नब्ज़ टटोलें बादल की : बाल कविता इन हिन्दी

Dr. Mulla Adam Ali
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Prabhudayal Srivastava Ki Kavitayein

Prabhudayal Srivastava Poetry in hindi

बाल कविता हिन्दी : मुट्ठी में है लाल गुलाल से हिन्दी बाल कविता प्रभुदयाल श्रीवास्तव की नब्ज़ टटोलें बादल की, पढ़िए हिंदी में रोचक और मजेदार बाल कविताएं आसान व सरल शब्दों में छोटे बच्चों के लिए कविताएं।

प्रभुदयाल श्रीवास्तव की कविताएं

नब्ज़ टटोलें बादल की


आओ-आओ नब्ज़ टटोलें,

हम सब मिलकर बादल की।


दिल की सुनें, धड़कने, जाँचें,

कितना जल वे लाये हैं।

या फिर ताम-झाम दिखलाकर,

उड़ जाने को आये हैं।

कुछ बादल तो साफ दिख रहे,

धोती पहने मलमल की।


कुछ है रुई के फाहे जैसे,

कुछ है क्षीर समुन्दर से।

किन्हीं-किन्हीं के रूप दिख रहे,

हाथी घोड़े बन्दर के।

इक बादल में मुझे दिख रही,

मोटी मौसी बुलबुल की।


ऐसा मन्त्र चलो हम फूंकें,

बादल बरसें झरर-झरर,

ताल तलैया नदी भरे तो,

मेंढक बोलें टरर-टरर।

फूट पड़ें झरने धरती से,

ध्वनि सुन पड़े कलकल की।


लारे-लप्पा करते बादल,

बरसें धड़म धड़ाके से।

नहीं मरे अब कोई बुढ़िया,

इस धरती पर फाँके से।

आओ नज़र रखें बदली पर,

खबर रखें हम पल-पल की।


- प्रभुदयाल श्रीवास्तव

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