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Prabhudayal Srivastava Ki Kavitayein
मज़ेदार हिन्दी बाल कविता : प्रभुदयाल श्रीवास्तव जी का 22 बाल कविताओं का संग्रह दादाजी की मूँछें लम्बी से आपके लिए प्रस्तुत है हास्य, मनोरंजन बाल कविता दादाजी की मूँछें लम्बी, पढ़िए और प्रतिक्रिया दीजिए।
Dada Ji Ke Moonchhe Lambi
दादाजी की मूँछें लम्बी
दादाजी की मूँछ लम्बी,
इतनी लम्बी, इतनी लम्बी,
एक मूँछ जाती कोलकाता,
एक मूँछ जाती है मुंबई।
मूँछें दिन-दिन बढ़ती जातीं,
देश विदेशों तक हो आतीं।
दुनिया भर की सब मूँछों से,
नमस्कार करके आ जातीं।
आज रूस के रस्ते मूँछ,
मिलने पहुंचीं चीन से।
अगर नहीं विश्वास, देख लो,
एक बड़ी दूरबीन से।
- प्रभुदयाल श्रीवास्तव
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