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Veer Bahadur Chuhiya Rani
बाल कविता : प्रभुदयाल श्रीवास्तव की हिन्दी बाल कविता संग्रह दादाजी की मूंछें लंबी से संग्रहित बाल कविता वीर बहादुर चुहिया रानी आपके लिए लेकर आए हैं बाल कविता कोश में, पढ़े और शेयर करें ये मजेदार हिन्दी बाल कविता।
Prabhudayal Srivastava Children's Poetry
वीर बहादुर चुहिया रानी
बिल से निकली चुहिया रानी।
लगी चाल चलने मस्तानी।
बोली मैं हूँ घर की मुखिया,
दुनिया है मेरी दीवानी।
पूर्ण तरह से ही मेरा है,
इस घर का सब राशन पानी।
जो भी चाहूं खा सकती हूँ,
करती रहती हूँ मनमानी।
कभी भूल से न कर देना,
मुझसे लड़ने की नादानी।
मेरे नाना पहलवान है,
बड़ी लड़ाकू मेरी नानी।
तभी अचानक किसी जगह से,
आ धमकी बिल्ली महारानी।
डर के मारे बिल में घुस गई,
वीर बहादुर चुहिया रानी।
- प्रभुदयाल श्रीवास्तव
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