Prabhudayal Srivastava Ki Kavitayein in Hindi, Hindi Children's Poetry, Kids Poems in Hindi, Bal Kavita Kosh in Hindi.
प्रभुदयाल श्रीवास्तव की दो कविताएं
बाल कविताएं इन हिन्दी : प्रभुदयाल श्रीवास्तव जी का बाल कविता संग्रह मुट्ठी में है लाल गुलाल से दो बाल कविताएं आपके लिए लेकर आए है 1. जितनी जल्दी हो 2. जेसीबी की बड़ी मशीन। बच्चों के लिए लंबी और आसान बाल कविताएं, हिन्दी की रोचक कविताएं पढ़िए और शेयर कीजिए।
Prabhudayal Srivastava Kids Poems in Hindi
बाल कविता जितनी जल्दी हो / प्रभुदयाल श्रीवास्तव
1. जितनी जल्दी हो
अब तो लगता गरमी आए,
जितनी जल्दी हो।
शाला की छुट्टी हो जाए,
जितनी जल्दी हो।
दौड़-भागकर पहुँचें गाँव,
के घर के बाहर।
वहीं खड़ी दादी मिल जाये,
जितनी जल्दी हो।
रोज-रोज दादी तो मुझको,
सपने में आती।
रोज गूँथती चोटी मेरी,
कंगन पहनाती।
अब तो सपना सच हो जाए,
जितनी जल्दी हो।
कंडे-लकड़ी-चूल्हे वाली,
रोटी अमृत-सी।
उस रोटी पर लगा गाय का,
देशी ताज़ा घी।
काश! मुझे हर दिन मिल जाए,
जितनी जल्दी हो।
किसी रेलगाड़ी में रखकर,
गाँव उठा लाऊँ।
दादी वाला आँगन अपनी,
छत पर रखवाऊँ।
बचपन उसमें दौड़ लगाए,
जितनी जल्दी हो।
बचपन वाली नदी नील सी,
सूखी-सूखी है।
कल ही तो दादी ने ऐसी,
चिट्ठी भेजी है।
राम करे जल से भर जाए,
जितनी जल्दी हो।
बाल कविता जेसीबी की बड़ी मशीन / प्रभुदयाल श्रीवास्तव
2. जेसीबी की बड़ी मशीन
कुछ मीठी, कड़वी, नमकीन,
जेसीबी की बड़ी मशीन।
बाँध, सड़क, पुल जहाँ बनाती,
मीठापन आभास कराती ।
लोग झूमते हैं मस्ती में,
बजवाती खुशियों की बीन।
जेसीबी की बड़ी मशीन ।
हाय! जहाँ अतिक्रमण हटाती,
वहाँ कोप भाजन बन जाती।
लोगों को लगने लगती है,
यह मशीन तीखी संगीन।
जेसीबी की बड़ी मशीन ।
काम बहुत तेजी से करती,
बड़े-बड़े गड्ढों को भरती।
झटपट समतल कर देती है,
ऊबड़-खाबड़ कड़ी जमीन।
जेसीबी की बड़ी मशीन।
शोर मचाती आती-जाती,
बच्चों-बूढ़ों को डर वाती।
इस मशीन से बचकर रहना,
करना इस पर नहीं यकीन ।
जेसीबी की बड़ी मशीन।
फिर भी काम बहुत है आती।
बड़े काम जल्दी कर जाती।
लगती है बाजीगर जैसी,
कुछ मीठी, कुछ-कुछ नमकीन।
जेसीबी की बड़ी मशीन।
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