हिंदी दिवस विशेष मंजु रुस्तगी की कविता : संस्कृत-सुता हिंदी

Dr. Mulla Adam Ali
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Poem on Hindi Day

हिंदी दिवस पर विशेष कविता

हिंदी डे पर विशेष कविता : हिंदी भाषा के महत्व पर डॉ. मंजु रुस्तगी की कविता आज हिंदी दिवस पर कविता कोश में प्रस्तुत है, 14 सितंबर राष्ट्रीय हिंदी दिवस और विश्व हिंदी दिवस 10 जनवरी पर विशेष हिंदी भाषा को समर्पित सुंदर कविता संस्कृत-सुता हिंदी, हिंदी डे पर विशेष कविता।

Hindi Diwas Par Kavita

संस्कृत-सुता हिंदी


चाहे खेत हों केसर के, 

चाहे हो सागर अनंत विशाल, 

चाहे तपती रेत मरु की 

या हो सप्त बहनों का भाल। 


हिंदी की सुरभि से सुरभित,

हिंदी माँ का हृदय विशाल, 

संस्कृति-सभ्यता की संवाहक, 

राष्ट्र-ऐक्य की तू ही मिसाल। 


विश्व मंच पर हिंदी का आसन, 

व्हाइट-हाउस में गायत्री-गुंजन। 

गैर कर रहे पूजा-अर्चन, 

अपने घर में हो रहा संकुचन। 


संस्कृत-सुता की देखो बन-ठन, 

कितनी सहज, सरल और संपन्न। 

वैज्ञानिक, व्याकरणिक ऐसी 

सारी दुनिया भरती है दम। 


जैसा बोलें, वैसा लिखें हम, 

वैसा ही पढ़ पाते हैं। 

डी-ओ 'डू' है, जी-ओ 'गो' क्यों 

प्रश्न नहीं उलझाते हैं। 


हिंदी है बड़े दिलवाली, 

हर भाषा-शब्द को गहती है। 

गंगा-जमुनी तहज़ीब है इसकी 

निर्द्वंद्व, विकसित हो बहती है। 


हीन ग्रंथियां खोलें मन की, 

हिंदी में संवाद करें। 

प्रीतिकर हम इसे बनाएँ, 

भव-मन में आह्लाद भरें। 


तोड़ें पर-भाषा की बेड़ी, 

निज भाषा सम्मान करें।

हिंदी बोलें, पढ़ें हम हिंदी, 

हिंदी पर अभिमान करें।

Happy Hindi Diwas

- डॉ. मंजु रुस्तगी

चेन्नई, तमिलनाडु

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