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Prabhudayal Srivastava Ki Kavitayein
बाल कविता हिन्दी : मुट्ठी में है लाल गुलाल से हिन्दी बाल कविता प्रभुदयाल श्रीवास्तव की नब्ज़ टटोलें बादल की, पढ़िए हिंदी में रोचक और मजेदार बाल कविताएं आसान व सरल शब्दों में छोटे बच्चों के लिए कविताएं।
प्रभुदयाल श्रीवास्तव की कविताएं
नब्ज़ टटोलें बादल की
आओ-आओ नब्ज़ टटोलें,
हम सब मिलकर बादल की।
दिल की सुनें, धड़कने, जाँचें,
कितना जल वे लाये हैं।
या फिर ताम-झाम दिखलाकर,
उड़ जाने को आये हैं।
कुछ बादल तो साफ दिख रहे,
धोती पहने मलमल की।
कुछ है रुई के फाहे जैसे,
कुछ है क्षीर समुन्दर से।
किन्हीं-किन्हीं के रूप दिख रहे,
हाथी घोड़े बन्दर के।
इक बादल में मुझे दिख रही,
मोटी मौसी बुलबुल की।
ऐसा मन्त्र चलो हम फूंकें,
बादल बरसें झरर-झरर,
ताल तलैया नदी भरे तो,
मेंढक बोलें टरर-टरर।
फूट पड़ें झरने धरती से,
ध्वनि सुन पड़े कलकल की।
लारे-लप्पा करते बादल,
बरसें धड़म धड़ाके से।
नहीं मरे अब कोई बुढ़िया,
इस धरती पर फाँके से।
आओ नज़र रखें बदली पर,
खबर रखें हम पल-पल की।
- प्रभुदयाल श्रीवास्तव
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