Satrangi Bal Kahaniyan Children's Story Collection Book by Govind Sharma, Book Review in Hindi, Krishna Kumar 'Ashu', Hindi Kids Stories Book Review in Hindi.
Satrangi Bal Kahaniyan
सतरंगी बाल कहानियाँ
हमारे राजस्थान में श्री गोविंद शर्मा हिन्दी बाल कहानियों के राजा कहे जाते हैं। उनकी पचास से अधिक पुस्तकें केवल बाल कहानियों की छप चुकी हैं और इनमें से लगभग आधी पुस्तकों का अन्य भारतीय भाषाओं में अनुवाद होकर सामने आ चुका है। उन्हें साहित्य अकादेमी के बाल साहित्य पुरस्कार सहित राष्ट्रीय स्तर के अनेक पुरस्कार एवं सम्मान मिल चुके हैं। उन्होंने बच्चों के लिए सरल और बोधगम्य लेखन किया है। मैं उन सौभाग्यशाली लोगों में हूँ, जिसके परिवार की तीन पीढ़ियाँ उनके बाल साहित्य की प्रशंसक रही हैं। पहले मैं बचपन से उनकी बाल कहानियाँ पढ़ता था, आज भी पढ़ता हूँ। फिर मेरे बच्चों ने उनकी बाल कहानियाँ पढ़नी आरम्भ कीं और अब मेरे बच्चों के बच्चे यानी मेरे दोहिते भी बड़े शौक से गोविंद शर्मा जी की कहानियाँ पढ़ते हैं।
लगभग 80 वर्ष की उम्र में भी श्री गोविंद शर्मा जी के भीतर एक बच्चा सदैव अपनी चंचलता के साथ सक्रिय रहता है। वे बच्चों के मनोभावों को खूब समझते हैं। उनकी भावनाओं का सम्मान करते हैं और उनकी आवश्यकताओं के अनुरूप अपने लेखन से सदैव उनकी उम्मीदों पर खरे उतरते हैं। यही कारण है कि उनका बाल साहित्य रचनाकार उनमें विद्यमान अन्य विधाओं के रचनाकारों पर सदैव हावी रहता है।
प्रस्तुत पुस्तक 'सतरंगी कहानियाँ' में कुल सात कहानियाँ शामिल की गई हैं। ये अलग-अलग रंग की कहानियाँ हैं, इसलिए सात रंगों की कहानियाँ बन पड़ी हैं, यानी सतरंगी कहानियाँ। इन कहानियों से गुजरते समय लगता है कि एकदम अलग रंग और मिजाज की कहानी कहकर श्री गोविंद शर्मा भीड़ से अलग दिखने वाले रचनाकार हैं। संग्रह की पहली कहानी 'सिम्मी का स्कूल नहीं छूटा' आर्थिक रूप से कमजोर लेकिन पढ़ाई में होशियार लड़की के संघर्ष की कहानी है, यह कहानी बताती है कि अगर हिम्मत की जाए तो सफलता अवश्य मिलती है।
मानवीकरण में भी श्री गोविंद शर्मा मास्टर हैं। उनकी कहानी 'चूहों की नहर' इस बात का सशक्त उदाहरण है। प्रतिबद्धता और एक-दूसरे के सहयोग के बल पर हम बड़ी से बड़ी समस्या का समाधान कर सकते हैं। इसमें छोटा या बड़ा होने का कोई सवाल ही नहीं होता।
रहस्य और रोमांच की कहानियाँ बच्चों के लिए बहुत आवश्यक होती हैं। यही वे कहानियाँ हैं, जो बच्चों को साहसी बनाती हैं। ऐसी ही एक कहानी है 'गोलू और मूर्तियों का महल' । यह कहानी एक अलग ही रंग प्रस्तुत करती है।
इसी तरह पुस्तक में संगृहीत अन्य कहानियाँ 'कक्का ने दिया सिक्का', 'चुटकी भर मिट्टी', 'हमारी रिश्तेदारियाँ' और 'जादुई कप' भी अलग-अलग तेवर और मिजाज को प्रस्तुत करती शिक्षाप्रद कहानियाँ हैं। ये सात रंगों की कहानियाँ मिलकर एक ऐसा इंद्रधनुष बनाती हैं, जो बच्चों के साथ बड़ों को भी लुभाता है, उनके सामने नयनाभिराम दृश्य उपस्थित कर देता है और उनकी आँखें खुद से हटाने नहीं देता। छोटे-बड़े सभी के लिए ये कहानियाँ उपयोगी और सार्थक होंगी, ऐसा मुझे विश्वास है। शुभकामनाएँ।
- कृष्णकुमार 'आशु'
सम्पादक, 'सृजन कुंज' (त्रैमासिक)
श्रीगंगानगर-335001
सतरंगी बाल कहानियाँ
अपनी बात
इस बार मेरी यह बात 'सतरंगी'। इस बाल-कथा संग्रह में सात बाल कहानियाँ हैं। कहानियाँ कुछ बड़ी हैं, इसलिए सात ही संग्रहित की गई हैं। है भी सब अलग-अलग रंग की।
जैसे पहली कहानी है- 'सिम्मी का स्कूल नहीं छूटा'। अब तो बालिकाओं को शिक्षित करने के लिए सरकार की तरफ से बहुत सुविधाएँ मिल रही हैं। घर-परिवार और समाज भी इस ओर जागरूक हुए हैं। पहले ऐसा नहीं था। बाल पाठकों के माताजी, बहनजी, बुआजी, जो भी शिक्षित हैं, उन्हें पढ़ने के लिए कई तरह के अभावों का सामना करना पड़ा है। बाधाओं से संघर्ष करना पड़ा है। उन पर काबू पाकर शिक्षा प्राप्त की है। ऐसी ही एक स्मिता यानी सिम्मी की कहानी है यह। स्कूटी नहीं, पुरानी साइकिल के जमाने की कहानी है। इस कहानी से आप उनके संघर्ष के बारे में जान सकेंगे, वे जो आज स्कूलों में पढ़ा रही हैं।
दूसरी कहानी है- 'चूहों की नहर'। यह कहानी कहती है कि किसी भी जीव का योगदान इसलिए कम नहीं होता कि वह जीव छोटा है। चूहा भी हाथी जैसे बड़े जीव का जल संकट दूर कर सकता है। चाहिए प्रतिबद्धता और एक-दूसरे से सहयोग की भावना।
तीसरी कहानी - 'गोलू और मूर्तियों का महल' में है साहस, लगन और कर्तव्यपालन की शिक्षा। यह सब हो तो गोलू जैसा छोटा बच्चा भी बड़े चोरों को पकड़वा सकता है। कैसे ? यह तो कहानी पढ़ने से ही पता चलेगा।
चौथी कहानी - 'कक्का ने दिया सिक्का'। कहानी है फैलते प्रदूषण की। प्रदूषण आकाश तक पहुँच गया है। प्रदूषण की वजह से चंद्रमा फीका लगता है। सूरज के और हमारे बीच में जो ओजोन परत है, वह भी क्षतिग्रस्त हो रही है। प्रदूषण ने गाँव और शहर के चाँद को अलग-अलग रंग-रूप में दिखाना शुरू कर दिया है।
पाँचवीं कहानी - 'चुटकीभर मिट्टी'। आकाश ही नहीं धरती की मिट्टी भी खराब हो रही है। प्लास्टिक का इतना अधिक उपयोग हो रहा है कि कुछ समय बाद प्लास्टिक से ग्रस्त मिट्टी सर्वत्र होगी। चुटकीभर शुद्ध मिट्टी का मिलना भी दूभर हो जाएगा।
छठी कहानी - 'हमारी रिश्तेदारियाँ'। हम दोपायों के परिवार में चौपाये भी शामिल होते रहे हैं। अब किसी से पूछो तो यही कहेगा- हाँ, हमारे परिवार में शामिल है चौपाया हमारा डॉगी, पर वह हमारा रिश्तेदार नहीं है। रिश्तेदार होते हैं- बिल्ली-बंदर- गाय आदि, मौसी-मामा-माता के रूप में। ये रिश्तेदारियाँ कभी-कभी हास्य की रचना कर देती हैं तो खूब मनोरंजन होता है। यही है इस कहानी में।
सातवीं कहानी है- 'जादुई कप'। यह एक अलग रंग की कहानी है। पहले जादू की कहानियाँ खूब प्रचलित थीं। अब बाल पाठक समझ गए हैं कि जादू-वादू कुछ नहीं होता है। फिर भी यह कहानी इसलिए है कि यदि आपके पास अतिरिक्त शक्ति है, कुछ करने की क्षमता है तो उसका उपयोग दूसरों के हित में करिए। वह अतिरिक्त शक्ति बुद्धि बल हो या शारीरिक बल, उसका दुरुपयोग नहीं करें। यही है वह जादू जो सबका मन मोह लेगा।
आशा करता हूँ कि मेरे पूर्व के कथा संग्रहों की तरह इसे भी आपका प्यार मिलेगा। धन्यवाद ।
- गोविंद शर्मा
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