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Prabhudayal Shrivastv Ki Kavitayen
बच्चों की अनोखी हास्य कविताएँ : प्रभुदयाल श्रीवास्तव जी का 22 बाल कविताओं का संग्रह दादाजी की मूंछें लंबी बाल कविता संग्रह से आपके लिए प्रस्तुत है सात बेहतरीन बाल कविताएं 1. छींक 2. पेंट फट गई 3. घर की इज्जत 4. बारिश में हुड़दंगी 5. इतने मोटे 6. चूहे की स्वेटर 7. गुस्सेल बन्दर। पढ़िए हास्य बाल कविताएं हिंदी में रोचक और मजेदार बाल गीत बच्चों के लिए बाल कविता कोश में।
सात बाल कविताएं : प्रभुदयाल श्रीवास्तव की कविताएं
बाल कविता छींक / प्रभुदयाल श्रीवास्तव
1. छींक
लल्ला छींका, लल्ली छींकी,
छींके बल्ला, कल्ला।
छींक रहा था सारा ही घर,
हुआ गली में हल्ला।
सुनकर हल्ला, मोहन सोहन,
टीना मीना भागे।
पीछे दौड़ी छींक जोर से,
ये चारों थे आगे।
हिन्दी हास्य बाल कविता पेंट फट गई / प्रभुदयाल श्रीवास्तव
2. पेंट फट गई
गधेराम ने एक खरीदी,
चमचम करती बाइक।
बहुत कठिन था उस पर चढ़ना,
पेंट बहुत थी टाइट।
एक बार फिर से कोशिश की,
पेंट फट गई चुर्रर।
शरम लगी तो गधे राम जी,
हो गए ढेंचू दुर्रर।
रोचक हिन्दी बाल गीत घर की इज्जत / प्रभुदयाल श्रीवास्तव
3. घर की इज्जत
हाथी बोला ब्याह करूँगा,
तुमसे चींटी रानी।
चींटी बोली क्यों करता रे,
बातें ये बचकानी।
तू है दस फुट ऊँचा, मैं हूँ,
एक मिलीमीटर की।
तुझ से ब्याह रचा कर इज्जत,
नहीं मिटाना घर की।
Hindi Children's Poems
मनोरंजक बाल कविता बारिश में हुड़दंगी / प्रभुदयाल श्रीवास्तव
4. बारिश में हुड़दंगी
बंदर बोला, मिस्टर हाथी,
क्यों लंगड़ाते आप।
नहीं दिया उत्तर प्रणाम का,
भाग रहे चुपचाप ।
हाथी रोकर बोला, सिंह ने,
खूब पिलादी भांग ।
बारिश में हुड़दंगी की तो,
टूट गई है टांग।
हास्य मजेदार बाल कविता इतने मोटे / प्रभुदयाल श्रीवास्तव
5. इतने मोटे
दूध पिया कप भर टिल्लू ने।
थे मौसी के घर कुल्लू में।
पीकर दूध हो गए मोटे ।
इतने मोटे- कितने मोटे ?
घर के कमरे पड़ गए छोटे ।
रहने के भी पड़ गए टोटे।
बुलडोज़र से घर गिरवाया।
तब टिल्लू बाहर आ पाया।
Intresting Children's Poem Chuhe Ki Sweater / Prabhudayal Shrivastav
6. चूहे की स्वेटर
चूहेजी ने स्वेटर पहनी,
अपनी ठंड बचाई।
लेकिन रात बीत जाने पर,
उन्हें कंपकपी आई।
उठकर देखा तो पाई थी,
एक अनोखी बात।
कुतर-कुतर अपना स्वेटर ही,
खाया सारी रात।
हिन्दी बाल कविता गुस्सेल बंदर / प्रभुदयाल श्रीवास्तव
7. गुस्सेल बन्दर
हाथी भाई चढ़े पेड़ पर,
ऊपर मजे उड़ाए ।
पके हुये थे आम बहुत से,
मजे-मजे से खाये।
बन्दर ने गुस्से के मारे,
जड़ से पेड़ उखाड़ा।
डर के मारे पेड़ सहित ही,
हाथी गिरा बिचारा।
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