Hindi Moral Story friendship between lion and bird, Moral Children's Stories by Govind Sharma Aise Mili Seekh Balkatha Sanghrah Ki Kahaniyan in Hindi, Kids Stories.
Dosti Sher Chidiya Ki Bal Kahani
नैतिक बाल कहानी : बच्चों के लिए नैतिक मूल्यों पर आधारित बाल कहानी दोस्ती शेर चिड़िया की, कोई भी छोटा या बड़ा नहीं हो सकता इसी विषय पर आधारित दोस्ती शेर चिड़िया की कहानी पढ़िए, ऐसी मिली सीख बालकथा संग्रह से गोविन्द शर्मा जी की बाल कहानी दोस्ती शेर चिड़िया की।
Dosti Sher Chidiya Ki : Children's Story in Hindi
दोस्ती शेर चिड़िया की
उस जंगल में शेर की गुफा थी। उसके पास ही पेड़ पर चिड़िया का घोंसला। शेर और चिड़िया दोनों पड़ोसी। दोनों सुबह-सुबह अपने काम पर निकल जाते।
एक दिन शेर कुछ जल्दी वापस आ गया। उसने देखा पेड़ पर बहुत-सी चिड़िया बैठी है। आपस में चीं-चीं यानी बातें कर रही है। उसे यह अच्छा नहीं लगा। उसने कहा- "तुम चिड़िया सारा दिन चीं-चीं करती रहती हो। इससे दूसरे जानवरों को परेशानी होती है। तुम इतना क्यों बोलती हो?"
"वाह, हम तो बोलते हैं, जो एक पेड़ से दूसरे पेड़ तक सुनाई नहीं देता है। तुम दहाड़ते रहते हो। तुम्हारी दहाड़ से जंगल में भूचाल-सा आ जाता है। सारे जानवर डरकर, परेशान होकर इधर-उधर भागने लगते हैं, वह?"
"मैं जंगल का राजा हूँ। मैं ताकतवर हूँ। दूसरे जानवरों को डराकर रखना मेरा काम है।"
"अपने को राजा कहते हो और डराते भी हो। ताकत का ज्यादा घमंड नहीं करना चाहिए। ताकत का इस्तेमाल दूसरों का भला करने में करना चाहिए।"
"चिड़िया की बच्ची, मुझे उपदेश देती है? तेरी चीं-चीं बंद कर वरना...।"
"वरना, क्या कर लोगे? मेरे घर तक आकर दिखाओ। मैं तो कई बार उड़ते- उड़ते तुम्हारी गुफा में गई हूँ।"
शेर पेड़ की सबसे ऊँची डाली पर बने घोंसले तक नहीं जा सकता था। वह गुस्से में दहाड़ता अपनी गुफा में चला गया। अगले दिन सुबह-सुबह ही शेर चिड़िया की तरफ गुस्से से देखता हुआ अपने काम पर चला गया। चिड़िया अपनी मस्ती में उड़ती रही और दूर चली गई। अचानक तेज तूफान आ गया। तूफान इतना तेज था कि न केवल चिड़िया का घोंसला उड़ गया बल्कि कई पेड़ भी उखड़ गए। दो पेड़ इस तरह गिरे कि शेर की गुफा का मुँह बंद हो गया। तूफान के रुकते ही चिड़िया अपना घर सँभालने आ गई। उसने देखा न केवल उसका घर उजड़ गया बल्कि पेड़ भी उखड़ गया। यह देखकर वह अफसोस करने नहीं बैठी, बल्कि इधर-उधर से तिनके इकट्ठे कर पास के दूसरे पेड़ पर घोंसला बनाने में जुट गई। इतने में वहाँ शेर भी आ गया। उसने चिड़िया को नया घोंसला बनाते देखकर कहा "न केवल मैं बल्कि मेरा घर भी ताकतवर है। वह ऐसे तूफानों में उड़ता नहीं है।"
चिड़िया ने कहा "देखना अभी थोड़ी देर में मेरा नया घर बन जाता है। फिर तुमसे बात करूँगी। हम लोग काम करने वाले होते हैं, बातों में समय नष्ट नहीं करते।" चिड़िया का नया घोंसला बन गया। उसने देखा, शेर परेशानी में घूम रहा है।
"क्या हुआ? क्या तुम्हारी गुफा भी तूफान में उड़ गई?"
"नहीं, पर दो पेड़ टूटकर वहाँ ऐसे गिरे हैं कि गुफा में जाने का दरवाजा बंद हो गया।"
चिड़िया उड़कर वहाँ गई। थोड़ी-सी जगह थी। चिड़िया तो उसमें से गुफा में घुस गई। बाहर आकर बोली "भीतर तो सब कुछ ठीक है। तुम तो बहुत ताकत वाले हो। पेड़ हटाकर भीतर चले जाओ। लगता है थोड़ी देर में बरसात आएगी, तूफान भी आ सकता है।"
"लेकिन मैं उन पेड़ों को वहाँ से नहीं हटा सकता।"
"क्यों, तुम्हें तो बड़ा घमंड है ना अपनी ताकत का। मुझे देखो, मेरा घर तो टूट कर उड़ गया था। फिर भी मैंने अपना नया घर बना लिया। तुम्हारा तो घर सही-सलामत है। फिर भी तुम उसका दरवाजा नहीं खोल सकते।"
चिड़िया की बात पर शेर को गुस्सा नहीं, थोड़ी शर्म आई। बोला "तुम ठीक कहती हो। जानवरों को डराने वाली ताकत आज किसी काम नहीं आ रही है। तुम ही बताओ यह दरवाजा कैसे खुलेगा।"
चिड़िया जिद्दी नहीं थी, समझदार थी। मुसीबत में फँसे शेर की मदद के लिए तैयार हो गई। बोली" ताकत का घमंड किए बिना हाथी के पास जाओ। उसे दोस्त के रूप में कहना कि वह पेड़ हटा दे। जंगल में यह काम हाथी ही कर सकता है।"
यही हुआ। दो हाथियों ने मिलकर उन पेड़ों को उठाकर दूर फेंक दिया। शेर आराम से अपनी गुफा में चला गया। तत्काल वापस आया और हाथियों को धन्यवाद कहा। फिर चिड़िया से बोला "आज से हम दोनों अच्छे पड़ोसी और अच्छे दोस्त। रात में यदि तूफान आए तो तुरंत मेरी गुफा में चले आना। अब वह भी तुम्हारा घर है।"
चिड़िया ने जवाब में जोरों से चीं-चीं ही किया।
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