प्रभुदयाल श्रीवास्तव की बाल कविता : गिल्लू के मोजे

Dr. Mulla Adam Ali
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Prabhudayal Shrivastav Ki Bal Kavitayen

Prabhudayal Shrivastav Poetry

मज़ेदार बाल कविता : 22 बाल कविताओं का संग्रह दादाजी की मूंछें से प्रभुदयाल श्रीवास्तव की कविता गिल्लू के मोजे आपके लिए बाल कविता कोश में प्रस्तुत है, पढ़े और शेयर करें ये मनोरंजक बाल कविता।

Prabhudayal Shrivastav Poetry in Hindi

गिल्लू के मोजे


गिल्लू भैया जूते पहने,..

हर दिन शाला जाते।

मोजे इतने गंदे रहते,

बदबू खूब उड़ाते ।


एक मित्र के यहाँ गये तो,

जूते वहाँ उतारे।

उछल पड़े सब लोग वहाँ पर,

उफ बदबू के मारे।


हुये शरम से पानी-पानी,

गिल्लू जब घर आये।

सबसे पहले मम्मीजी से,

मोजे ही धुलवाये।


- प्रभुदयाल श्रीवास्तव

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