अच्छाई और सच्चाई की बाल कहानी : हमारा गौरव

Dr. Mulla Adam Ali
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Hamara Gaurav : Bal Kahani

Hamara Gaurav Children's Story

प्रेरणादायक हिन्दी बालकथा : भारत द्वारा अंतरिक्ष में चंद्रयान भेजने के अभियान से जुड़ी हुई बाल कहानी हमारा गौरव आपके लिए प्रस्तुत है बाल कहानी कोश में गोविंद शर्मा जी का बालकथा संग्रह ऐसे मिली सीख से संग्रहित रोचक और ज्ञानवर्धक बाल कहानी हमारा गौरव।

Hamara Gaurav : Children's Story in Hindi

हमारा गौरव

अजय अपने कक्षाकक्ष की ओर तेजी से भागा जा रहा था। वह कोई दस मिनट लेट था। हाँफते हुए पहुँचा और बाहर ही खड़ा होकर बोला "सर, क्या मैं अंदर आ सकता हूँ?"

सर ने तीखी नजरों से देखते हुए कहा "नहीं-नहीं, तुम दस मिनट लेट हो। क्या तुम्हें पता नहीं था कि आज टेस्ट होगा और इसमें प्राप्त अंक वार्षिक परीक्षा में जुड़ेंगे?"

"सर, पता था इसीलिए मैं भागकर आया हूँ।"

"इस तरह भागने का क्या लाभ मिला? बाहर बैठो।"

वह बाहर आकर बरामदे में रखे बेंच पर बैठ गया। उदासी उसके चेहरे को घेरे हुए थी। थोड़ी देर में वही सर उसके पास आए और बोले "तुम लेट क्यों हो गए थे?"

"सर, यह कहानी नहीं है वास्तविकता है। मैं घर से साइकिल पर चला था। सर, उसी साइकिल पर जिसे मेरे सब साथी 'चंद्रयान-3' कहते हैं। क्योंकि मैंने यह साइकिल उस दिन खरीदी थी, जिस दिन 'चंद्रयान-3' को चाँद पर भेजने की पहली खबर मिली थी। मैं समय पर घर से साइकिल पर ही चला था। मैं समझ गया था कि इसके टायरों

में हवा कम है पर जल्दी स्कूल पहुँचने के लिए मैं हवा भरने वाली दुकान पर नहीं गया।

सर, रास्ते में मुझे स्कूल के ही दो बच्चे मिल गए। उनको भी स्कूल जल्दी आना था। मैं उन्हें मना नहीं कर सका। वे भी मेरी साइकिल पर बैठ गये।"

"तुम मना क्यों नहीं कर सके?"

"सर, उनके नाम विक्रम और प्रज्ञान थे।"

"कहाँ है वे बच्चे?"

"सर, वे अगली कक्षा में चले गए हैं। हुआ यह कि रास्ते में हम तीनों के बोझ से साइकिल पंचर हो गई। वे दोनों तो भाग छूटे। शायद अपनी कक्षा में समय पर पहुँच गए। मैं तेज नहीं दौड़ सका। क्योंकि मेरे पास साइकिल थी।"

"यह बात मुझे वहाँ क्लास के दरवाजे पर खड़े होकर क्यों नहीं बताई?"

"सर, इसलिए कि मैं कहता कि मेरी साइकिल पंचर हो गई है तो मेरे साथी हँसते। हो सकता है उनमें से कोई कह देता इसका चंद्रयान दिन फेल हो गया। सर, चंद्रयान तो हमारा गौरव है। उसके लिए मैं यह कैसे सुन लेता?"

"ठीक है, काफ़ी लंबी हो गई तुम्हारी कहानी। जाओ, कमरे में बैठो और प्रश्नों के उत्तर लिखो। तुम्हें मैं पंद्रह मिनट ज्यादा दूँगा। इसलिए कि चंद्रयान सिर्फ तुम्हारा ही नहीं, हम सबका गौरव है।"

अब अजय की तेज चाल देखने लायक थी।

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