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Prabhudayal Srivastava Hindi Poetry
हिन्दी कविता बच्चों की : बाल कविता संग्रह मुट्ठी में है लाल गुलाल से प्रभुदयाल श्रीवास्तव की हिन्दी बाल कविता एक टोकनी गोबर में पढ़िए बाल कविता कोश में और शेयर कीजिए हिन्दी की रोचक कविताएं।
Prabhudayal Srivastava Ki Bal Kavitayen
एक टोकनी गोबर में
दो गायें, दो बछड़े सुंदर,
रहते हैं मेरे घर में।
अम्मा गौशाला में जाकर,
करती गोबर पानी।
रखती फिर थानों पर जाकर,
चारा, भूसा, सानी।
और लगा देती हैं ढेरी,
गोबर की, बाड़े घर में।
थप-थप कर के उस गोबर से,
पथते हैं फिर कंडे।
कुछ तो बनते छोटे-छोटे,
कुछ मोटे मुस्टंडे।
दस कंडे पथ जाते अक्सर,
एक टोकनी गोबर में।
कुछ दिन में ही सज जाती है,
कंडों की बारात ।
थोड़े श्रम से ही मिल जाती,
ईंधन की सौगात ।
इस ईंधन से दाल बाफले,
बनते हैं अक्सर घर में।
कटते हैं दिन हँसी-खुशी से,
रातें आल्हा गाते।
दिन में सूरज, रात सितारे,
हमसे मिलने आते।
मिलजुल कर हम सब रहते हैं,
एक बड़े से परिसर में।
- प्रभुदयाल श्रीवास्तव
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