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Satrangi Bal Kahaniyan
सतरंगी बाल कहानियाँ पुस्तक समीक्षा : गोविंद शर्मा जी का बालकथा संग्रह सतरंगी बाल कहानियाँ पुस्तक समीक्षा विमला नागला जी द्वारा हिन्दी में बखूबी किया गया है, पढ़िए बालकथा संग्रह सतरंगी बाल कहानियाँ की समीक्षा और प्रतिक्रिया दीजिए।
मोहक इन्द्रधनुषी रंग-बिरंगी छटा सी मनभावन कहानियां है
सतरंगी बाल कहानियां
- पुस्तक : सतरंगी बाल कहानियाॅं
- विधा : बाल कहानी संग्रह
- लेखक : श्री गोविंद शर्मा
- प्रकाशक : साहित्यगार
- मूल्य -125
- समीक्षा : विमला नागला
सद्य प्रकाशित बाल कहानी संग्रह -सतरंगी बाल कहानियाॅं के लेखक श्री गोविन्द शर्मा जी लगभग 52 वर्षों से बालसाहित्य की अनेक विधाओं में सतत बालमन को भाने वाली रचनाओं का सृजन पूर्ण रूपेण बाल मनोविज्ञान के अनुरूप कर रहे हैं।वे आज लेखन के क्षेत्र में किसी परिचय के मोहताज नहीं है।।अब तक शर्मा जी की 62 पुस्तकें साहित्य की अलग -अलग विधाओं में प्रकाशित हुई है।जिसमें 51 पुस्तकें बाल साहित्य की ही है। मुझे यह कहते हुए गर्व है कि मुझे लेखक महोदय की रचनाएं अपने विद्यालय में बच्चों को पाठ्यक्रम में पढ़ाने का सौभाग्य मिला।
लेखक सरल, सादगी युक्त विशिष्ट व्यक्तित्व व कृतित्व के धनी हैं। अपनी उत्कृष्ट व प्रखर लेखनी के कारण ही यह पहले राजस्थान के ऐसे बाल साहित्यकार हैं जिन्हें केंद्रीय साहित्य अकादमी ने अपना सर्वोच्च पुरस्कार प्रदान किया।इसके अलावा राजस्थान व देशभर के अनेक राज्यों से प्रतिष्ठित सम्मान व पुरस्कारों से सम्मानित लेखक महोदय की सृजित कृतियों का अनेक भाषाओं में अनुवाद हुआ।साथ ही उनकी अनेक रचनाएं पाठ्यक्रम में भी शामिल हुई।
सद्य प्रकाशित कृति सतरंगी बाल कहानियां प्रथम दृष्टया अपने सुंदर नामकरण के साथ ही अपने अनूठे मनभावन आवरण पृष्ठ द्वारा पाठकों को अपनी ओर आकर्षित करने की अद्भभुत क्षमता रखती हैं।इसकी महत्वपूर्ण विशेषता इसमें इन्द्रधनुष के सात रंगों सी सतरंगी कहानियां अपनी रंग बिरंगी विषय वस्तु पर अवलंबित होने से बेहद खूबसूरत तरीके से सृजित है।आवरण पृष्ठ पर उन्हीं कहानियों की विशेषता बताते हुए सात अति मोहक रंगीन चित्र बरबस ही अपनी ओर सबका ध्यान आकर्षित करते हुए दिखाई देते हैं।
यह सात कहानियां लेखक महोदय की अद्भभुत कल्पनाशीलता और विलक्षण प्रतिभाशाली सोच की परिचायक है।इस बात का इससे बढ़कर और क्या प्रमाण हो सकता है कि आज पल पल बदलती दुनिया में निरन्तर पचास साल यानि पाठक वर्ग की तीन पीढ़ियों के लिए समभाव से लेखक महोदय का लेखन उत्कृष्टता की कसौटी पर खरा नहीं उतरता तो क्या इतने वर्षों तक समय अनुकूल लेखन सम्भव होता और उनका लेखन समय की ताल के साथ सहभागिता नहीं निभाता तो क्या आज के इस युग में बालकों के लिए मनभावन लिखना बेहद सम्भव होता, जबकि उनके हाथ में पुस्तकें पकड़ाना ही दुष्कर कार्य है।
इस वर्ष में लगातार उनकी यह तीसरी कृति अस्सी वर्ष की उम्र में आना उनके साहित्य अनुराग, सतत श्रम और बच्चों के प्रति विशेष सामाजिक जिम्मेदारी की साख भरते हैं।
बात करते हैं कृति के कथानक पर तो पहली कहानी सिम्मी का स्कूल नहीं छूटा कहानी में स्मिता नामक लड़की का पढ़ाई के प्रति अनुराग, अनेक संघर्षों के साथ अपनी पढ़ाई पूरी करने का जज्बा उन बच्चों के लिए प्रेरणा बनेगा जो हजार सुविधाओं के बावजूद भी अपनी पढ़ाई के प्रति जागरूक व निष्ठावान नहीं है।
चूहों की नहर कहानी बच्चों को गुदगुदाती कहानी होने के साथ ही यह सीख देती है कि किसी भी समस्या के लिए शारीरिक बल, शारीरिक बनावट के स्थान पर उचित सूझबूझ और आपसी सहकार व भाईचारे के बल पर ही बड़ी से बड़ी समस्याओं को कैसे चुटकियों में हल किया जा सकता है।
क्या है चूहों की नहर का असली राज ।इसके लिए तो दोस्तों आपको कहानी पढ़कर ही मजा आयेगा।
तीसरी कहानी गोलू और मूर्तियों का महल यह कहानी है बच्चों में रहस्य और रोमांच और जासूसी के भाव पैदा करती सशक्त कहानी है।इसमें शीर्षक पढ़कर लगेगा कि गोलू ने मूर्तियों के महल की खोज की होगी, वहां उसके साथ क्या- क्या घटनाक्रम हुआ होगा। परन्तु बाल मित्रों बात यह नहीं है यहां महल की मूर्त्तियां ,गोलू के लिए पूरी तरह रहस्य और रोमांच से भरपूर एक अनूठी घटना की अनूठी कहानी है।जिसमें डर के आगे जीत का संदेश और बहादुर गोलू की बहादुरी भी है।तो बस देर किस बात की पढ़िए और बताइए कहानी कैसी लगी।
कक्का ने दिया सिक्का आज गांवों व शहरों में प्रकृति के बदलते स्वरूप के साथ ही बालक अरि का कक्का के प्रति अनूठे प्रेम व उनके द्वारा दिए सिक्के की संवेदनशील कहानी है।बालक का सिक्का जब गुम हो जाता है तब उसका बालमन उसे चांद में और जाने कहां कहां खोजता है।यह तो हमें भी जानना चाहिए कि उसे आखिर में सिक्का कहां मिला होगा। दौड़ाइए अपनी कल्पनाओं के घोड़े दोस्तों।
चुटकी भर मिट्टी : बढ़ते प्रदूषण से एक चुटकी भर मिट्टी भी प्रदूषण मुक्त नहीं होने की चिंता लेखक महोदय ने एलियन के माध्यम से बेहद खूबसूरत तरीके के बताया।जबकि हमारे यहां के बाल गोपाल को यह लग रहा था कि,
"एक चुटकी मिट्टी तो हम बाहर से घर आते हैं तो हमारे जूतों के साथ ही आ जाती है"
पर निस्संदेह उस चुटकी मिट्टी की सच्चाई जानकर हम सब हैरान और परेशान हो उठेंगे। अभी भी समय है बचा लीजिए अपने पृथ्वी ग्रह की चुटकी भर मिट्टी।साथ ही इस कहानी में भाईचारे का भी अद्भभुत संदेश निहित है।
हमारी रिश्तेदारियां : कहानी बाल मनोविज्ञान पर अवलंबित कहानी है। हमारे जीवन में हम जीव जंतुओं से रिश्ते कायम करते हैं वहां तक ठीक है परन्तु जब हम उन्हीं के नाम से अपने बच्चों के नामकरण करते हैं तो देखिए कैसे कैसे अनोखे परिणाम सामने आते हैं।
जादुई कप : बच्चों को आज भी जादुई कहानियां बेहद पसंद आती है। जादुई कप कहानी में भोला ने जादुई कप से इच्छित फल लोगों की भलाई के लिए प्राप्त किए। उसके बाद मेहनती भोला ने उसका दुरूपयोग कतई नहीं करके, पुनः मेहनत से अपना जीवन यापन करने को प्राथमिकता दी ।इसके पीछे उसकी सोझीवान सोच क्या रही, आपको वो जादुई कप मिल जाता तो आप क्या करते। ऐसी मनमौजी उड़ान भरने के लिए आपको जादुई कप के साथ कुछ पल तो बिताने ही होगें।
इस प्रकार सभी कहानियां बेहद खूबसूरती से लिखी हुई हैं।भाषा शैली, संवाद शैली, कथानक, छपाई, मुद्रण बहुत सुंदर और बालकों के अनुकूल मनभावन।
लेखकीय बात और लेखक श्री कृष्ण कुमार 'आशु'जी का फ्लैप मैटर निस्संदेह पाठकों को उत्कृष्ट कृति पढ़ने को उत्साहित करता हुआ है।
इस पुस्तक में बने हुए सुंदर श्वेत -श्याम चित्रों में दोस्तों आप भी अपनी कल्पनाओं के मनभावन रंग भर सकते हैं। यह कृति आप सबको जरूर पसंद आएगी।
इस श्रेष्ठ कृति हेतु आदरणीय गोविंद शर्मा साहब को अनेकानेक शुभकामनाएं एवं बधाइयां।
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