Hindi Children's Poem Bigad Gaya Sab Khel Hamara, Hindi Bal Kavitayein, Kids Poems in Hindi, Bal Kavita Kosh Hindi Poetry.
प्रभुदयाल श्रीवास्तव की कविता
Bal Kavita In Hindi : मुट्ठी में है लाल गुलाल से रोचक बाल कविता प्रभुदयाल श्रीवास्तव की बिगड़ गया सब खेल हमारा, पढ़िए हिंदी बालमन की सुन्दर कविताएं और शेयर कीजिए बालगीत हिन्दी में।
Prabhudayal Srivastava Ki Kavitayein
बिगड़ गया सब खेल हमारा
उठी सुबह सोकर तो देखा,
बाहर था कुछ अज़ब नज़ारा।
पीले मटमैले पानी से,
भरा हुआ था आँगन सारा।
देहरी से नीचे उतरी तो,
घुटनों-घुटनों तक पानी था।
उछल-उछलकर बच्चों जैसा,
करता दिखता मनमानी था।
पाँव हुए जाते थे ठन्डे,
शायद दस डिग्री था पारा।
टिल्लू दरवाजे से झाँका,
कागज़ की नावें ले आया।
एक नहीं, दो तीन नहीं,
दस, नावों को उसने तैराया।
मस्ती में गाता जाता था,
तरम-तरारा, तरम-तरारा।
तभी अचानक आसमान से,
पानी आया झमर-झमर झम।
नावों पर जब मार पड़ी तो,
लगी डूबने होकर बेदम।
अधभीगे हम भीतर भागे,
बिगड़ गया सब खेल हमारा।
दोपहर होते-होते ही पर,
हम दोनों को ही ज्वर आया।
नासमझी बचकाने पन का,
ही तो था फल हमने पाया।
सुबह-सुबह की तरम तरारा,
ने झटका दे दिया करारा ।
- प्रभुदयाल श्रीवास्तव
ये भी पढ़ें; प्रभुदयाल श्रीवास्तव की चार हिन्दी बाल कविताएं