Hindi Children's Story Golden Egg By Govind Sharma, Aise Mili Seekh Balkatha Sanghrah Ki Kahaniyan, Short Stories for kids in Hindi.
Bal Kahani : Sone Ka Anda
बच्चों के लिए रोचक कहानियाँ : बच्चों के लिए मजेदार और शिक्षाप्रद नैतिक बाल कहानी सोने का अंडा, एक राजा की चतुराई की कहानी सोने का अंडा, बालकथा संग्रह ऐसे मिली सीख से गोविंद शर्मा की लघुकथाएं।
Golden Egg Children's Story in Hindi
सोने का अंडा
राजा ने अपने महल के तमाम नौकर-चाकर एक जगह इकट्ठे किए। राजा संबोधित करते हुए कहा "अभी कुछ दिन पहले मैं अपने महल के पीछे के मुर्गीखाने में घूम रहा था, तब मैंने देखा एक मुर्गी अंडा दे रही है। मैं वहाँ खड़ा उसे देखता रहा।"
अरे, यह क्या? मुर्गी ने जो अंडा दिया है वह सफेद रंग का नहीं है, सुनहरी है। मैंने उसे उठाया तब पता चला कि यह तो भारी है। मैं उसे अपने साथ ले आया। मैंने एक सुनार को दिखाया तो उसने कहा "राजन यह तो शुद्ध सोने का है।" मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ। मैंने उस अंडे को महल के गुप्त कक्ष में छिपा दिया। उसके बाद में कई दिन तक मुर्गीखाने में गया, मुझे वैसा कोई अंडा नहीं मिला मैं यह भी नहीं जान पाया कि सोने का अंडा किस मुर्गी ने दिया था।
"यदि तुम में से कोई मुझे वह मुर्गी तलाश करके ला दे और सोने का अंडा भी ला दे तो मैं उसे इनाम के रूप में अपना आधा राज्य दे दूँगा। इसके लिए तुम्हें सात दिन का समय देता हूँ।"
प्रायः सभी नौकरों ने यही सोचा कि राजा सनक गया है या हमारे साथ मजाक कर रहा है। कोई भी मुर्गी सोने का अंडा नहीं दे सकती। फिर राजा ने ऐसी घोषणा क्यों की?
हुआ यह है कि नई-नई चीजों का संग्रह करने का राजा को शौक था। एक सौदागर ने राजा को खुश करने के लिए सोने का अंडा भेंट किया था। राजा उसे अपने दरबारीगण को दिखाएँ या कहीं छिपाकर रखें इससे पहले ही वह गायब हो गया। राजा का पहला शक अपने नौकरों पर ही हुआ। राजा ने सोचा ऐसे ही तो कोई नहीं मानेगा कि उसने चोरी की है। तब चोर पकड़ने के लिए यह योजना बनाई। राजा उस अज्ञात चोर के आने की प्रतीक्षा कर रहा था। तीन दिन बाद महल का एक सिपाही आया और बोला "राजन, आपकी सुरक्षा के लिए मुझे जिम्मेदारी दी गई थी कि आप कहीं भी जाएँ, मैं छिपकर आपके पीछे जाऊँ ताकि आप पर कोई खतरा आने पर तुरंत आपकी सहायता कर सकूँ। उस दिन जब आप मुर्गीखाने में सैर कर रहे थे, मैं भी वहाँ छिपा हुआ एक जगह खड़ा था। आपको सोने का अंडा उठाते हुए मैंने देखा था। जिस मुर्गी ने यह अंडा दिया था, उसकी शक्ल तो मुझे भी याद नहीं। वह मुझे नहीं मिली, पर मुर्गीखाने में सोने का यह अंडा मिल गया है-इतना कहकर सिपाही ने सोने का अंडा राजा के सामने रख दिया और इनाम की घोषणा का इंतजार करने लगा।"
सोने का अंडा देखकर राजा की आँखें चमक उठीं। अंडा उठाते हुए कहा "वाह, मुझे मेरा वह अंडा मिल गया।" फिर राजा ने दूसरे सिपाहियों को बुलाया और उस सिपाही को पकड़कर कैद में बंद करने का हुक्म दे दिया। फिर इतना ही कहा- "मैं जानता हूँ कि कोई भी मुर्गी सोने का अंडा नहीं देती है। यह नाटक तो मैंने चोर को पकड़ने के लिए ही किया था।"
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