बाल कविता : नए साल की कनकैया

Dr. Mulla Adam Ali
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Prabhudayal Srivastava Ki Kavitayein

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नए साल पर बाल कविता : मुट्ठी में है लाल गुलाल से प्रभुदयाल श्रीवास्तव की नए साल पर विशेष हिन्दी बाल कविता नए साल की कनकैया, नए साल का दिन सबके लिए बहुत खुशियों का दिन होता है, खाकर बच्चे इस दिन बहुत खुशियां मनाते हैं। पढ़िए नए साल की कविताएं हिन्दी में बाल कविता कोश में नव वर्ष के आगमन पर कविताएं।

प्रभुदयाल श्रीवास्तव की बाल कविताएं

नए साल की कनकैया


मजे-मजे से मस्ती करते,

साल बिताया भैयाजी।

बुड़की पर मझले चाचा सँग,

खूब उड़ी कनकईया जी।


इस होली में नानी के घर,

कितने मजे उड़ाए थे।

नानाजी पिचकारी के सँग,

टेसू के रँग लाये थे।

मामा के सँग गए खेत में,

खाई गुड़ की लैया जी।


दीवाली में फुलझड़ियों से,

फूल झरे थे मस्ती के।

दिए जलाये हर कोने में,

हमने अपनी बस्ती के।

ढोल मजीरे लेकर आये,

घर पर ग्वाल नचैया जी।


नए साल आने की खुशियाँ,

तो हम खूब मनाएँगे ।

गए साल की मीठी बातें,

क्या हम बिसरा पाएँगे?

भरे रहेंगे स्मृतियों के,

हरदम ताल तलैया जी।


- प्रभुदयाल श्रीवास्तव

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