इस साल की दिवाली : त्योहारी सीजन में बढ़ी महंगाई पर हिन्दी कविता

Dr. Mulla Adam Ali
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Inflation : Poem on Diwali in Hindi

Poem on Diwali inflation

शकुन्तला अनजान की दिवाली कविता : बढ़ती महंगाई पर हिन्दी कविता, त्यौहार सभी के लिए खुशियां लेकर आती हैं लेकिन आजकल त्योहार आने पर लोग डरने लगते हैं क्योंकि बढ़ती हुई महंगाई को देखकर, मध्यवर्गीय परिवार में घर चलना ही मुश्किल होता है तो वैसे में त्यौहार आए तो उनका पूरा बजट हिल जाता है, इसी महंगाई पर आधारित है ये कविता इस साल की दिवाली, दिवाली के समय महंगाई ने निकाला दिवाला।

Mahangai : Deepawali Par Kavita

इस साल की दिवाली


मंहगाई की भेट चढ़ गई 

इस साल की दिवाली ।

किसी के चेहरे पर 

नहीं दिख रही खुशहाली। 

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दो चार दीपक जला कर सब 

मना रहें बस दिवाली। 

दिवाली के दिन भी 

लगती है रात काली। 


घर की साफ सफाई 

इस साल नहीं हो पाई ।

गरीबों के बच्चे आतिशबाजी 

नहीं जलाने पाई ।


दीया मंहगा तेल मंहगा 

मंहगी है सब मिठाई। 

बच्चों ने दिवाली पर 

खाने को नहीं मिठाई पाई। 


अब तो यह दिवाली 

अमीरों की हो गई भाई। 

घर घर से पकवानों की 

खुश्बू नहीं आई। 


मंहगाई ने दिवाली पर 

ऐसी आफत ढा़ई। 

कितनों के घर दिवाली 

नहीं नजर हमें आई। 


- शकुन्तला अनजान 

गल्ला मंडी गोला बाजार २७३४०८

गोरखपुर उ प्र.

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