आधुनिक तकनीकी युग से परिचित कराती बाल कहानी : रोबू मेरा दोस्त

Dr. Mulla Adam Ali
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Robu Mera Dost - Hindi Bal Kahani

Robu Mera Dost Hindi Children's Story

विज्ञान बाल कथाएं : बच्चों के लिए विज्ञान संबंधी बालकथाएं हिंदी में ऐसी मिली सीख बालकथा संग्रह से संग्रहित गोविंद शर्मा जी की लिखी हिन्दी बाल कहानी। पढ़िए रोचक और ज्ञानवर्धक हिन्दी बाल कहानी रोबू मेरा दोस्त हिन्दी में।

Hindi Children's Story : Robu Mera Dost

रोबू मेरा दोस्त

बबलू ने आगे पढ़ने के लिए विषय ही ऐसा चुन लिया, जो न उसके शहर के, न बबलू प्रदेश के किसी कॉलेज में था। इसलिए उसे दूर के प्रदेश के 'स्मार्ट सिटी-5' में जाना पड़ा। उस जगह कोई छात्रावास नहीं था। फ़्लैट खूब थे। वहाँ रहने के लिए नियम भी कठोर थे। कोई भी निवासी तंबाकू यानी बीड़ी-सिगरेट का सेवन नहीं कर सकता था। पाउच में आने वाला पान-मसाला भी खाना मना था। हथेली पर रगड़कर खैनी चबाने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता। ऐसे में घर के लिए नौकर मिलना काफ़ी कठिन हो गया। बहुत से लोग अपने अपने घर में ख़ुद ही काम करने लगे थे।

हाँ, एक सुविधा वहाँ मिलने लगी थी। अकेले रहने वाले वृद्ध, विद्यार्थी या बीमार को घर के काम में सहयोग देने के लिए रोबोट मिलने लगे थे।

बबलू के साथ उसके घर से जाने वाला कोई नहीं था। बबलू के माता-पिता जॉब करते थे। उसके दादा-दादी की उम्र ज्यादा हो गई थी। ऐसे में क्या करें? यह निर्णय किया गया कि बबलू की सहायता के लिए एक रोबोट ही लिया जाए। रोबोट बनाने वाली कंपनी को बबलू के लिए रोबोट बनाने का आदेश दिया गया। ठीक दसवें दिन बबलू को एक रोबोट मिल गया।

बबलू को वह बड़ा अच्छा लगा। बबलू ने उसका नाम भी रख दिया-रोबू। वह उसे कभी रोबू कहता तो कभी दोस्त।

बबलू का दोस्त रोबू उसके सारे काम समय पर करता। खाना बनाना, सफ़ाई करना, बबलू की हर ज़रूरत को समय पर पूरी करना। इससे बबलू निश्चिंत होकर अपने विषय की पढ़ाई को खूब समय देने लगा।

एक दिन बबलू ने कहा- "मूंग की दाल खाते बहुत दिन हो गए, अब चने की दाल खाने का दिल करता है।"

रोबू उसी समय फ़्लैट से बाहर गया। उनकी सोसाइटी के भीतर ही किराने के सामान की दुकान थी। जब वह गया, कुछ लोग और कुछ रोबोट वहाँ सामान ख़रीद रहे थे। रोबू को उन्हें देखना बड़ा अच्छा लगा। उस समय तो वह दाल-चना का पैकेट लेकर वापस फ़्लैट में आ गया। बबलू को जायकेदार दाल बनाकर खिलाई उस दिन। अब तो बबलू के दिल में जिस चीज़ को खाने की आती, वह अपने दोस्त रोबू को कह देता। उसे जायकेदार खाना मिल जाता।

एक दिन बबलू ने कंप्यूटर पर काम करते हुए रोबू को आवाज़ दी। रोबू तुरंत आ गया। बबलू बोला "यार रोबू, आज तो गोलगप्पे खाने को जी करता है। जल्दी से बनाकर लाओ।" फिर अपने कंप्यूटर पर काम करने लगा।

थोड़ी देर बाद देखा, रोबू गया नहीं। वहीं उसके पास खड़ा है। बबलू हैरानी से बोला "अरे रोबू, मैंने तुम्हें गोलगप्पे बनाने के लिए कहा है, तुम अपना मुँह गोलगप्पा- सा बनाकर मेरे पास क्यों खड़े हो?" इस पर रोबू बोला "भैया, मैं अपने भीतर भरे ज्ञान को सर्च कर रहा हूँ। बहुत कुछ 'अक्ल' है मुझमें। पर गोलगप्पा क्या होता है? यह कैसे बनता है? इसको बनाने के लिए क्या-क्या चाहिए? कहीं नहीं है इसका ज्ञान मेरे भीतर।"

बबलू को हँसी आ गई। बोला "कोई बात नहीं। तुम्हें बनाने वाली कंपनी के नियमानुसार हर छह महीने बाद तुम्हें सर्विस के लिए कम्पनी में भेजना होगा। उस वक्त गोलगप्पा-ज्ञान तुम्हारे में फीड करवा लूँगा। अभी तो 'आलू पूड़ी' बना लाओ।"

रोबू बबलू के सारे काम करता। खाली समय गप्पबाजी नहीं करता। न ही फ़िल्में देखता। बबलू जब भी कंप्यूटर पर काम करता उसके पीछे बैठकर उसे काम करते देखता रहता।

स्मार्ट सिटी-5 के नियमानुसार हर निवासी को अपना फ़्लैट, बालकनी, सीढ़ियाँ डिटर्जेंट से धोकर सैनीटाइज करनी होती थी। वह दिन आ गया। बबलू ने कहा "मेरे दोस्त रोबू आज हम यह काम दोनों मिलकर करेंगे।"

दोनों फ़्लैट में सफ़ाई करने में जुट गए। डिटर्जेंट से भरी बाल्टी फ़्लैट के दरवाजे के पास रखी थी। बाहर की सीढ़ियाँ साफ़ करके रोबू भीतर आ ही रहा था कि बबलू की ठोकर से सारा डिटर्जेंट फैल गया। रास्ता एकदम चिकना हो गया। रोबू को इसका ध्यान नहीं रहा और वह फिसल गया। वह सँभलता, उसे सँभालने के लिए बबलू उसके पास पहुँचता इससे पहले ही रोबू चिकनी सीढ़ियों पर लुढ़कने लगा। एक जगह वह अटक गया। बबलू उसके पास पहुँचा। देखा, रोबू ऐसे पड़ा है, जैसे बेहोश हो गया है। बबलू ने उसे खड़ा करने की भी कोशिश की, उसे बुलवाने की कोशिश की। उसकी कोशिशें असफल रही। रोबू न हिला-डुला, न बोला। उसमें कोई हरकत नहीं हुई।

एक बार तो बबलू घबरा गया। फिर उसने रोबू को उठाया और फ्लैट के भीतर ले गया। रोबू को एक तरफ रखा और सफ़ाई का बचा हुआ काम पूरा किया। फिर फ़ोन कर किराये की टैक्सी को बुलाया।

रोबू को लेकर उसको बनाने वाली कंपनी में गया। वहाँ भी रिसेप्शन पर एक रोबोट ही मिला। उसे बताया कि उसके रोबू के साथ क्या हुआ तो बोला-"हम इसकी जाँच करेंगे। इसमें आधा घंटा लगेगा।"

बबलू का उत्तर सुने बिना ही वह रोबू को लेकर एक कमरे के भीतर चला गया। उस रोबोट के जाने के बाद तत्काल एक दूसरा रोबोट पहले वाले रोबोट की जगह आकर खड़ा हो गया। वह बबलू से बोला नहीं। बबलू ने समय बिताने के लिए उससे बात करना चाहा। पर सफलता नहीं मिली। इसके विपरीत सामने एक बोर्ड पर लिखा आ गया यहाँ ज्यादा बोलने की अनुमति नहीं है।

ठीक आधा घंटा बाद पहले वाला रोबोट वहाँ आया और बोला "तुम्हारे रोबोट के पाँच अंग बिलकुल ख़राब हो गए हैं। अब वह न बोल सकता है, न चल-फिर सकता है। कोई काम करने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता। हम इसको हमारे स्टोररूम में सदा के लिए फेंक देंगे। तुम्हें कल दूसरा रोबोट मिल जाएगा। क्योंकि तुम्हारे वाले में यह ख़राबियाँ गारंटी पीरियड में आयी है। इसलिए तुम्हें बदलकर दूसरा रोबोट देना हमारी ज़िम्मेदारी है।"

"नहीं नहीं, मुझे यही रोबोट चाहिए। यह मेरा नौकर नहीं, दोस्त है।"

"फिर यहाँ क्यों लाए? रखते अपने पास अपने दोस्त को।"

"देखिए, हम इंसान है। हमारे यहाँ कोई बीमार हो जाता है तो अस्पताल ले जाया जाता है। उसका इलाज करवाया जाता है।"

रोबोट बोला "फिर क्या होता है जब तुम इंसानों का कोई अंग सदा के लिए काम करने लायक नहीं होता है। उसे तुम शायद मरना कहते हो?"

"नहीं, उससे पहले हम उसका इलाज करने की हर तरह की कोशिश करते हैं। यदि किसी का दिल यानी हार्ट ख़राब हो जाए तो उसे किसी अन्य व्यक्ति का दिल, जो दान में दिया होता है, बीमार दिल वाले को लगाकर उसकी जान बचाते हैं।"

"हम इंसानों के पास दो किडनी यानी गुर्दे होते हैं। यदि एक गुर्दा ख़राब हो जाए या वह एक गुर्दा किसी को दान में दे देता है, तो भी जिंदा रहता है। इसलिए बहुत से लोग दोनों गुर्दों के ख़राब होने वाले व्यक्ति को बचाने के लिए अपना एक गुर्दा दान में दे देते हैं। आँखें दान देने का हमारे यहाँ रिवाज़ ही है। लोग ये बात लिखकर मरते हैं कि मेरे मरने के बाद मेरी दोनों आँखें निकालकर किसी नेत्रकोष यानी आई बैंक में दे दी जाए। ताकि किसी नेत्रहीन को लगाकर उसकी जिंदगी रोशन कर दी जाए।"

"इसलिए मेरा कहना है कि मेरे दोस्त रोबू को स्टोर में मत फेंकिये। आपके स्टोर में बीमार या मरे हुए रोबोट हैं, उसमें से उन अंगों को निकालिये, जो सही हालत में है और मेरे रोबू में लगा दीजिए। मेरा रोबू काम करने लगेगा।"

"नहीं, ऐसा नहीं होगा।"

" क्यों, ऐसा क्यों नहीं होगा? तुम्हारे रोबोट्स का इलाज करने के लिए डॉक्टर होंगे। अब तो हम इंसानों का इलाज भी रोबोट-डॉक्टर करने लगे हैं।"

"हमारे क़ानून में ऐसा कहीं नहीं लिखा है। हम अपनी मर्जी से क़ानून नहीं तोड़ते हैं।"

"फिर मेरा रोबू मुझे वापस कर दें। वह जैसा भी है, मैं उसे अपने पास रखूँगा।"

"ऐसा भी नहीं होता है। ये स्मार्टसिटी है। यहाँ के नियम के अनुसार घर में कबाड़ रखना मना है।"

बबलू कुछ बोले इससे पहले ही नोटिस बोर्ड पर टिक टिक होने लगी। उसे सुनकर रोबोट बोला "चुप रहना हमारे हैड का कोई आदेश आने वाला है।"

हैड की आवाज़ आयी "हमने इस इंसान बबलू की सारी बातें सुन ली हैं। बहुत अच्छी बातें कही है इसने। हमें भी यह इंसानी रिवाज़ अपनाना चाहिए। इससे हम मशीनों में कुछ तो इंसानियत दिखेगी। अभी इस बबलू के अनुसार स्टोर में निष्क्रिय पड़े रोबोटों के पार्ट्स निकालकर इसके रोबू में डाल दो। आगे भी हम रोबोटों का अस्पताल बनाने की योजना बनाएँगे।"

हैड का आदेश सुनकर रोबू को वह रोबोट फिर से कमरे के भीतर लेकर गया। कुछ ही समय बाद बबलू का रोवू मजे से चलता हुआ बाहर आ गया। बबलू को देखकर खुशी से हैलो कहा। बबलू भी खुश हो गया और अपने दोस्त रोबू को लेकर चल पड़ा।

रास्तेभर रोबू और बबलू बातें करते रहे। रोबू ने पूछा "बबलू भैया तुम मुझे वापस कंपनी में क्यों लेकर आए थे? अभी तो सर्विस का समय नहीं आया था। क्या तुम्हें मेरा काम पसंद नहीं आ रहा?"

इसके जवाब में बबलू ने सारी घटना अपने दोस्त रोबू को बता दी। रोबू हैरान रह गया। फिर बोला "बबलू तुम बहुत अच्छे हो। यह भी अच्छा हुआ कि मैं फिसला था। यदि मेरी जगह तुम फिसलते तो शायद मैं तुम्हें लेकर अस्पताल नहीं ले जा पाता। पर यहाँ आने का एक फ़ायदा हुआ है। अब मेरे में एक नया ज्ञान आ गया है-कम्प्यूटर चलाने का। अब कम्प्यूटर पर काम करने में मैं भी तुम्हारी सहायता किया करूँगा।"

"सच? यह तो बहुत ही अच्छा हुआ। मुझे अपनी पढ़ाई के लिए आगे बहुत ज्यादा काम करना था। मैं किसी को सहायता के लिए बुलाना चाहता था। अब मुझे किसी को बुलाने की जरूरत नहीं। अब तुम मेरे दोस्त के साथ मेरे कंप्यूटर ऑपरेटर भी होओगे।"

"पर एक बात मैं भूल गया।"

"क्या?"

"गोलगप्पे बनाने का ज्ञान अपने भीतर फीड करवाना..."

बबलू ने ऊं.. ऊं.. करते हुए कहा- "अगली बार कंपनी जाओ तो मत भूलना

रोबू मेरे दोस्त...।"

इसके बाद रोबू और बबलू खूब हँसे।

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