हिन्दी बालगीत : मम्मी को समझाओ

Dr. Mulla Adam Ali
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Hindi Poem by Dr. Rakesh Chakra, Children's Hindi Poems, Kids Rhymes, Hindi Kids Poems, Bal Kavita In Hindi.

Dr. Rakesh Chakra Children's Poem

mummy ko samajho balgeet

हिन्दी बालगीत मम्मी को समझाओ : बच्चों के लिए डॉ. राकेश चक्र जी की हिन्दी बाल कविता मम्मी को समझाओ, एक बच्चे की अपने मां के प्रति प्यारी सी शिकायत आप इस कविता के माध्यम से पढ़े हिन्दी कविता मम्मी को समझाओ।

Mummy Ko Samjhao Bal Kavita In Hindi

मम्मी को समझाओ


अमन बोला चलो पार्क में

नाना मुझे घुमाओ।

मम्मी अक्सर डाँटा करतीं

मम्मी को समझाओ।।


देर रात तक मम्मी जगती

टीवी उनको है भाए।

भोजन खाते टीवी देखें

मुझको भी यह सिखलाए।


बचपन तो माता के हाथों

बात सही बतलाओ।

मम्मी अक्सर डाँटा करतीं

मम्मी को समझाओ।।


नींद सुबह को ना खुलती है

मन करता मैं जग जाऊँ।

थोड़ा घूमूँ खुली हवा में 

तब विद्यालय पग जाऊँ।।


योग और व्यायाम करूँ मैं

हर्षो और हरषाओ।

मम्मी अक्सर डाँटा करतीं

मम्मी को समझाओ।।


समय - समय से खेलूँ , पढ़ लूँ

मुझको यह अच्छा लगता।

मिलजुल करके संग रहें सब

खुशियों से मन खुश रहता।


गुस्सा करना बुरी बात है

सबको प्रेम लुटाओ।

मम्मी अक्सर डाँटा करतीं

मम्मी को समझाओ।।


घर - परिवार वही अच्छा है

जहाँ प्रेम के झरने बहते।

कर्तव्यों को करें सहज ही

प्रेम भाव से सब ही रहते।


अच्छी - अच्छी बातों से ही

जीवन को महकाओ।

मम्मी अक्सर डाँटा करतीं

मम्मी को समझाओ।।


डॉ. राकेश चक्र, 90 बी,शिवपुरी

मुरादाबाद 244001, उ.प्र.

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