धुक्कम पुक्कम रेल : हिन्दी में सरल व आसान बाल कविता

Dr. Mulla Adam Ali
0

Hindi Children's Poetry, Bal Kavita In Hindi, Kids Poems in Hindi, Prabhudayal Srivastava Poetry for Childrens in Hindi.

Prabhudayal Srivastava Ki Kavitayein

Poem on rail in Hindi

हिन्दी बाल कविता : प्रभुदयाल श्रीवास्तव की बाल कविता संग्रह मुट्ठी में है लाल गुलाल से आपके लिए लेकर आए हैं हिन्दी की बाल कविता धुक्कम पुक्कम रेल, बच्चों के लिए रेल के विषय पर आसान व सरल शब्दों में सुंदर बाल कविता पढ़िए और शेयर कीजिए धुक्कम पुक्कम रेल।

प्रभुदयाल श्रीवास्तव की बाल कविताएं

धुक्कम पुक्कम रेल


रेल चली भई रेल चली,

धुक्कम- पुक्कम रेल चली।


टीना, मीना, चुन्नू, मुन्नू,

डिब्बे बनकर आएँ।

मोहन कक्कू इंजिन बनकर,

सीटी तेज बजाएँ।

डीजल से, फुल टैंक कराएँ,

इंजन न हो फेल, चली।


गार्ड बनेंगे झल्लू भाई,

हरी-लाल ले झंडी।

छुक छुक छुक रेल चलेगी,

पटना, कटक, भिवंडी।

पैसिंजर बन कहीं चलेगी,

कहीं-कहीं बन मेल चली।


स्टेशन-स्टेशन रुककर

लेगी ढेर मुसाफिर।

कई मुसाफिर उतर जाएँगे,

जाएँगे अपने घर।

चाय नाश्ता करती जाती,

करते-करते खेल चली।


- प्रभुदयाल श्रीवास्तव 

ये भी पढ़ें; नब्ज़ टटोलें बादल की : बाल कविता इन हिन्दी

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें (0)

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !
To Top