हिन्दी बाल कविता : याद आ गए

Dr. Mulla Adam Ali
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Yaad Aa Gaye : Hindi Bal Kavita

Yaad Aa Gaye Bal Kavita

बाल कविता याद आ गए : मुट्ठी में है लाल गुलाल से रोचक हिन्दी बाल कविता प्रभुदयाल श्रीवास्तव की याद आ गए आपके लिए लेकर आए हैं बाल कविता कोश में, पढ़िए और शेयर कीजिए हिन्दी की मजेदार कविताएं।

Prabhudayal Srivastava Ki Kavitayein

याद आ गए


याद आ गईं संजलि काकी,

याद आ गए कक्का।


इक दिन उनके घर पहुँचे,

तो बड़ा मजा था आया।

कक्का को चक्के के ऊपर,

घड़ा बनाते पाया।

कक्का घड़ा संभाल रहे थे,

घूम रहा था चक्का।


काकी मिटटी सान रहीं थीं,

शीतल नीर मिलाती।

बना-बना मिटटी के लौदे,

कक्का तक पहुँचाती।

घड़ा पकेगा तब ही होगा,

पूरा लाल गुलक्का।


इसी चके पर बनते दीपक,

बनती सुगढ़ सुराही।

रंग बिरंगी एक सुराही,

घर लाते मन चाही।

इसका ठंडा जल होता था,

मीठा मधुर मुनक्का।


गरमी में मेहमानों का जब,

घर में लगता ताँता।

हर कोई अपना ताप मिटाने,

ठंडा तोय मँगाता।

चढ़ता जल पीने वाले पर,

रंग खुशी का पक्का ।


- प्रभुदयाल श्रीवास्तव

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