एक साहसी बच्ची की कहानी : जल की रानी

Dr. Mulla Adam Ali
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Jal Ki Rani : Bal Kahani

Queen of Water Children's Story in Hindi

प्रेरणादायक बाल कहानी : बालकथा संग्रह ऐसे मिली सीख से संग्रहित गोविंद शर्मा जी की लिखी बाल कहानी जल की रानी आपके लिए प्रस्तुत है, एक साहसी बच्ची की प्रेरणादायक बाल कहानी पढ़िए और शेयर कीजिए।

Queen of Water Children's Story in Hindi

जल की रानी

शहर के मशहूर एस.के.एम. स्कूल में खेल सप्ताह का आयोजन था। आज छुट्टी कर होने पर भी खेल प्रतियोगिता देखने भाग लेने के लिए आने वाले विद्यार्थियों की खूब भीड़ थी। आज की मुख्य प्रतियोगिता तैराकी की थी। तैराकी में प्रथम आने वाली छात्रा को 'जल की रानी' की उपाधि मिलेगी। स्विमिंग पुल के चारों तरफ भाग लेने वाली छात्राओं और देखने वालों की भीड़ थी। प्राचार्य की सख्त हिदायत थी कि प्रतियोगिता शुरू करने के लिए सीटी बजाई जाएगी। उससे पहले कोई भी पानी में न उतरे।

आज के मुख्य अतिथि पधार गए थे। उन्हीं के हाथों 'जल की रानी' नामक पदक विजेता को पहनाया जाएगा। सीटी बजने वाली थी कि छपाक की आवाज आई। कोई तरण ताल में कूदा था। सब ने देखा पानी में कूदने वाला एक खरगोश को पानी से निकालकर ला रहा है। नहीं-नहीं, कूदने वाला नहीं, यह तो कूदने वाली थी। पहने हुए कपड़े भी सामान्य थे। इसका मतलब है कि वह स्कूल की छात्रा नहीं है।

लेकिन पानी में खरगोश कहाँ से आया? पता चला कि स्कूल की सीमा पास के कई खेतों से लगती है। खेतों में खरगोशों के कई बिल है। यह खरगोश स्कूल और खेत के बीच की तारबंदी पार करके आ गया होगा। छात्राओं की भारी भीड़ देखकर, घबराकर तरण ताल में गिर गया लगता है। उसे पानी में डूबते-उभरते कइयों ने देखा होगा। लेकिन कोई छात्रा उसे बचाने के लिए पानी में नहीं कूदी। कोई सर या मैडम भी नहीं। फिर यह कौन है जो खरगोश को बचाने के लिए पानी में कूदी?

पता चला कि यह तो सफाई कर्मचारी की बेटी है। गाँव में अपने दादा-दादी के साथ रहती है। वहीं के सरकारी स्कूल में पढ़ती है। वहाँ स्कूल में छुट्टियाँ थी इसलिए सफाई के काम में मदद करने के लिए अपनी माँ के पास आई हुई है।

क्या करें? इस घटना से सभी स्तब्ध थे। पर मुख्य अतिथि नहीं। उन्होंने 'जल की रानी' का पदक उठाया और उस लड़की के पास गए, जिसका नाम भी अभी मालूम नहीं हुआ था। उसके गले में पदक पहनाते हुए बोले "बेटी, असली जल की रानी तुम ही हो। तुमने अपने तैराकी के ज्ञान का उपयोग प्रतियोगिता जीतने में नहीं, किसी जीव के प्राण बचाने में किया है। इससे अच्छा काम कोई नहीं हो सकता। आज का काम संपन्न हुआ मैं जा रहा हूँ।"

अब प्राचार्य सँभल गए थे। बोले-"सर आप अभी यही ठहरिए। आपने इसे 'जल की रानी' कहा है। हम भी मानते हैं। हम स्कूल की तरफ से इसे नकद राशि का इनाम देंगे। स्कूल की बच्चियों की प्रतियोगिता पहले की तरह ही होगी। मुख्य अतिथि बोले- "ठीक है, आप स्कूल की छात्राओं की प्रतियोगिता करवाइए, वरना वे निराश होंगी। एक और पदक का इंतजाम करें। आज की घटना से वे सीखेंगी कि अपनी योग्यता का सदुपयोग दूसरों के हित में भी करना चाहिए।

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