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Prabhudayal Srivastava Ki Kavitayein
हिन्दी बाल कविता : प्रभुदयाल श्रीवास्तव जी का बाल कविता संग्रह मुट्ठी में है लाल गुलाल से लेकर आए हैं आपके लिए सुंदर बाल कविता दीपू का घोड़ा, पढ़े और शेयर करें रोचक हिन्दी आसान व सरल बाल कविताएं।
प्रभुदयाल श्रीवास्तव की बाल कविता
दीपू का घोड़ा
कितना तेज दौड़ता-फिरता,
यह दीपू का घोड़ा है।
उड़ता जाता, गिरता-पड़ता,
यह दीपू का घोड़ा है।
आटा लाता सब्जी लाता,
दूध दही घी लाता है।
वही एक है करता-धरता,
यह दीपू का घोड़ा है।
आज लंच लेगा दिल्ली में,
डिनर करेगा चेन्नई में।
पहुँच रहा तेजी से उड़ता,
यह दीपू का घोड़ा है।
आसमान में गधे उड़ रहे,
उल्लू भी डेरा डाले।
बाहें चढ़ाकर उनसे लड़ता,
यह दीपू का घोड़ा है।
कुत्ते कभी भौंकने लगते,
सियार कभी चिल्लाते हैं।
एक साथ दोनों से लड़ता,
यह दीपू का घोड़ा है।
सच्चाई उसके रग-रग में,
छोड़ा नहीं कभी ईमान।
सूरज जैसा तेज दमकता,
यह दीपू का घोड़ा है।
चोरी भ्रष्टाचार मिटे यह,
बीड़ा अभी उठाया है।
कटा सियार, कुत्तों का पत्ता,
यह दीपू का घोड़ा है।
चिल्लाने वाले चिल्लाते,
'खूब मचाया हो-हल्ला।
नहीं रोक पाए है राहें,
यह दीपू का घोड़ा है।
हाथ बढ़ाकर कमजोरों की,
पूरी सेवा करता है।
दुखियों के हर दिन दुःख हरता,
यह दीपू का घोड़ा है।
- प्रभुदयाल श्रीवास्तव
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