, इनाम क्या होगा, यह भी पहेली बन गया। अभी वह प्रश्न नहीं आया था इसलिये हम इस पहेली का उत्तर सोचने लगे।

कलमधर जी ने हमारी सोच का साथ नहीं दिया। अपना प्रश्न सुना दिया- उसका नाम बताओ जो अपनी शक्ल, आकार और कभी-कभी रंग भी बदलता है। वह एक बार जिस शक्ल में होता है, दोबारा कभी भी वैसा नहीं दिखता। वह धरती से लेकर आकाश तक कुछ भी हो सकता है। पर उत्तर में एक ही नाम बताना होगा। सोचने के लिये तुम्हें दस मिनट का समय दिया जाता है।

इसके साथ ही कलमधर जी ने हर बच्चे को एक-एक पर्ची पकड़ा दी और कहा- इस पर अपना उत्तर, नाम, कक्षा और अनुक्रमांक लिखें। ठीक दस मिनट बाद बच्चों ने उत्तर देना शुरू किया।

उत्तर मिलने के दस मिनट के बाद कमलधर जी खड़े हुए और बोले- आज तो मजा आ गया। तुमने बड़े ही मजेदार उत्तर दिये हैं। सबके उत्तर तो मैं नहीं सुना सकता, क्योंकि तुम्हारी छुट्टी का समय हो गया है। फिर भी कुछ मजेदार उत्तर हैं। जैसे रमेश ने चांद बताया है। उसका कहना है कि शुक्लपक्ष में चांद एक पतली सी लकीर से शुरू होता है। आकार बदलते-बदलते पन्द्रहवें दिन एकदम गोल हो जाता है। इस पर मेरा कहना है कि यह ठीक है वह पन्द्रह दिन शक्ल बदलता है। पर पन्द्रह दिन बाद फिर यही क्रम शुरू हो जाता है अर्थात् वही शक्लें।

तितलियाँ भी बताई गई हैं। पर एक जैसी तितली बहुत होती हैं। कपड़ा, कागज और न जाने क्या-क्या बताया गया है। पर इन्हें मैंने कोई स्थान नहीं दिया है।

हाँ, अमीरचंद का उत्तर जरूर बताऊँगा। उसका उत्तर बताते हुए मुँह में पानी भी आ रहा है। उसका उत्तर है- पकौड़ा। उसका कहना है- आलू, प्याज या टमाटर के पकौड़े अलग-अलग शक्ल के होते हैं। पर क्या करें, कुछ हलवाई ऐसे उस्ताद होते हैं कि एक जैसे आकार वाले पकौड़े भी बना देते हैं। इस उत्तर का स्वाद बाद में लेंगे।

किताब बताई है....।

यह मैंने बताई है, मेरा नाम इकबाल है...।

मैंने भी यही बताई है, मेरा नाम सुरेश है।

बिल्कुल ठीक। इकबाल ने, सुरेश ने तथा एक और बच्चे नरेश ने भी यही बताया है। उनका कहना है कि जब भी कोई नई किताब छपकर आती है, वह दूसरी किसी से भी अलग शक्ल वाली होगी। उसमें छपी कहानी कविता को पढ़ो तो वह पहले की किताबों से अलग होगी। पर बेटे, एक किताब छपती है, तो उस जैसी सैकड़ों, हजारों होती हैं। इसलिये इस उत्तर को प्रथम स्थान की बजाय तृतीय यानी तीसरा स्थान दिया जाता है। यह इनाम भी उनकी खूब पढ़ने की आदत के कारण दिया गया है।

बच्चों ने तालियाँ बजाई।

दूसरे स्थान पर आया है मक्खन सिंह का उत्तर । मक्खन सिंह खड़ा हो जाए।

एक बच्चा खड़ा हो गया।

मुझे नहीं मालूम मक्खन सिंह के माता-पिता फल-सब्जियों की खेती करते हैं या सब्जियों की उनकी दुकान है। यह भी हो सकता है कि वह अपने घर के लिये सब्जियाँ खरीदकर लाता हो। बच्चो, बताओ, सब्जी की दुकान पर ऐसा क्या होता है, जिसकी शक्ल नित्य नयी होती है?

"कुछ भी नहीं। आलू, टमाटर, बैंगन सब एक जैसे ही होते हैं। आकार में छोटे-बड़े हो सकते हैं। इसी तरह केला, आम, अमरूद भी सब एक जैसे होते हैं।" बच्चों ने कहा।

तुम्हारा यह कहना ठीक है। पर वहाँ एक और भी शक्ल बदलू होती है। उसे कहते हैं

सुनने के लिये बच्चों में एकदम शांति छा गई।

उसे कहते हैं- अदरक । कोई अदरक कोई शक्ल लिये होती है तो कोई अदरक दूसरी शक्ल वाली होती है। स्वाद सबका एक जैसा होता है, पर शक्लें अलग-अलग। बहुत तेज नजर है मक्खन सिंह की। इसलिये उसे द्वितीय स्थान दिया जाता है।

बच्चों ने एक बार फिर ताली बनाई। प्रथम स्थान का उत्तर जानने की सबकी उत्सुकता बढ़ गई। कलमघर जी ने बताया- प्रथम स्थान पर आया है- राजू का उत्तर।

एक मिनट की शांति की बाद जोरों से तालियाँ बजी।

कमलघर जी ने बताया- राजू का उत्तर हैरान करने वाला है। राजू ने जिसे शक्ल बदलू बताया है, उन्हें अकसर मैं भी देखता हूँ। पर मुझसे यह सवाल पूछा जाता तो मैं तत्काल यह उत्तर न दे पाता। प्रथम स्थान पर आने वाला उसका उत्तर है- बादल।

कभी देखा है दो बादलों को एक जैसा? पास होते हुए भी कभी दो बादल एक जैसे नहीं होते। देखते-देखते वे शक्ल बदल लेते हैं। हाँ यह सच है कि बादल अपनी शक्ल खुद नहीं बदलते हैं, उन्हें उड़ाने वाली हवा उनकी शक्ल बदलती है। कुछ भी हो, हमें तो नई-नई शक्ल में ये उड़ने वाले बादल ही तो दिखते हैं। काले, सफेद, भूरे भी होते रहते हैं।

राजू और उसके उत्तर बादल के लिये एक बार फिर ताली बजाई गई। अब बारी थी सर की। प्रथम, द्वितीय और तृतीय आने वाले बच्चों को इनाम देने की घोषणा उन्हें ही करनी है।

बोले- इकबाल, सुरेश, नरेश ने किताब उत्तर दिया था। उन्हें इनाम स्वरूप 100-100 रुपये की किताबें दी जायेंगी। वे खुद पढ़ेंगे और दूसरों को पढ़वाएँगे।

मक्खन सिंह की नजर बहुत तेज है। उसने अदरक का ढेर देख कर ही जान लिया कि सबकी शक्लें अलग-अलग हैं। इसलिये उसे इनाम में कैमरा दिया जायेगा। वह अदरक की ही नहीं, दूसरी रोचक चीजों की भी फोटो खींचे और स्कूल में अपने साथियों को दिखाएँ।

राजू की नजरों को क्या कहें। कितनी दूर-दूर तक वह देखता है। उसे दो चीजें इनाम में दी जायेंगी। एक तो दूरबीन ताकि वह और दूर तक देख सके। उसे एक वर्षामापी यंत्र भी दिया जायेगा। वह यह भी जाने कि उसके दोस्त बादलों ने आज उस पर कितना पानी बरसाया है।

उसके बाद तालियाँ तब तक बजती रही, जब तक स्कूल में छुट्टी की घंटी नहीं बज........।

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