बाल कहानी : चोरी करना छोड़ दिया

Dr. Mulla Adam Ali
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Bal Kahani : Chori Karna Chhod Diya

Chori Karna Chhod Diya Bal Kahani

प्रेरक हिन्दी बाल कहानी : बाल कहानी संग्रह सबकी धरती सबका देश से बच्चों के लिए गोविंद शर्मा जी की लिखी लघु कहानी चोरी करना छोड़ दिया बहुत ही प्रेरणादायक है। हम किसी के साथ अच्छा करेंगे तो वह भी अपनी पुरानी आदतों को छोड़कर अच्छाई की तरफ जाएगा - यह संदेश है कहानी चोरी करना छोड़ दिया में।

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चोरी करना छोड़ दिया

हल्कू चूहा हैरान रह गया। यह क्या हो रहा है? अब तक वह बिल्ली किरकी के पास से तीन बार गुजर चुका है। किरकी ने एक बार भी हल्कू को पकड़ने की कोशिश नहीं की। पहले तो यह होता था कि हल्कू को देखते ही किरकी उस पर टूट पड़ती, वह किसी तरह जान बचाकर भागता। चौथी बार किरकी से थोड़ा दूर रह कर हल्कू ने पूछा- क्या बात है, आज तुम इस घर के मालिक से नाराज हो या तुमने चूहे न खाने का व्रत रखा है?

मैं मालिक से नाराज नहीं हूँ। मैं कभी व्रत नहीं करती। इस घर में मुझे रोज भरपूर दूध-मलाई मिल जाती है। कभी-कभी पकवान भी मिल जाते हैं तो मैं क्यों किसी चूहे को मारकर खाऊँ?

तुम्हें तो मालिक ने पाला ही इसलिए कि वह हम चूहों से छुटकारा पाना चाहता था। तुमने मेरे कई भाई-बहनों को हजम किया है। अब कहाँ से मिली यह सीख ?

किरकी बिल्ली ने जो बताया उसे सुनकर हल्कू और हैरान हो गया। उसने एक दो बार फिर बिल्ली के पास फटकारा मारा।

फिर निश्चिंत होकर वह गया सीधे अपने दुश्मन चूहे गबरु के पास। हल्कू को देखते ही गबरु सावधान हो गया और बोला- अभी कुछ देर पहले मुझसे पिट कर गया था। उस पिटाई से पेट नहीं भरा या कोई और छिपा हथियार लेकर मुझे मारने पीटने आया है?

हल्कू बोला- मैं कोई हथियार लेकर नहीं आया हूँ। मैं लड़ने भी नहीं आया हूँ। मैं समझौता करने आया हूँ।

अब आया ना लाइन पर। बताओ, आगे से कभी मेरा खाना चुराओगे ?

मैं केवल तुम्हारा खाना ही नहीं, मैं कहीं भी, कैसी भी चोरी नहीं करूंगा।

वाह, यह अक्ल कहाँ से मिली तुम्हें ?

यह भी बताऊँगा। पहले मेरी कसम में मेरा साथ दो। हम कभी भी चोरी नहीं करेंगे। न ही नए बोरे या थैले काटकर मालिक को नुकसान पहुँचाएँगे। हम भूख मिटाने के लिए इधर-उधर बिखरे दाने या दूसरे भोजन को ही खाएँगे।

कमाल है, मुझे विश्वास नहीं हो रहा। पहले तो यह बताओ यह सीख तुम्हें मिली कहाँ से ?

किरकी बिल्ली से।

बिल्ली का नाम सुनते ही गबरु घबराकर अपने बिल की तरफ भागा। यह देख कर हल्कू को हँसी आ गई। जब बिल्ली कहीं नजर नहीं आई तो गबरु बोला- मुझे अब भी तुम्हारी बात पर विश्वास नहीं हो रहा है।

पहले मुझे भी नहीं हुआ था। लेकिन बिल्ली से हुई बात के बाद उस पर विश्वास करके ही आया हूँ।

इसके बाद हल्कू ने उसकी किरकी से हुई सारी बात बता दी। साथ ही यह भी बता दिया कि आज तुमने मेरी पिटाई की थी, उसका बदला लेने के लिए मैं बिल्ली को छेड़कर यहाँ लाना चाहता था ताकि वह तुम पर हमला कर तुम्हें मजा चखा दे। पर हो गया उल्टा। बिल्ली किरकी को यह सीख कहाँ से मिली ?

जैसे मुझे यह सीख किरकी से मिली, वैसे ही उसे यह फरजू कुत्ते से मिली। फरजू के पास से बिल्ली तीन-चार बार निकली। फरजू ने उस पर कोई हमला नहीं किया।

क्यों ?

फरजू ने बताया- मेरी ड्यूटी इस घर की चोरों से रक्षा करने की है। तुम तो इस घर की रहने वाली हो, तुम्हें क्यों मारूँ? हाँ, यदि तुमने चोरी की तो तुम्हारी खैर नहीं।

मुझे अब भी विश्वास नहीं हो रहा।

हल्कू बोला- चलो, दूर से देख लेना। किरकी और उसके बच्चे फरजू के पास बैठे हैं या खेल रहे हैं।

नजारा वैसा ही था, जैसा हल्कू ने बताया। अब गबरु को विश्वास हो गया कि सब कुछ बदल गया है। वह हल्कू के पास आया और उसके गले मिलने लगा। हल्कू ने हल्की सी कराह ली तो गबरु बोला- आओ मेरे घर चलते हैं। तुम्हारे शरीर पर दर्द कम करने की दवा लगा दूँगा। आज मैंने तुम्हारी कुछ ज्यादा ही पिटाई कर दी थी।

हाँ, पिटाई तो होनी ही थी, मैंने भी तो तुम्हारा खाना चुराया था। पर दवाई नहीं लगावाऊँगा, क्योंकि वह चोरी की है।

हल्कू की यह बात सुनकर गबरु को हँसी आ गई। हल्कू भी हँस दिया। दोनों ने सदा के लिए चोरी न करने की पक्की कसम खाई।

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