पक्षियों से स्नेह की अनोखी बाल कहानी : घौंसला

Dr. Mulla Adam Ali
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BIRD'S NEST : Children's Story in Hindi

bal nirman ki kahaniyan

पक्षी प्रेम की अनूठी बाल कहानी : बच्चों के लिए पक्षियों से स्नेह की खूबसूरत बाल कहानी घौंसला, सबकी धरती सबका देश बाल कहानी संग्रह से संग्रहित गोविंद शर्मा की लघु कहानी पढ़िए और प्रतिक्रिया दीजिए।

घोंसला : बाल निर्माण की कहानियाँ

घौंसला

दस दिन के लिये बाहर जाना पड़ा राजू, उसकी माँ और उसके पिता को। घर को अच्छी तरह से बंद करके गये। पता नहीं कैसे एक कमरे का एक रोशनदान खुला रह गया।

जब वे घर वापस आये तो देखा, सारा घर सुरक्षित है। बस, रोशनदान खुला रह जाने से एक चिड़िया ने छत के पंखे पर घौंसला बना लिया है।

इतना बड़ा घौंसला ? जरूर इसमें अंडे या बच्चे होंगे। पंखा चलेगा और टूटकर यह घौंसला जमीन पर होगा। अंडे हुए तो फूट जायेंगे और बच्चे हुए तो जिन्दा नहीं बचेंगे। इससे अच्छा है, मेज पर चढ़कर घाँसला उठाकर किसी और जगह रख देते हैं। वरना यह पंखा नहीं चला सकेंगे।

नहीं-नहीं, पापा मैंने सुना है, घौंसला उठाकर दूसरी जगह रखना चिड़िया पसंद नहीं करती। अंडे फूट सकते हैं या बच्चों को नुकसान हो सकता है। हम कुछ दिन पंखा नहीं चलाते हैं। बाहर बरामदे में बैठा करेंगे। वहाँ कितनी अच्छी कुदरती हवा आती है।

अच्छा ? पहले तो तुमने कभी उस हवा को अच्छी-कुदरती नहीं कहा ? दोपहर में उस हवा में कभी नहीं बैठे। यहाँ कमरे में भी पंखे के ठीक नीचे सोने की जिद करते रहते हो। अब....।

पापा, पापा, कई बार बिजली होती नहीं है। कई बार कई-कई घंटों तक नहीं होती है। तब हम बिजली वालों को बुरा भला कहते रहते हैं और हाथ से पंखा झलते हैं। अब भी ऐसा ही करें।

वाह ! कुसूर अपना और बुरा भला कहेंगे बिजली वालों को ?

नहीं पापा, बस इंतजार करेंगे घाँसले से बच्चों के उड़ जाने का।

राजू की जिद के आगे सब झुक गये, पर उसकी इस जिद से खुश कोई नहीं था।

गर्मी के दिन थे। एक दिन जोरों से आंधी आई। घर में टंगे कपड़े उड़ गये, कुछ सामान उलट-पुलट हो गया। रोशनदान अभी खुला छोड़ रखा था ताकि चिड़िया और उसके बच्चे वहाँ से बाहर निकल जाएँ। उस खुले रोशनदान से हवा का तेज झोंका आया और वह घौंसला जमीन पर आ गिरा। सबने देखा, उसमें न अंडा था न बच्चा। चिड़िया भी नहीं थी। अब सबने राजू की तरफ देखा। जैसे कह रहे हों-तुम्हारी वजह से इतने दिन गर्मी में बैठे रहे, अब पापा से डांट की डोज लेने के लिए तैयार हो जाओ।

पापा आए। उन्होंने गिरे हुए घाँसले को देखा। डरे-सहमे खड़े राजू को देखा। उसके पास आए और उसकी पीठ थपथपाते हुए कहा-तुम्हारे दिल में पक्षियों के लिये प्यार है, यही सबसे अच्छी बात है। अब ये दो काम तुम्हें करने हैं। मेज पर चढ़कर पंखे को अच्छी तरह से साफ करो और उस खुले रोशनदान को भी बंद करो।

सबने देखा, आज जैसी फुर्ती राजू ने पहले कभी नहीं दिखाई।

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