प्यारे सच्चे घर : हिन्दी में बाल कविता

Dr. Mulla Adam Ali
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Pyare Sachhe Ghar Hindi Kavita

बाल कविता इन हिन्दी : बाल कविता संग्रह मुट्ठी में है लाल गुलाल से आपके लिए लेकर आए हैं प्रभुदयाल श्रीवास्तव की बाल कविता प्यारे सच्चे घर, पढ़िए हिंदी में रोचक और मजेदार बालमन की कविताएं।

Prabhudayal Srivastava Ki Kavitayein

प्यारे सच्चे घर


बहुत दिनों के बाद शाम को,

माँ ने घर का ताला खोला।


कुतर-कुतर कर खाने वाले,

चूहे अपने बिल में भागे।

तिलचट्टों ने दौड़ लगा दी,

जैसे ही सोते से जागे।

एक छछूदर ने अलमारी,

के नीचे स्थान टटोला।


मकड़ी को आभास हुआ कुछ,

दुबक गई अपने जाले में।

छिपकलियाँ भी दौड़ लगाकर,

जा बैठीं पीछे आले में।

एक गिरगिट ने घात लगाकर,

टिड्डी दल पर हमला बोला।


कई दिनों के बाद खुला तो,

कुत्तों ने दरवाजा सूँघा।

बछड़े ने रोटी की आशा,

को लेकर चौखट को चूमा।

लिए कमंडल साधू बाबा,

फिर से बोला बम-बम भोला ।


खुले हुए दरवाजे वाले,

घर सच में ही अच्छे लगते।

भीतर बच्चे खेल रहे हों,

वे घर प्यारे सच्चे लगते।

घर के भीतर की रसोई से,

महक रहे हों आलू छोला।


- प्रभुदयाल श्रीवास्तव

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