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A tree doing its duty : Childrens Poem
Bal Kavita : बच्चों के लिए प्रेरणादायक हिन्दी बाल कविता अपना फर्ज निभाता पेड़, पेड़ के महत्व पर लिखी ये कविता पर्यावरण संरक्षण के लिए बच्चों में जागरूकता दिलाने के लिए सहायक सिद्ध होगी। प्रभुदयाल श्रीवास्तव की कविता अपना फर्ज निभाता पेड़ (motivational poem) पढ़े और शेयर करें।
Prabhudayal Srivastava Ki Kavitayein
अपना फर्ज निभाता पेड़
दादाजी-दादाजी बोलो,
पेड़ लगा जो आँगन में।
इतना बड़ा हुआ दादाजी,
बोलो तो कितने दिन में?
मुझको यह सच-सच बतलाओ,
किसने इसे लगाया था।
हरे आम का खट्टा-खट्टा,
फल इसमें कब आया था?
मात्र बरस दस पहले मैने,
बेटा इसे लगाया था।
हुआ बरस छह का था जब ये,
तब पहला फल आया था।
बीज लगाया था जिस दिन से,
खाद दिया, जल रोज दिया।
पनपा खुली हवा में पौधा,
मिली धूप तो रूप खिला।
तना गया बढ़ता दिन पर दिन,
डाली पर फुनगे फूटे।
हवा चली जब सर-सर-सर सर,
गान पत्तियों के गूंजे।
पहला फूल खिला डाली पर,
विटप बहुत मुस्काया था।
जब बदली मुस्कान हँसी में,
तब पहला फल आया था।
तब से अब तक हम सबने ही,
ढेर-ढेर फल खाये हैं।
जब से ही यह खड़ा बेचारा,
अविरल शीश झुकाये है।
इसे नहीं अभिमान ज़रा भी,
कुछ भी नहीं मंगाता है।
बस देते रहने का हरदम,
अपना फर्ज निभाता है।
- प्रभुदयाल श्रीवास्तव
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